India-US Relation : इंडिया को चेतावनी देकर अमेरिकी डिप्टी एनएसए ने सोशल मीडिया पर कराई अपनी फजीहत, जानिए किसने क्या कहा?
अमेरिकी डिप्टी एनएसए दलीप सिंह और यूएन में भारतीय प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन।
India-US Relation : रूस और यूक्रेेन युद्ध ( Russia Ukraine War ) के बीच भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे अमेरिकी डिप्टी एनएसए ( American Deputy NSA ) दलीप सिंह ( Daleep Singh ) ने ऐसा बयान दे दिया है, जिससे आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ सकता है। फिलहाल दलीप सिंह की बयान की वजह से जो बाइडेन (Jo Biden ) सरकार की सोशल मीडिया ( Social Media ) पर जबरदस्त फजीहत जारी है। वहीं भारत ने डिप्लोमैसी की भाषा से अनभिज्ञ अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह को समझा दिया है कि उनके बयान से हमारे ऊपर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
सोशल मीडिया यूजर ओजी24सी ने दलीप सिंह को नसीहत देते हुए कहा है कि क्या किसी देश को भारत आकर यह कहने की जरूरत है कि अगर चीन ( China ) नियंत्रण रेखा पार कर गया तो रूस भारत ( BJP ) को बचाने नहीं आएगा? क्या उनकी नजर में भारत इतना कमजोर है कि हमें अमेरिका ( America ) या रूस ( Russia ) की मदद लेनी चाहिए?
ट्विटर यूजर राशि@innsai_07 ने कहा है कि एक बार हमारे कठपुतली प्रधानमंत्री एक बड़े आतंकवादी हमले के बाद ओबामा से सहायता के लिए एक डरे हुए चूहे की तरह दौड़े। आज अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिका ( India-US Relation ) के हित रूस से नजदीकी कालाभ उठाए। साथ ही दलीप सिंह जैसे भूरे कुलियों को धमकाने के लिए नई दिल्ली भेजता है। देने के लिए भेजते हैं। अमेरिका ने भारत को वेस्प का सैटेलाइट स्टेट समझ रखा है क्या?
आनंद रंगनाथन नामक ट्विटर यूजर ने कहा कि अमेरिका खुद यूक्रेन के आक्रमण के एक पखवाड़े तक रूस से अपने कच्चे तेल का 9% आयात कर रहा था। जब चीन ने 2020 में एलएसी का उल्लंघन किया तो चुपचाप बैठा रहा। रूस वो देश है जिसने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हमारा साथ दिया था। आशा है भारत इस अहंकारी कोको दलीप सिंह को अपनी जगह दिखाएगा।
अमेरिकी डिप्टी NSA ने क्या कहा था?
अमेरिका के डिप्टी NSA दलीप सिंह ( Dalip Singh ) ने कहा कि अमेरिका नहीं चाहेगा कि कोई भी देश रूस के केंद्रीय बैंकों के साथ वित्तीय लेनदेन करे। फिलहाल भारत का रूस से ऊर्जा ( तेल-गैस ) आयात करना किसी भी तरह से अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं है, लेकिन अमेरिका चाहेगा कि भारत 'गैरभरोसेमंद आपूर्तिकर्ता' पर अपनी निर्भरता कम करने के तरीके खोजे। हम ऐसा मैकेनिज्म नहीं देखना चाहते, जो रूबल ( रूसी मुद्रा ) को आगे बढ़ाने या डॉलर आधारित फाइनेंशियल सिस्टम को कमजोर करने का काम करे।
दलीप सिंह ने चीन का नाम लेकर भारत को धमकाने की कोशिश भी की। उन्होंने कहा कि रूस ने कहा था कि चीन उसका सबसे जरूरी रणनीतिक साझेदार है। इसका भारत पर प्रभाव पड़ेगा। चीन के साथ साझेदारी में रूस जूनियर पार्टनर है जो भारत के हितों के लिए हानिकारक है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात का भरोसा करेगा कि अगर चीन ने एक बार फिर LAC का उल्लंघन किया तो रूस भारत की रक्षा के लिए दौड़ा चला आएगा।
अमेरिकी डिप्लोमैट दलीप सिंह का ये बयान ऐसे समय आया है जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) भी गुरुवार को दो दिन के भारत दौरे पर पहुंचे। नतीजा यह हुआ कि अमेरिकी डिप्टी एनएसए के इस बयान पर अब तनातनी भी शुरू हो गई है।
अकबरूद्दीन ने दलीप को समझाया डिप्लोमैसी का पाठ
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरूद्दीन ( Syed Akbaruddin ) ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर अमेरिकी डिप्टी एनएसए की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि तो ये हमारा दोस्त है। यह तो कूटनीति की भाषा तक नहीं जानता। इसकी भाषा जबरदस्ती की भाषा है। कोई इस युवक को बताए कि एकतरफा दंडात्मक प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।