Freebies culture : अडानी का 3 में साल में माफ हुआ 72000 करोड़ का कर्ज, क्या यह रेवड़ी बांटना नहीं - DMK का SC से सवाल
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Freebies culture : राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के दौरान मुफ्त की घोषणाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में जारी बहस अब देशभर में सुर्खियों में है। इस बीच तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ( DMK ) ने 20 जुलाई को मुफ्त चुनावी योजनाओं ( Freebies ) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गरीबों और दलितों के लिए भोजन, शिक्षा और यात्रा सब्सिडी जैसे कल्याणकारी उपायों को रोकने की इच्छा का क्या औचित्य है, ये तो समझ से परे है। जो लोग गरीब कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च होने वाले पैसों पर रोक लगवाना चाहते हैं वही कॉरपोरेट्स के लिए बड़े टैक्स ब्रेक और लोन माफ करना जारी रखते हैं।
जरूरत तो कारोपोरेट फ्रीबीज को खत्म करने की है
डीएमके ( DMK ) ने अदालत के सामने पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यही वह संस्कृति है जिसे हमें खत्म करने की जरूरत है, न कि किसान या गरीब और दलित लोगों के बच्चे की शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संचालित योजना पर रोक लगाने की। डीएमके ने कहा कि 2014 से 2017 के दौरान अडाणी ( Adani ) ग्रुप की कंपनियों का 72000 करोड़ रुपए माफ कर दिया गया। इसी तरह 2017 से 2022 के दौरान सरकारी बैंकों ने कॉरपोरेट घरानों के 7.3 लाख करोड़ के ऋण माफ कर दिए। क्या ऐसा करना कारपोरेट घराने के लिए फ्रीबीज या रेवड़ी कल्चर नहीं है। इसका जवाब कौन देगा? मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों को हर साल लाखों करोड़ का ऋण माफ करने का औचित्य क्या है?
2008 से 2019 के दौरान कृषि ऋण के रूप में माफ हुए 3.12 करोड़ रुपए
टीओआई ने आरबीआई की 2019 की आंतरिक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए बताया है कि पिछले 11 वर्षों 2008-19 में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों ने बतौर कृषि ऋण के रूप में सरकारी खजाने से 3.12 लाख करोड़ रुपए माफ किए गए हैं। ये भी तो चुनाव से पहले किए गए वादों के हिस्से ही हैं।
कल्याणकारी योजनाओं से तमिलनाडु हर क्षेत्र अव्वल राज्य बना
इसने कहा कि इन सभी कल्याणकारी उपायों ने तमिलनाडु को गरीब राज्य नहीं बनाया है। इसके बजाय इसने विकास में योगदान दिया है। आय असमानता में उच्च अंतर को कम किया है। इन कल्याणकारी योजनाओं ने तमिलनाडु को जीडीपी और औद्योगीकरण के मामले में शीर्ष तीन राज्यों में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शीर्ष 100 शिक्षा संस्थानों में से अठारह तमिलनाडु में स्थित हैं। यह कहा जाए कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग को जोड़ने से केवल ऐसी आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं से लाभ होता है जिन्हें कुछ मुफ्त यानि फ्रीबीज कहना पसंद करते हैं।
TN में प्रवासियों की संख्या बढ़कर हुई 8.3%
प्रदेश की समृद्धि के कारण अन्य राज्यों के लोग भी तमिलनाडु में रहने के लिए आ रहे हैं। तमिलनाडु में प्रवासी लोगों की संख्या बढ़कर 8.3 फीसदी हो गया है। यह इस तथ्य को उजागर करता है कि अन्य राज्यों के लोग तमिलनाडु में प्रवास करना चाहते हैं। तमिलनाडु में मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं हैं जो देश में अद्वितीय हैं। डीएमके ने फ्रीबीज को बंद करने के लिए जनहित याचिका याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को कुछ वर्षों के लिए तमिलनाडु में रहने के लिए आमंत्रित भी किया। ताकि यह समझा जा सके कि कैसे सामाजिक कल्याण योजनाएं समग्र रूप से एक समाज का उत्थान कर सकती हैं और लोगों की खुशी में योगदान कर सकती हैं। कल्याणकारी योजनाएं मौलिक दोषों को ठीक करके समृद्धि की शुरूआत करती हैं और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाती हैं जो अंततः उन्हें अपने जीवन स्तर में सुधार करने के लिए आत्मनिर्भर बनाती हैं।
तमिलनाडु में संचालित कल्याणकारी योजनाएं
Freebies culture : डीएमके सरकार के तहत तमिलनाडु में जो कल्याणकारी योजना चालू हैं उनमें मध्याह्न भोजन, विधवा पुनर्विवाह के लिए 2.5 लाख रुपए की सहायता, कृषि क्षेत्र को मुफ्त बिजली, द्रविड़ों और निम्न आर्थिक जाति के व्यक्तियों को मुफ्त आवास स्थल, लड़कियों की शादी के लिए 5,000 रुपए की सहायता जिन्होंने पढ़ाई की है। कक्षा 8 पास अंतर्जातीय विवाह सहायता के लिए 5,000 रुपए, निम्न आर्थिक तबके के लिए बीमा योजना, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, गरीब परिवारों को मुफ्त रंगीन टीवी, डिप्लोमा या स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल होने वाली बालिकाओं के लिए 1,000 रुपए प्रति माह, सरकारी स्कूलों से आईआईटी और यूजी में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए 100 फीसदी वित्त पोषण योजनाएं शामिल हैं।