Hijab Controvercy : '...अन्यथा नागा साधु भी बिना कपड़ों के क्लास में हो सकते शामिल', सुप्रीम कोर्ट में 'समान पोशाक' के लिए PIL दाखिल
(हिजाब के चलते प्रैक्टिकल एग्जाम नहीं दे पायीं छात्राएं। प्रतीकात्मक चित्र)
Hijab Controvercy : कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद को लेकर हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में सुनवाई चल रही है। वहीं दूसरी शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है जिसमें समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय अखंडता के वास्ते पंजीकृत शिक्षण संस्थानों (Registered Educational Institutions) में कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए समान पोशाक संहिता लागू करने का केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अश्विनी दुबे (Advocate Ashwini Upadhyay And Ashwini Dubey) के की ओर से दाखिल जनहित याचिका में केंद्र सरकार को एख न्यायिक आयोग अथवा विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है जो सामाजिक और आर्थिक न्याय, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों को सिखाने तथा विद्यार्थियों के बीच भाईचारा, सम्मान, एकता और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने के उपाय बताए।
याचिका में केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अलावा विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controvercy) को लेकर 10 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में हुए प्रदर्शनों का भी संदर्भ दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक स्थान हैं और ये ज्ञान एवं बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल, अच्छे स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हैं, न कि जरूरी और गैर जरूरी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए।
याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए सभी स्कूल कॉलेजों में समान पोशोका संहिता लागू करना बेहद जरूरी है, अन्यथा कल नागा साधु आवश्यक धार्मिक प्रथा का हवाला देते हुए महाविद्यालयों में प्रवेश ले सकते हैं और बिना कपड़ों के कक्षा में शामिल हो सकते हैं।