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India's Urban Population : भारत की शहरी आबादी 2035 तक 6.5 करोड़ होने की संभावना

Janjwar Desk
1 July 2022 4:30 PM IST
Indias Urban Population : भारत की शहरी आबादी 2035 तक 6.5 करोड़ होने की संभावना
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India's Urban Population : भारत की शहरी आबादी 2035 तक 6.5 करोड़ होने की संभावना

India's Urban Population : भारत की शहरी आबादी के 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है और इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी जनसंख्या के मुकाबले दूसरे स्थान पर होगा...

India's Urban Population : भारत की शहरी आबादी के 2035 तक 67.5 करोड़ हो जाने का अनुमान है और इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी जनसंख्या के मुकाबले दूसरे स्थान पर होगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार कोविड महामारी के बाद दुनिया में शहरों में रहने वालों की संख्या पिछले स्तर पर पहुंच गई है और 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि की संभावना है।

वैश्विक शहरी आबादी पिछले स्तर पर

दुनिया में शहरीकरण के बारे में संयुक्त राष्ट्र की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से शहरीकरण पर कोविड-19 महामारी का स्थाई असर पड़ रहा है और इसकी रफ्तार में थोड़ी देर के लिए धीमी पड़ी है। साथ ही इसमें कहा गया है कि वैश्विक शहरी आबादी पिछले स्तर पर आ गई है और 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि का अनुमान है।

चीन की शहरी आबादी 2030 तक होगी 1.05 अरब

साथ ही रिपोर्ट में चीन के बारे में कहा गया है कि वहां 2030 तक शहरी आबादी 1.05 अरब हो जाएगी जबकि एशिया में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 2.99 अरब होगी। दक्षिण एशिया में यह संख्या 98.6 तर करोड़ होगी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक आबादी में बड़ी हिस्सेदारी है तथा इन देशों में आर्थिक वृद्धि से वैश्विक समानता पर सकारात्मक रूप से असर पड़ा है।

भारत की आर्थिक वृद्धि और शहरीकरण तेजी से बढ़ा

इसमें कहा गया है कि एशिया में पिछले दो दशकों में चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि और शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। इससे गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार खासकर निम्न आय वाले देशों में जन्म दर बढ़ने के साथ मौजूदा शहरी आबादी में वृद्धि जारी रहेगी। इसके साथ 2050 तक कुल वैश्विक आबादी में शहरों में रहने वाले लोगों की जनसंख्या 68 फीसद पहुंचने का अनुमान है। जो अभी 56 फीसद है। इसमें कहा गया है कि गरीबी और समानता शहरों के समक्ष सबसे कठिन और जटिल समस्याओं में से एक है।

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