योगी सरकार में शिक्षक बनने के इंतजार में गुजरे चार वर्ष, 12 लाख युवाओं को नौकरी का इंतजार
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जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बुनियादी शिक्षा में सुधार के तमाम दावे कर ले पर सच्चाई यह है कि करीब 1 लाख 73 हजार शिक्षकों के लिए जगह अभी भी खाली है। जिन पर चार साल से भर्ती के इंतजार में 10 से 12 लाख युवा उम्मीद लगाए हुए हैं। ये नौजवान भर्ती को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं। उधर पूर्व से चल रही कई भर्ती प्रक्रिया अभी तक पूर्ण नहीं हो सकी है।
1 जून 2021 को ट्विटर पर एक हैशटैग ट्रेंड होता नजर आया #UnemployedWantUPPRT । अगले दिन 2 जून को भी इसी से जुड़ा एक हैशटैग ट्रेंड हुआ #Blackday_Release_UPPRT। इस हैशटैग के साथ करीब 5 लाख ट्वीट हुए। इसके तीन दिन बाद 5 जून को भी एक हैशटैग ट्रेंड हुआ #UnemployedDayStudentWantUPPRT।
पिछले कई महीनों से लगातार सोशल मीडिया पर कैम्पेन चला रहे अभ्यर्थी अब सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। 2 जून को प्रयागराज में कई अभ्यर्थियों ने बाल मुंडवाकर विरोध दर्ज कराया था। अब 11 जून को फिर से ट्विटर पर एक अभियान चलाने की तैयारी है।
पिछले साल सितंबर रोजगार के मुद्दे पर छात्रों ने एक बड़ा कैंपेन चलाया था। सोशल मीडिया से शुरू हुआ ये कैंपेन उत्तर प्रदेश में सड़क तक आ गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर को हजारों युवाओं ने सड़क पर उतर कर अपना विरोध दर्ज कराया था। जिसके बाद 18 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों से खाली पदों का ब्यौरा मांगा। साथ ही तीन महीने में सभी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने और छह महीने में नियुक्ति पत्र बांटने का आदेश भी दिया। सीएम योगी के इस फैसले को खूब जोर-शोर से प्रचारित किया गया। इसके बाद करीब 9 महीने बीत चुके हैं।
सोशल मीडिया पर लगातार इस तरह कैंपेन चला रहे युवक योगी सरकार से प्राथमिक शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर युवाओ की रोजगार को लेकर उठ रही आवाज कितना कारगर साबित होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अगले आठ माह के अंदर राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व नौकरी हासिल करने की उम्मीद लगाए युवाओं की बड़ी तादाद है। उधर गुजरे 4 वर्ष में सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती को लेकर किए पहल पर गौर करें तो निराश करने वाले है।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अभियान चला रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले चार साल से वे नई भर्ती के इंतजार में हैं। लेकिन इस सरकार में कोई भी नई भर्ती नहीं आई है। प्राथमिक शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे रमेश सोनकर कहते हैं कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार मे भर्ती को लेकर पहल हुआ था। शिक्षामित्रों को बिना पात्रता परीक्षा कराए समायोजित कर लिया गया था। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। जिसके बाद सरकार ने दो बार में उन्हीं 1 लाख 37 हजार रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की। एक वैकेंसी 68500 पदों पर और दूसरी 69000 पदों के लिए। लेकिन हाल यह है कि अबतक भर्ती पूर्ण नहीं हुई है।
उधर हर साल करीब 2 लाख प्रशिक्षु ट्रेनिंग लेकर निकलते हैं। साथ ही सरकार हर साल शिक्षक पात्रता परीक्षा भी आयोजित करती है। अब सवाल यह उठता है कि नौकरी के लिए सरकार जब विज्ञप्ति जारी ही नहीं कर रही है तो प्रत्येक साल टीईटी का एग्जाम कराने की क्या आवश्यकता है। भर्ती की मांग कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि ऐसे लोगों की संख्या इस समय 10 लाख के करीब है। वर्ष 2018 में 69 हजार की भर्ती आई पर दो साल तक कोर्ट में फंसी रही थी। दो साल हम लोगों को प्रशिक्षण प्राप्त किए लगभग हो चुके हैं। लेकिन अब तक शिक्षकों की कोई वैकेंसी नहीं निकली है।
शिक्षकों के 2 लाख 17 हजार पद उत्तर प्रदेश में रिक्त
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के मुताबिक पूरे देश भर में शिक्षकों के 10 लाख 60 हजार पद खाली हैं। इनमें से 2 लाख 17 हजार पद अकेले उत्तर प्रदेश में रिक्त हैं। सितंबर 2020 में सांसद धर्मवीर सिंह ने केंद्र सरकार से देश भर में शिक्षकों के खाली पदों को लेकर जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी थी।
ऑल बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित कुमार एक आरटीआई का हवाला देते हुए बताते हैं कि प्राथमिक स्कूलों में करीब 1 लाख 73 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। ये आंकड़ा 2019-20 का है। पिछले साल मई में उत्तर प्रदेश सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया था। जिसमें कहा था कि शिक्षकों के करीब 51 हजार पद खाली हैं। इसका विज्ञापन अभी जारी नहीं हुआ है। सरकार के तरफ से कई बार बयान आया कि 69 हजार पदों पर भर्ती पूरी होने पर नई वैकेंसी निकाली जाएगी। आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों के मुताबिक इसका इंतजार ही रह गया।
तीन साल से विवादों में फंसी है 5948 अभ्यर्थियों की भर्ती
उत्तर प्रदेश में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के 12460 सहायक अध्यापकों की भर्ती शून्य जनपद के विवाद के कारण फंसी हुई है। इसके चलते 5948 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अबतक नहीं हो पाई। इन अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र तीन साल से बीएसए कार्यालयों में जमा हैं। 15 दिसंबर 2016 को यूपी सरकार ने प्रदेश में 12460 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था।
इस विज्ञापन में 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था। इस वजह से इन 24 जिलों के अभ्यर्थियों को किसी भी अन्य जनपद में आवेदन करने की छूट दी गई थी। शिक्षकों की भर्ती के लिए 16 मार्च 2017 को पहली काउंसिलिंग हुई। लेकिन 23 मार्च 2017 को सरकार ने समीक्षा के नाम पर भर्ती में रोक लगा दी।
16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्ती शुरू करने के आदेश दिए और 23 अप्रैल 2018 को फिर से सभी चयनित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई। इसके बाद 27 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने 24 शून्य जनपद के चयनित अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता सूरज गुप्ता, आशीष तिवारी, अभिसारिका गुप्ता, सपना यादव और अंकित राजपूत का कहना है कि एक मई 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी थी। उन्हें नियुक्ति पत्र भी दिया गया था। लेकिन, 5948 चयनितों का नियुक्ति पत्र फंसा हुआ है।
सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 22 नवंबर 2018 को डबल बेंच में अपील की। सरकार का कहना है कि 24 शून्य जनपद के चयनित अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई ही नहीं हुई है। इस वजह से अभ्यर्थी ट्विटर के जरिए जल्दी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। विधान सभा चुनाव करीब होने से अभ्यर्थियों को भी उम्मीद है कि सरकार न्याय दिलाएगी।
69,000 शिक्षकों की भर्ती अभियान में खाली रह गई 5000 सीटें
उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69,000 शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी। जिसमें से लगभग 5000 पदों पर चयन का कार्य पूरा नहीं हो सका है। कोरोना महामारी के कारण इन पदों पर भर्ती के लिए काउंसिलिंग नहीं हो सकी थी। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में कोरोना कर्फ्यू से छूट मिलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग सहायक अध्यापकों के इन रिक्त पदों पर भर्ती शुरू करने की बात करता रहा है। भर्ती को लेकर आंदोलन चलाने वाले अब अभ्यर्थियों में शामिल अमित दुबे कहते हैं कि सरकार की गलत नियमावली के चलते भर्ती प्रभावित हुई। आवेदन निकालने के बाद भर्ती के नए-नए मानक तय करने के चलते गतिरोध उत्पन्न हुआ है।
72825 सीटों पर भर्ती के आवेदन को पुनः बहाल करने की मांग कर रहा टीईटी संघर्ष मोर्चा
अखिलेश सरकार मे 72825 सीटों पर भर्ती के लिए आवेदन निकाला था। जिसे निरस्त किए बिना नई वैकेंसी निकाल दी गई। ऐसे में पहले की भर्ती को पुनः बहाल करने की मांग ये अभ्यर्थी कर रहे हैं। टीईटी संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शशि पाल यादव व संयोजक रामकुमार पटेल अभी भी इसको लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
इसकी जानकारी देते हुए अध्यक्ष शशि पाल कहते हैं कि सिविल अपील 4347-4775/2014 उत्तर प्रदेश सरकार बनाम शिवकुमार पाठक व अन्य मुकदमे की सुनवाई में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को इस पर पहल करने का आदेश दिया। इस पर योगी सरकार ने उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया। लेकिन चार साल बाद भी अब तक कमेटी की रिपोर्ट ही नहीं आई।अब ये प्रकरण बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के हवाले कर दी गई है। मोर्चा ने सरकार से इस बहाली प्रक्रिया को शुरू करने की मांग की है।
इस बीच बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि 69,000 में से लगभग 5000 खाली पदों को भरने के लिए जल्द काउंसिलिंग कराई जाएगी। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि इन रिक्त पदों पर भर्ती के लिए बेसिक शिक्षा विभाग नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) से सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है। यह काम लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही काउंसिलिंग की तारीखें घोषित की जाएंगी। इसी माह में काउंसिलिंग कराई जाएगी।