Gyanvapi Masjid Case : 'याचिकाकर्ताओं का सहयोग कर रहे स्थानीय डीएम-यह दुर्भाग्यपूर्ण', सुपीम कोर्ट के आदेश पर ओवैसी
Gyanvapi Masjid Case : याचिकाकर्ताओं का सहयोग कर रहे स्थानीय डीएम, यह दुर्भाग्यपूर्ण, सुपीम कोर्ट के आदेश पर ओवैसी
Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख व हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वजू की इजाजत दी है। जब तक वजू ना करें तब तक नमाज नहीं पढ़ी जा सकती है।
एआईएमआईएम प्रमुख (Asaduddin Owaisi) ने आरोप लगाया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय डीएम याचिकाकर्ताओं के साथ सहयोग कर रहे हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति दें तो इसमें तालाब से वजू शामिल है। जब तक वजू न करें तब तक नमाज नहीं पढ़ी जा सकती। फव्वारा संरक्षित किया जा सकता है लेकिन तालाब खुला होना चाहिए।
ओवैसी ने कहा कि भविष्य के विवादों को रोकने के लिए उपासना स्थल अधिनियम 1991 बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर सुनवाई के दौरान कहा था कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है। कोर्ट को इस बात पर चलना चाहिए।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Masjid Case) को वाराणसी की जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि कोई अनुभवी और वरिष्ठ जज इस मामले की सुनवाई करेंगे।
वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि शिवलिंग की सुरक्षा और नमाज की इजाजत देने का उसका 17 मई का अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा। मस्जिद कमेटी की याचिका पर जिला अदालत में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई होगी। इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में करने का फैसला किया है।