भारतीय सैनिकों के पास हथियार थे लेकिन उन्होंने नहीं चलाए, आज भी होगी भारत-चीन वार्ता
जनज्वार ब्यूरो। भारत व चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर तनाव को कम करने के लिए गुरुवार को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत कुछ सकारात्मक बिंदुओं पर खत्म हुई। हालांकि, कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। दोनों देशों के सैन्य अधिकारी शुक्रवार को भी बातचीत जारी रखेंगे। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गलवान घाटी में सोमवार की रात भारत व चीनी सेना के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे।
सूत्रों ने कहा, चीन के साथ और अधिक सौहार्दपूर्ण वातावरण में वार्ता हुई। बातचीत को आगे भी लेकर जाने पर सहमति बनी। दोनों सेनाओं द्वारा कल (शुक्रवार को) भी बातचीत किए जाने की उम्मीद है। भारतीय सेना ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शामिल कोई भी भारतीय जवान लापता नहीं है।
ऐसी खबरें थीं कि झड़प के बाद सोमवार रात से 10 भारतीय सैनिक लापता थे। झड़प में कुछ चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की बात सामने आई है, मगर इनकी संख्या एकल अंकों (10 से कम) में बताई जा रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सोमवार रात भारतीय सेना के जिन जवानों पर हमला किया गया, उनके पास हथियार थे मगर उन्होंने चीनी सैनिकों पर गोली नहीं चलाई।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई हिंसक झड़प के बाद बढ़े तनाव को कम करने के लिए बुधवार को भी शीर्ष भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों ने गलवान घाटी में बातचीत की थी, लेकिन तीन घंटे तक चले संवाद का कोई नतीजा नहीं निकल सका था। झड़प गलवान नदी के दक्षिणी तट पर हुई, जो श्योक नदी के साथ अपने संगम से पहले पूर्व-पश्चिम दिशा में बहती है।
संवाद यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी गलवान घाटी से अपने सभी सैनिकों को वापस कर ले और सभी सैन्य शिविरों को भी हटा लिया जाए। दोनों सेनाओं ने संघर्ष स्थल पर हजारों सैनिकों को फिर से तैनात किया है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना के अधिकारियों ने चीनी समकक्षों को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें वापस जाना होगा।
मेजर जनरल अभिजीत बापट, जो भारतीय सेना की 3-डिवीजन के कमांडर हैं, उन्होंने 15-16 जून की रात को हुई झड़प के संबंध में चीनी अधिकारियों के सामने कई पहलुओं को उठाया है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ झड़प में भारतीय सैनिक 1975 के बाद पहली बार शहीद हुए हैं। उस समय एक भारतीय गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर हमला किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि उस समय भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हुए थे। एक सूत्र ने बुधवार को आईएएनएस से कहा था कि सोमवार की रात जब झड़प हुई उस समय भारतीय जवान चीनी सैनिकों की अपेक्षा कम थे। सूत्रों ने कहा कि इनकी संख्या का अनुपात 1:5 था। यानी पांच चीनी सैनिकों के मुकाबले एक भारतीय जवान मौके पर था। इसके बावजूद भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों का न सिर्फ डटकर मुकाबला किया, बल्कि उन्हें भी नुकसान पहुंचाया।
सूत्रों ने यह भी बताया कि चीन ने भारतीय सैनिकों का पता लगाने से पहले थर्मल इमेजिंग ड्रोन का इस्तेमाल किया था। वर्तमान में कई भारतीय जवान गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है। सूत्रों ने कहा कि शहीदों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि गंभीर रूप से घायल सैनिकों की संख्या 10 से अधिक है।