Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

सरकार हो या कोई संगठन, सबके झूठ को बेनकाब करना बुद्धिजीवियों का कर्तव्य, बोले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़

Janjwar Desk
28 Aug 2021 5:00 PM GMT
सरकार हो या कोई संगठन, सबके झूठ को बेनकाब करना बुद्धिजीवियों का कर्तव्य, बोले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़
x

जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए फेक न्यूज़ को लेकर भी चिंता जताई है (File pic)

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि झूठ चाहे किसी की ओर से भी प्रचारित हो, राज्य या किसी संगठन, सबके झूठ को बेनकाब करना सार्वजनिक बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है..

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि झूठ चाहे किसी की ओर से भी प्रचारित हो, राज्य या किसी संगठन, सबके झूठ को बेनकाब करना सार्वजनिक बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आस्था की पहली बुनियाद, पहली शर्त भी यही है सत्य का अनुसंधान। ये नहीं कहा जा सकता कि राजनीतिक कारणों से सरकारें झूठ नहीं बोलती या प्रचारित नहीं करतीं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 'स्पीकिंग ट्रुथ टू पॉवर, सिटिजंस एंड द लॉ' विषय पर एक कार्यक्रम के दौरान व्याख्यान दे रहे थे।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हमारी सच्चाई' बनाम 'आपकी सच्चाई' और सच्चाई की अनदेखी करने की प्रवृत्ति के बीच एक प्रतियोगिता है जो सच्चाई की धारणा के अनुरूप नहीं है। 'सच्चाई की तलाश' नागरिकों के लिए प्रमुख आकांक्षा होनी चाहिए। हमारा आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' है। हमें राज्य यानी शासन और प्रशासन के साथ साथ विशेषज्ञों से सवाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई केवल उस बात पर विश्वास नहीं कर सकता जो सरकार बता रही है। ज्यादातर सरकारें अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए झूठ बोलती हैं। पूरी दुनिया में यह ट्रेंड देखा जा रहा है उन्होंने कोविड के सही आंकड़े नहीं पेश किए।

जस्टिस ने कहा कि फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लैटफॉर्म को भी झूठी खबरों पर लगाम लगाने की जरूरत है। दूसरी तरफ हर शख्स को चौकन्ना रहना चाहिए। किसी बात का तर्क ढूंढने, सच का पता लगाने, पढ़ने और दूसरे के विचारों को स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, 'हम पोस्ट ट्रुथ की दुनिया में हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म गलत खबरों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं लेकिन हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। हम ऐसे युग में हैं जब सभी धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक लाइन से बंट चुके हैं। हम केवल खुद को सही साबित करने का प्रयास करते हैं. जब कोई दूसरा विचार रखता है तो टीवी म्यूट कर देते हैं। इसीलिए सच का पता भी नहीं चल पाता है।'

उन्होंने कहा, 'फेक न्यूज फैलाने का काम बढ़ रहा है। कोरोना के दौर में WHO ने इसे इन्फोडेमिक नाम दिया है। मानव स्वभाव है कि लोग चौकाने वाली खबरों की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं और ये खबरें झूठ पर आधारित होती हैं। पिछले साल फरवरी में जब महामारी फैल रही थी तभी डब्ल्यूएचओ ने सावधान किया था कि गलत खबरें भी फैलाई जा सकती हैं।'

Next Story

विविध