खट्टर सरकार के फैसले से गुरुग्राम में पैदा हो सकता है नौकरियों का संकट
(हरियाणा बेरोजगारी दर में सबसे आगे)
पीयूष पंत की टिप्पणी
जनज्वार। भाजपा शासित राज्यों की डबल इंजन सरकारें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के विज़न में लगातार पलीता लगाती दिखाई दे रही हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण भाजपा शासित हरियाणा राज्य की ठक्कर सरकार है, जिसने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगो के लिए 75 फीसदी आरक्षण का क़ानून पास कर गुरुग्राम की बड़ी-बड़ी कंपनियों को देश के दूसरे राज्यों में कार्यालय ले जाने की बात सोचने को मजबूर कर दिया है।
आईटी और बीपीओ उद्योग के संगठन नैसकॉम (NASSCOM) ने हरियाणा की खट्टर सरकार को चेतावनी दी है कि उसके इस कदम से स्टार्ट अप्स दूसरे राज्यों को पलायन कर सकते हैं। संगठन का कहना है कि बीजेपी सरकार का यह फैसला उनके लिए हितकारी नहीं है, इसलिए जो कंपनियां दूर नहीं जाना चाहती वे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली की ओर पलायन कर सकती हैं, हाँ, कुछ कंपनियां बेंगलुरु भी जा सकती हैं, क्योंकि कर्नाटक की राजधानी को इस तरह की कंपनियों का हब माना जाता है।
गौरतलब है कि बेंगलुरु और हैदराबाद के बाद गुरुग्राम ही वो महानगर है जहां गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, टीसीएस, इनफ़ोसिस, जेनसेट जैसी कंपनियों के सबसे ज़्यादा आईटी और बीपीओ कर्मचारी काम करते हैं।
NASSCOM के एक अधिकारी का कहना है, "यह उद्योग लोगों को क़ाबिलियत के आधार पर भर्ती करता है न कि उनके घर के पते के आधार पर। उद्योग को समझ में नहीं आ रहा कि सरकार को नौकरियों में स्थानीय आरक्षण देने की क्यों सूझी?"
NASSCOM की वाइस प्रसिडेंट संगीता गुप्ता कहती हैं कि पिछले 5 सालों के दौरान हरियाणा में तकरीबन 700 टेक्नोलॉजी आधारित स्टार्टअप आये। नौकरियों में रिज़र्वेशन से इनकी सेहत पर बहुत अधिक असर पड़ेगा। NASSCOM का कहना है कि स्टार्ट अप को सरकार से संरक्षण की ज़रुरत है। ऐसे कदमों से इनके ऊपर बेवज़ह दबाव न डाला जाये।
IvyCap Ventures के विक्रम गुप्ता का कहना है कि जो स्टार्टअप पहले से काम कर रहे हैं वे दबाव में आ जायेंगे तो नए उभरते उद्यमी इस दबाव से बचने के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा का रूख कर सकते हैं। ऐसा करना हरियाणा के लिए नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि नौकरियां लगातार कम होती चली जाएंगी।
लिहाजा राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सफ़ाई पेश करते हुए कहना पड़ा कि स्थानीय लोगों को केवल नॉन टैक्निकल नौकरियों में ही 75 फीसद आरक्षण दिया जाएगा और यह आरक्षण भी 50 हज़ार रुपयों से कम सैलरी वाले पदों पर ही लागू होगा।
गौरतलब है कि मनोहर लाल खट्टर के इस बयान के बाद ही राज्य की कुछ कंपनियों को अब चैन मिला है।