Gorakhpur Murder Case : 'हम कोई आतंकवादी थोड़े हैं' यह सुनते ही वर्दी वाले बेरहमों ने युवक को इतना पीटा की परिवार उजड़ गया
Gorakhpur Murder Case (जनज्वार) : कानपुर से चलकर गोरखपुर घूमने गये एक युवक को पुलिस ने जांच के नाम पर पीट-पीटकर मार डाला। होटल के कमरे में मिली युवक की लाश पुलिस की बर्बरता की पूरी कहानी कह रही थी। उसपर भी सीनाजोरी कि, तमाम अधिकारी अफसर पुलिस की तरफदारी करते रहे। बाद के दबाव में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक कानपुर बर्रा तीन के रहने वाले 36 वर्षीय मनीष गुप्ता (Manish Gupta) परिवार का इकलौता सहारा थे। मनीष लखनऊ की एक रियल स्टेट कंपनी में काम करते थे। सोमवार 27 सितंबर को वह अपने दो दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने गये थे। गोरखपुर के मित्र के जरिए तीनो ने तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में कमरा बुक कराया। मनीष के दोनो दोस्तों की माने तो रात लगभग साढ़े 12 बजे होटल के इसी कमरे में पुलिस ने दबिश दी।
होटल के कमरे में मौजूद मनीष गुप्ता, दोस्त प्रदीप कुमार व हरदीप से पहचान पत्र (Identity Card) दिखाने के लिए मांगा गया। जिसपर मनीष ने कहा, 'हम कोई आतंकवादी थोड़े हैं जो आप लोग सोते हुए आदमी को उठाकर परेशान कर रहे।' यह सुनते ही यूपी की तानाशाह पुलिस आगबबूला हो गई। उन्होने मनीष को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। विरोध पर दोस्तों से भी मारपीट की।
आरोप है कि इस मारपीट में मनीष को गंभीर चोटें आई। अस्पताल ले जाने पर उनकी हालत नाजुक बताई गई। जिसके बाद एंबुलेंस बुलाकर मनीष को अकेले ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। यहां तकरीबन ढाई बजे डॉक्टरों ने युवक को मृत (Gorakhpur Murder Case) घोषित कर दिया। गोरखपुर पहुँची पत्नी और परिजनो ने दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग की।
वसूली करने आए पुलिसवालों ने बंदूक की बट से पीटा
मृतक के दोस्त चंदन का कहना है कि, मनीष की ना किसी से दुश्मनी थी और ना ही पुलिस जांच और मारपीट का सवाल उठता है। चंदन का आरोप है कि पुलिसकर्मी वसूली करने आए थे। जब कहासुनी हुई तो मनीष को इतना पीटा की उसकी मौत हो गई। मनीष के पूरे शरीर में जख्म के निशान थे। आंख के पास की चोंट देखकर साफ पता लग रहा था की पुलिस ने बंदूक की बट से वार किया है। हाथ में रिवॉल्वर की नाल धंसाने जैसा सुराख था।
पत्नी बोली दोषी पुलिसवालों को बचा रहे अधिकारी
पत्नी मिनाक्षी अपने चार साल के बच्चे को गोद में लेकर रोते हुए पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगा रही थी। उनने कहा की पुलिस ने मेरे पति (Gorakhpur Murder Case) की हत्या की है। हत्यारों को बचाया जा रहा है। जिसके चलते उनपर केस दर्ज नहीं किया जा रहा। पति की मौत से बेसुध सी हालत में मीनाक्षी ने बताया कि पति के शरीर में कई जख्म थे। इन जख्मों से पुलिस की बर्बरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुलिसवाले ऐसे टूट पड़े मानो हत्या करने आए हों
घटना में मृतक मनीष गुप्ता के दोस्तों ने बताया कि वह बड़े शौक से गोरखपुर देखने आया था, उसकी यह हसरत अधूरी रह गई। आधी रात होटल के कमरे में जांच के नाम पर घुसी पुलिस ने बिना बात इतना पीटा की उसकी मौत हो गई। मनीष का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने पुलिस से सवाल कर दिया की, इतनी रात किसी की नींद खराब कर रहे 'हम कोई आतंकवादी (Terrorist) थो़ेड़े हैं, बस इतना सुनते ही पुलिस ने आतंक ढ़ा दिया।
गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता ने एक युवा व्यापारी की जान ले ली। ये बहुत ही दुखद और निंदनीय है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 28, 2021
उप्र की भाजपा सरकार ने एनकाउंटर की जिस हिंसक संस्कृति को जन्म दिया है, ये उसी का दुष्परिणाम है।
संलिप्त लोगों पर हत्या का मुक़दमा चले और उप्र को हिंसा में धकेलनेवाले इस्तीफ़ा दें। pic.twitter.com/luhjqRTIar
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, 'गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता ने एक युवा व्यापारी की जान ले ली। ये बहुत ही दुखद और निंदनीय है। उप्र की भाजपा सरकार ने एनकाउंटर की जिस हिंसक संस्कृति को जन्म दिया है, ये उसी का दुष्परिणाम है। संलिप्त लोगों पर हत्या का मुक़दमा चले और उप्र को हिंसा में धकेलनेवाले इस्तीफ़ा दें।'
एसएसपी गोरखपुर विपिन ताड़ा (SSP Vipin Tada) ने बताया कि, संदिग्ध लोगों की सूचना पर पुलिस होटल पहुँची थी। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई। चेकिंग में लापरवाही बरतने पर इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी अक्षय मिश्रा, दरोगा विजय यादव, दरोगा राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव सहित कांस्टेबल प्रशांत कुमार को निलंबित कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। इस पूरे मामले की जांच एसपी नार्थ को सौंपी गई है।