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राष्ट्रीय

3 दशक में यमुना स्वच्छता अभियान पर खर्च हुए 7000 करोड़, कौन देगा जवाब, पीएम मोदी या सीएम केजरीवाल?

Janjwar Desk
27 May 2022 5:52 AM GMT
3 दशक में यमुना स्वच्छता अभियान पर खर्च हुए 7000 करोड़, कौन देगा जवाब, पीएम मोदी या सीएम केजरीवाल?
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पिछले 30 वर्षों में यमुना को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए 7000 करोड रुपए खर्च किए गए। इसमें नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत यमुना प्रदूषण खत्म करने के नाम पर आबंटित 3941 करोड़ रुपए भी शामिल।

नई दिल्ली। यमुना को प्रदूषणमुक्त ( pollution free yamuna ) बनाने को लेकर मोदी और केजरीवाल सरकार के दावों के उलट यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान ( Yamuna pollution free mass campaign ) के सदस्यों का दावा लोगों की चिंता को बढ़ाने वाला दावा किया है। हालांंकि, इन दावों से दिल्ली एनसीआर के लोग अनभिज्ञ नहीं हैं, लेकिन अभियान के सदस्यों के खुलासे से साफ है कि पिछले तीन दशक के दौरान में यमुना ( Yamuna ) की सफाई योजना के लिए जारी 7 हजार करोड़ रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।

इस बात का खुलासा यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान के सदस्यों ने किया है। अभियान के सदस्यों ने अपनी पांच राज्यों की 6 दिवसीय यात्रा की समाप्ति के पश्चात अपने अभियान के अनुभव प्रेस के साथ साझा करते हुए कहा कि अभियान के सदस्यों ने बताया कि यमुनोत्री की धारा के साथ हिमालय की असंख्य धाराओं से मिलकर निकलने वाली यमुना ( Yamuna ) नदी का जल हथिनी कुंड बैराज हरियाणा तक निर्मल और स्वच्छ दिखाई पड़ता है। उसके बाद इसका पानी न पीने लायक है न नहाने लायक।

अभियान की टीम ने 22 मई को जब हथिनी कुंड बैराज का रजिस्टर चैक किया तो जानकारी मिली कि रात के 1 बजे 4575 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। इनमें से मात्र 352 क्यूसेक पानी ही यमुना ( Yamuna ) के लिए छोड़ा गया। शेष पानी हरियाणा नहर के लिए 3254 क्यूसेक व 969 क्यूसेक सहारनपुर नहर में डाल दिया गया।

दिल्ली को मिलता है केवल 352 क्यूसेक पानी




यमुना ( Yamuna ) में छोड़े गए पानी को दिल्ली के वजीराबाद में बैराज बनाकर रोक लिया गया। वहां पर इस पानी को फिल्टर करके दिल्ली के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वजीराबाद बैराज के आगे ही बड़े-बड़े नाले उसमें से उड़ते हुए झाग और बर्दाश्त से बाहर बदबू भरा प्रदूषित पानी यमुना में गिरते हुए देखा जा सकता है। वहीं दिल्ली के दूसरे छोर ओखला बैराज से पहले हिंडन नदी के रूप में एक गंदा नाला यमुना में आकर मिल रहा है। वहां के कर्मचारियों ने रजिस्टर तो नहीं दिखाया परंतु बताया कि 352 क्यूसेक पानी आगे के लिए छोड़ा जा रहा है।

नमामि गंगे से भी नहीं बदली यमुना की किस्मत

यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान के सदस्यों ने बताया कि यमुना को साफ ( pollution free yamuna ) करने के लिए पिछले 30 वर्षों में 7000 करोड रुपए खर्च किए गए। इसमें से नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत यमुना प्रदूषण खत्म करने के नाम पर आबंटित 3941 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा यमुना नदी में जो औद्योगिक कचरा व सीवर की गंदगी को डाला जा रहा है उनके ट्रीटमेंट में खर्च किया जा रहा है। दिल्ली पहुंचने के बाद यमुना में प्राकृतिक पानी की उपस्थिति लगभग नगण्य हो चुकी है।

नदियों में प्रदूषित पानी को छोड़ना बने जमानती अपराध

अभियान ( Yamuna pollution free mass campaign ) के सदस्यों ने यमुना में छोड़े जा रहे जल को बेहद कम बताते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली कि केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि यमुना नदी में वर्तमान 352 क्यूसेक प्रति घंटा के मुकाबले ज्यादा जल छोड़ा जाए। यमुना समेत देश की सभी नदियों में बगैर ट्रीटमेंट व साफ किए औद्योगिक कचरा, सीवर का पानी व गंदगी डाले जाने को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए।

लोहारी गांव के लोगों को मिले समुचित मुआवजा

यमुना प्रदूषण मुक्ति जन अभियान ( Yamuna pollution free mass campaign ) के सदस्यों ने यमुना नदी में लगाई जा रही व्यासी जल विद्युत परियोजना में डुबो दिए गए लोहारी गांव के लोगों से मुलाकात की तथा सरकार से उन्हें जमीन व मुआवजा दिए जाने की मांग की। दल के सदस्यों ने बड़कोट के तिलाड़ी मैदान पहुंचकर 1930 में राजा नरेंद्र शाह की गोलीबारी में शहीद हुए तिलाड़ी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। यमुनोत्री से मथुरा के बीच में 2 दर्जन से भी अधिक सभाएं व पर्चा वितरण कर जनता के साथ व्यापक रूप से जनसंपर्क भी किया। साथ ही यमुनोत्री, कालसी, पौंटा साहिब, हथिनी कुंड बैराज, दिल्ली के वजीराबाद, ओखला व मथुरा आदि स्थानों से जल के नमूने भी एकत्र किए, जिन्हें लेबोरेटरी में टेस्ट कराया जाएगा।

मोदी और केजरीवाल के दावे झूठे

अभियान के सदस्यों की मानें तो सच्चाई यह है कि दिल्ली वजीराबाद डैम के बाद मथुरा, इलाहाबाद तक जो जल यमुना में बह रहा है वह न तो पीने लायक है और न ही नहाने लायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने यमुना को शुद्ध बनाए जाने को लेकर जितने भी वादे किए हैं वह सब झूठे साबित हुए हैं।

अभियान में ये लोग थे शामिल

छह दिवसीय अभियान में अभियान के संयोजक सौरभ चतुर्वेदी, समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार, राजेंद्र सिंह, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, महिला एकता मंच की ललिता रावत, सरस्वती, कौशल्या, साइंस फॉर सोसाइटी की सदस्य उषा पटवाल, उपेंद्र नाथ चतुर्वेदी, योगेश सिंह और वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के गोपाल लोदियाल भागीदारी की।


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