Haryana News: बाजरा का नहीं मिल रहा किसानों को MSP तो क्या अब डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अपना पद छोड़ देंगे
Pic Courtsey: Google
चंडीगढ़ (जनज्वार): हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने तीन कृषि कानूनों पर दावा किया था कि यदि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला तो वह अपना पद तुरंत छोड़ देंगे। अब क्योंकि बाजरा की जो भावांतर योजना सरकार ने लागू की, इस योजना के बाद भी किसानों को बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। तो अब सवाल यह है कि क्या डिप्टी सीएम पद छोड़ेंगे?
क्योंकि डिप्टी सीएम ने कई बार यह दावा किया था कि तीन कृषि कानून से किसानों को नुकसान नहीं है। वह किसानों के हित में हर वक्त खड़े हैं। तीन कृषि कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य को दिक्कत नहीं है। यदि फिर भी किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं मिला तो वह तुरंत पद छोड़ देंगे।
तीन कृषि कानूनों को लेकर भाजपा के साथ साथ जेजेपी पार्टी भी किसानों और प्रदेश के मतदाताओं के निशाने पर हैं। अक्सर दुष्यंत चौटाला पर इस बात का दबाव बनाया जाता है कि वह भाजपा से समर्थन वापस लें।
यह दबाव इसलिए भी बनाया जाता है क्योंकि जेजेपी चौधरी देवी लाल के नाम पर राजनीति करती है। जो कि किसानों के बड़े नेता थे। अब जबकि कृषि कानूनों को लेकर किसान विरोध कर रहे हैं,इसलिए जेजेपी पर भी दबाव है कि वह किसानों के हित में काम करे। इसका बचाव जेजेपी और इसके रणनीतिकारों ने इस तरह से निकाला कि एमएसपी को कोई दिक्कत नहीं है।
लेकिन अब यह तथ्य भी सामने आ गया कि प्रदेश में बाजरा एमएसपी से कम दाम पर बिक रहा है। इसलिए विपक्ष दुष्यंत चौटाला को घेर रहा है। उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या वह पद छोड़ देंगे?
हरियाणा की राजनीति को लंबे समय से कवर करने वाले पत्रकार राकेश शर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं होगा। जेजेपी के नेता बढ़ चढ़ कर बयान जारी कर देते हैं। वह अपने बयान में फंस जाते हैं। इसके बाद बचाव के लिए कोई इसी तरह का दूसरा बयान खड़ा कर देते हैं। मसलन कभी बोल देंगे कि दुष्यंत चौटाला को इस्तीफा जेब में लेकर घूम रहे हैं। हम किसानों का अहित नहीं होने देंगे।
लेकिन अभी तक जेजेपी की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया,जिससे यह लगे कि वह किसानों के हित में हैं।
जेजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि मतदाता जल्द ही बात भूल जाता है। इसलिए जो मर्जी आए बोलते रहो। लेकिन यह सही नहीं है। मतदाता अब समझदार हो रहे हैं। वह बस मौके की इंतजार में हैं।
क्या है बाजरे की भावांतर योजना
सीएम मनोहर लाल ने घोषणा की थी कि इस बार सरकार बाजरे की सिर्फ 25 प्रतिशत खरीद एमएसपी पर करेगी। सीएम ने तब बोल था कि बाकी का बाजरा किसान खुले बाजार में बेचेगा। तब सरकार की ओर से दावा किया गया था कि खुले बाजार में बाजरे का रेट 1650 रुपए है। बाकी के 600 रुपए प्रति क्विंटल सरकार देगी।
इस तरह से होना था किसानों का घाटा पूरा
किसान खुले बाजार में बाजरा बेच दें। जो एमएसपी का अंतर आएगा, सरकार इसकी भरपाई करेगी। यानी किसानों को 600 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाएगा। इसके लिए किसानों बाजरे की फसल को 'मेरी फसल, मेरा ब्यौरा' में दर्ज भी कराना होगा। लेकिन अब हुआ इसके विपरीत। मंडियों में बाजार 1110 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। यानी एमएसपी से आधे दाम पर। सरकार के यदि 600 रुपए जोड़ लिए जाए तो दाम बनता है 1710 रुपए प्रति क्विंटल। तो यह बाजरे के एमएसपी 2250 से तो कम ही हुआ।
योजना में पहले ही दोष था
किसान नेता सुखजिन्द्र सिंह 43 ने बताया कि सीएम की इस योजना में पहले ही दोष था। क्योंकि जिस दिन सरकार ने यह दावा किया कि बाजरे की 25 प्रतिशत खरीद होगी। उसी दिन खुले बाजार में बाजरे के दाम डाउन आ गए थे। अब तो दिक्कत यह है कि बाजरा बिक ही नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आ रहा कि सरकार की इस योजना का आधार है क्या?
इनेलो ने जताया रोष
इधर इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को हर तरह से परेशान कर रही है। बाजार को लेकर सरकार की स्पष्ट नीति न होने की वजह से किसान बहुत ही कम दाम पर फसल बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से व्यापारियों के साथ है। इसलिए किसानों को तंग किया जा रहा है। अभय सिंह चौटाला ने दुष्यंत चौटाला पर तंज कसते हुए कहा कि वह झूठ की राजनीति कर रहे हैं। यदि वास्तव में दुष्यंत चौटाला को किसानों की चिंता होती तो वह तुरंत भाजपा सरकार से अलग हो जाते। काबिल ए गौर है कि अभय सिंह चौटाला इनेलो के एकमात्र विधायक चुने गए थे। इसके बाद भी उन्होंने तीन कृषि कानूनों को लेकर विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया था।
हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा ने बताया कि तीन कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा खामियाजा जेजेपी को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि हरियाणा में भाजपा, की दो बार सरकार बनने का कारण मौदी मैजिक है। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। जेजेपी अभी नई पार्टी है। उसका हरियाणा में अच्छा होता, लेकिन बीजेपी के साथ मिल कर उन्होंने कम से कम अभी तो अपने लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर ली है। इससे जेजेपी का निकलना मुश्किल होता नजर आ रहा है।
यदि जेजेपी के रणनीतिकार यह समझ रहे हैं कि सब ठीक हो जाएगा तो वह गलत है। भाजपा सरकार की नीतियां पूरी तरह से किसानों के विपरीत नजर आ रही है। बाजरे का भाव मंडियों में नहीं मिल रहा है। धान उत्पादक किसान भारी परेशानी से दो चार हो रहे हैं। धान की सरकारी खरीद में लगातार अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। इधर रही सही कसर मौसम ने पूरी कर दी है।
इस बार धान और बाजरे का सीजन हरियाणा के किसानों के लिए खासा भारी होता नजर आ रहा है। जिससे किसान भारी गुस्से में हैं।