हरियाणा में किसानों ने तोड़े बैरिकेड, दागे गए आंसू गैस के गोले, पानी की बौछारें
चंडीगढ़। हजारों किसानों ने गुरुवार को अंबाला के पास शंभू में पंजाब-हरियाणा सीमा से आगे पुलिस बैरिकेड तोड़ दिया, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने उन पर आंसू गैस के गोले दागने के साथ, पानी की बौछारें की। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। किसानों ने बैरिकेड को तोड़ते हुए उन्हें पुल से नीचे फेंक दिया। अखिल भारतीय किसान सभा के अनुसार, मौके पर 50,000 से अधिक किसान मौजूद हैं।
रात भर हुई बारिश, सर्द हवाओं और बढ़ते तनाव के बीच हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा-पंजाब सीमाओं पर विभिन्न स्थानों पर इकट्ठे हो गए। केंद्र द्वारा लागू किए गए तीन कृषि बिलों के विरोध में उनके 'दिल्ली चलो' आह्वान के अंतर्गत राष्ट्रीय राजधानी की ओर रुख करने के दौरान हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स सहित पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी को तैनात किया गया है। उन्होंने बुधवार शाम से एकत्र किसानों को तितर-बितर करने की कोशिश की।
पंजाब-हरियाणा सीमा के पास स्थित कई इलाकों के निवासियों को पिछले 24 घंटों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती और बस सेवाओं के ठप होने के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने सड़कों और अन्य खुले स्थानों पर भीड़ जमा कर ली है। हरियाणा में प्रवेश करने वाली कई लिंक सड़कों को भी बंद कर दिया गया है।
प्रदर्शन कर रहे एक किसान गुरदेव सिंह ने अम्बाला शहर के पास शंभू सीमा पर मीडिया से कहा, 'अगर हमें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई, तो हम सभी बैरिकेड तोड़ देंगे।' किसानों ने कहा कि वे गोलियां खाने के लिए भी तैयार हैं।
सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गई है और पूरी सीमाओं को एक किले में बदल दिया गया है। इससे एक दिन पहले किसानों की हरियाणा पुलिस के साथ जबरदस्त हाथापाई हुई थी, लेकिन बलों की भारी तैनाती और पानी के तोपों के प्रयोग के बावजूद उन्हें आगे बढ़ने से रोकने में पुलिस असफल रही।
वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पर शंभू सीमा पर किसानों और पुलिस के बीच बड़ी हाथापाई हुई, इसके बाद भी किसान बैरिकेड को तोड़ दिल्ली जाने में सफल रहे। प्रदर्शन में किसानों के साथ युवा व बुजुर्ग महिलाएं, स्कूल और कॉलेज के छात्र भी शामिल हैं, जो वाटर कैनन के उपयोग के बावजूद ट्रैक्टर-ट्रेलर, कार और मोटरसाइकिलके सहारे पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने में कामयाब रहे।
इसके बाद वे हरियाणा के हजारों किसानों के साथ शामिल हो गए, जिसका नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राज्य प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने किया। जैसे ही वे कुरुक्षेत्र जिले में पहुंचे स्थानीय किसान उनसे जुड़ गए।चढूनी ने कहा, 'पुलिस को हमारे कार्यकतार्ओं और वाहनों को छोड़ देना चाहिए। हम बैरिकेड्स तोड़ते हुए दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।' पुलिस ने हरियाणा के लगभग 100 किसान नेताओं को 'एहतियातन हिरासत' में लिया है।
पुलिस के अनुमान के अनुसार, दोनों राज्यों के लगभग 3,00,000 किसान अपने 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तहत दिल्ली पहुंचने के लिए तैयार हैं। करीब 33 संगठनों से जुड़े किसान संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा हैं, जो 470 से अधिक किसान यूनियनों का अखिल भारतीय निकाय है। ये सभी 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले हैं।
हरियाणा में प्रवेश करने से रोके गए किसान संगठनों के नेताओं ने घोषणा की कि वे एक सप्ताह के लिए बठिंडा और सिरसा जिलों के बीच डबवाली बैरियर पर 'धरना' पर बैठेंगे। बीकेयू (उग्रहन) के अध्यक्ष जोगिंदर उग्रहन ने कहा, 'अगर हमें गुरुवार को हरियाणा और दिल्ली की ओर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो हमारा विरोध गंतव्य एक सप्ताह तक के लिए सीमा बिंदु होगा।'
दिल्ली पुलिस ने पहले ही किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने के लिए कहा है, क्योंकि उन्हें शहर में विरोध करने की अनुमति नहीं दी गई है। हरियाणा पुलिस ने भी यात्रा को लेकर दिशानिर्देश जारी किया है, जिससे यात्रियों को विरोध के मद्देनजर पंजाब और दिल्ली के साथ राज्य की सीमाओं के साथ कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों से बचने के लिए कहा गया है।
हरियाणा में होने वाले प्रदर्शनकारियों का मुख्य फोकस चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जो दिल्ली की ओर जाने वाले प्रमुख मार्ग हैं- अंबाला से दिल्ली, हिसार से दिल्ली, रेवाड़ी से दिल्ली और पलवल से दिल्ली।