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GST एक्ट के तहत भारत में पहली बार हरिद्वार के व्यापारी को हुई सजा, फर्जी बिलों पर ले लिया 17 करोड़ का क्लेम

Janjwar Desk
18 Dec 2022 11:44 AM IST
GST एक्ट के तहत भारत में पहली बार हरिद्वार के व्यापारी को हुई सजा, फर्जी बिलों पर ले लिया 17 करोड़ का क्लेम
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GST एक्ट के तहत भारत में पहली बार हरिद्वार के व्यापारी को हुई सजा, फर्जी बिलों पर ले लिया 17 करोड़ का क्लेम

प्रतीकात्मक फोटो।


Haridwar news : आरोपी व्यापारी ने ई-वे बिल में माल ढुलाई के लिए जिन वाहनों को दर्शाया था, वह सब दोपहिया वाहन निकले, इसके साथ ही किसी भी वाहन ने टोल प्लाजा क्रॉस ही नहीं किया,ई-वे बिल बनाने के लिए एक ही मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया था...

Haridwar news : देश में माल एवं सेवा कर अधिनियम लागू होने के बाद जीएसटी (GST) चोरी के मामले में माल एवं सेवा कर अधिनियम के तहत उत्तराखंड में पहली सजा हरिद्वार जिले में हुई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरिद्वार की कोर्ट ने दोषी व्यापारी सुरेंद्र सिंह को पांच साल के कारावास और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई है। राज्य कर विभाग का दावा है कि जीएसटी चोरी में अदालत से दोषी को सजा होने का देश में पहला मामला है।

राज्य कर विभाग की सीआईयू टीम ने अप्रैल 2022 में हरिद्वार जिले के ज्वालापुर निवासी सुरेंद्र सिंह की छह फर्मों पर कार्रवाई की थी। जांच में विभाग ने पाया कि आरोपी ने फर्जी बिल कर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लिया था। इसमें व्यापारी द्वारा लगभग 17 करोड़ का फर्जी क्लेम लिया गया था। विभाग की जांच में पाया गया कि सुरेंद्र सिंह ने जीएसटी पंजीकरण में मुख्य व्यापार मैनपावर सप्लाई का दिखाया था, लेकिन उसके द्वारा दिल्ली व हरियाणा की फर्मों से आयरन, फ्लाईवुड, फर्नीचर की फर्जी खरीद दिखाकर आईटीसी का क्लेम लिया जा रहा था। फर्जी बिलों में जिन फर्मों से खरीद दिखाई गई वे दिल्ली व हरियाणा में नहीं थीं। आरोपी को राजेश डूडानी फर्जी बिल बनाकर देता था, जिसके दम पर माल खरीद किए बिना ही फर्जी बिलों से आईटीसी का लाभ लिया जा रहा था।

जीएसटी चोरी मामले की जांच कर रहे डिप्टी कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह चौहान, विनय पांडेय ने पाया कि आरोपी ने ई-वे बिल में माल ढुलाई के लिए जिन वाहनों को दर्शाया था, वह सब दोपहिया वाहन निकले। इसके साथ ही किसी भी वाहन ने टोल प्लाजा क्रॉस ही नहीं किया। ई-वे बिल बनाने के लिए एक ही मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया था।

इतना ही नहीं बल्कि आरोपी सुरेंद्र सिंह ने छह अलग-अलग फर्मों को जीएसटी में पंजीकृत किया था। इसमें मैसर्स पीएस इंटरप्राइजेज, एसएसएस इंटरप्राइजेज, सुरीत मेटल, पीएसडी पैकेजिंग, एसएसएस इंटरप्राइजेज, दीपक इंटरप्राइजेज शामिल हैं, जबकि विभाग की जांच में मौके पर मैसर्स पीएस इंटरप्राइजेज के अलावा अन्य कोई फर्मे नहीं चल रही थी।

इस मामले की विस्तृत जांच के बाद व्यापारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले में व्यापारी सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया था। शनिवार को सीजेएम हरिद्वार मुकेश चंद्र आर्य की कोर्ट में व्यापारी का यह मुकदमा चला। जहां कोर्ट ने सुरेंद्र सिंह को दोषी करार देते हुए दोषी व्यापारी सुरेंद्र सिंह को पांच साल के कारावास और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना जमा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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