Indian Judiciary : देश की अदालतों में 4.73 करोड़ केस पेंडिंग, जजों के 5,385 पद हैं खाली
Indian Judiciary : देश की अदालतों में 4.73 करोड़ केस पेंडिंग, जजों के 5,385 पद हैं खाली
Indian Judiciary : देश की निचली अदालतों से लेकर शीर्ष अदालतों में करोड़ों केस पेंडिंग हैं। पेंडिंग मामले भारतीय न्यायिक व्यवस्था के समझ न केवल अहम चुनौती हैं, बल्कि उसकी असक्षमता के पर्याय भी बनते जा रहे हैं। इस बीच राज्यसभा में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश की निचली अदालतों में 4.73 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। हाईकोर्ट में करीब 60 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 71 हजार से अधिक केस पेंडिंग हैं। देश की अदालतों में जजों के खाली पदों की संख्या भी काफी ज्यादा है।
लंबित मामले अहम क्यों
दरअसल, लंबित मामलों को अहम इसलिए माना जाता है कि यही वो कारक है जो किसी देश की न्यायिक व्यवस्था को सक्षम और असक्षम बनाते हैं। हाल ही में जजों की कॉन्फ्रेंस में देशभर में पेंडिंग केसों पर चिंता जताई गई थी। साथ ही कहा गया था कि जजों पर काम का भारी बोझ है। सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई एनवी रमण ने तीन अप्रैल को कहा था कि अस्पष्टता के कारण मुकदमेबाजी बढ़ी है।
इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एमएल लाहोटी का कहना है कि अदालतों पर केस का बोझ बहुत ज्यादा है। एक-एक अदालत में दर्जनों और कई बार 100 से ज्यादा केस लिस्टेड होते हैं। जजों के स्वीकृत पदों में से काफी पद खाली होने के कारण मामले लंबित हैं। जजों के खाली पदों को भरना जरूरी है। इतना ही नहीं स्वीकृत पदों की संख्या को भी बढ़ाने की जरूरत है।
देश की अदालतों में पेंडिंग मामले
सुप्रीम कोर्ट में 2 अगस्त 2022 तक कुल 71,411 केस पेंडिंग हैं। 10,491 केस एक दशक से ज्यादा पुराने हैं। 42 हजार केस पांच साल तक पुराने हैं। जुलाई तक देशभर के 25 हाईकोर्ट में 59,55,905 केस पेंडिंग हैं। देश की निचली अदालतों में 4.13 करोड़ केस पेंडिंग हैं।
जजों के हजारों पद खाली
देश की निचली अदालतों में जजों के पदों की स्वीकृत संख्या 24 हजार है। उनमें से 5000 पद खाली हैं। 1 जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में कुल स्वीकृत 34 पद हैं, जिनमें से 4 पद खाली हैं। देश के 25 हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 1108 है। उनमें 381 पद खाली हैं।
जजों के सबसे ज्यादा स्वीकृत 160 पद इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं। वहां 67 पद खाली हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में कुल 94 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 39 खाली हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में जजों के 60 पद हैं जिनमें 13 खाली हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जजों के कुल पदों की संख्या 85 है, जिनमें से 38 पद खाली हैं। कोलकाता हाईकोर्ट में कुल 72 पद मंजूर हैं, जिनमें 26 पद खाली हैं।