अक्षय पात्र फाउंडेशन की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट से फंड के उपयोग पर उठा सवाल
पूजा प्रसन्ना
इस्काॅन के मिशनरियों द्वारा नियंत्रित अक्षय पात्र फाउंडेशन में दानदाताओं और सरकारी खजाने से प्राप्त राशि को लेकर कोई जवाबदेही नहीं है। ऐसा एक पत्र द न्यूज मिनट के पास है, जिसमें अक्षय पात्र फाउंडेशन की लेखा परीक्षा समिति द्वारा की गई जांच के आधार पर संगठन में कोष के दुरुपयोग पर गंभीर प्रश्न उठा है।
अक्षय पात्र फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन है जो देश के कई राज्यों में स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन प्रदान करता है और यह धार्मिक समूह इस्काॅन से जुड़ा हुआ है। फाउंडेशन ने हाल के हफ्तों में चार स्वतंत्र ट्रस्टियों (मोहनदास पई सहित) ने संगठन छोड़ने के बाद गवर्नेंस के मुद्दों और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया। आडिट समिति के एक सदस्य के पत्र या रिपोर्ट को पिछले सप्ताह प्रस्तुत किया गया जिसमें व्हिसलब्लोअर के आरोपों के आधार पर आंतरिक जांच में संबंधित संस्थाओं द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए अक्षय पात्र से धन के उपयोग की बात सामने आयी।
लेखा परीक्षा समिति के सदस्यों में से एक द्वारा भेजी गई रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि दो अन्य सदस्यों के साथ-साथ अक्षय पात्र के दो पूर्व ट्रस्टियों द्वारा की गई है। अक्षय पात्र फाउंडेशन मधु पंडित दास और ट्रस्टियों को संबोधित सात पन्नों की रिपोर्ट में कमियों, प्रणालीगत समस्याओं का उल्लेख किया गया है और प्रणाली को सुधारने की सिफारिश की गई है। हालांकि द न्यूज मिनट को इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या अक्षय पात्र फाउंडेशन के ट्रस्टियों द्वारा कोई सिफारिश लागू की गई है।
भोजन की लागत दूसरों की तुलना में कहीं अधिक है
प्रमुख चिंताओं में से एक फाउंडेशन में नियंत्रण का अभाव व वित्तीय अनुशासन की कमी है। सूत्रों ने द न्यूज मिनट से इस बात की पुष्टि की है तैयार किए जा रहे भोजन की लागत मूल्य उच्च है। जब स्वतंत्र ट्रस्टियों ने उसे कम करने में सक्षम नहीं होन की वजह पूछी तो ऑडिट समिति ने इस प्रक्रिया को देखना प्रारंभ किया। पत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं।
अक्षय पात्र फाउंडेशन के अनुसार, उसके द्वारा देश के 12 राज्यों के 19,039 स्कूलों में 18 मिलियन छात्रों को मध्याह्न भोजन वितरित किया जाता है।
सदस्य की रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय पात्र के लिए प्रति भोजन की लागत हमेशा चिंता का विषय रही है। यहां एक समान भोजन की लागत इस तरह के किसी अन्य संगठन की तुलना में कहीं अधिक है। इस संबंध में किसी तरह की पूछताछ व समीक्षा का कोई परिणाम नहीं निकला क्योंकि रसोई का संचालन मिशनरी के यूनिट अध्यक्षों द्वारा किया जाता है, जिन्होंने अक्षय पात्र संगठन के प्रति कभी अपनी जिम्मेवारी प्रदर्शित नहीं की है।
रिपोर्ट मंें सवाल किया गया है कि क्या अक्षय पात्र के लिए इस्तेमाल होने वाले अनाज और अन्य सामग्री को कहीं और भेजा जाता है?
अक्षय पात्र के अनुसार, जुलाई 2018 तक भोजन पर लागत 12.46 रुपये प्रति यूनिट थी, जिसमें आधी से अधिक राशि 6.28 रुपये कई राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जा रही थी।
मंदिर ट्रस्टियों व अक्षय पात्र के बीच धुंधली रेखाएं
अक्षय पात्र फाउंडेशन के संचालन में मिशनरियों की भूमिका अत्यधिक आलोचनात्मक है, जिसका फाउंडेशन छोड़ने के समय स्वतंत्र ट्रस्टियों ने भी उल्लेख किया था। मिशनरियों की अधिकतर अक्षय पात्र फाउंडेशन के संचालन व नियंत्रण में बिना किसी जवाबदेही के पूर्ण नियंत्रण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फाउंडेशन में पेशवर सीइओ, सीएफओ, कारपोरेट कार्याें के लिए कोई औपचारिक रिपोर्टिंग नहीं है।
विशिष्ट इकाई के संचालन, दान का संग्रह, वाहन का खर्च, धन उगाहने लिए आने वाले व्यय, किराए के परिसरों के बंटवारे, कोष जुटाने को लेकर फाउंडेशन व मंदिर ट्रस्टी के बीच सीमांकन की लाइन धुंधली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में न कोई लिखित अनुबंध है और न ही उसको लेकर स्पष्टता है।
यह रिकार्ड में है कि हरे कृष्णा फाउंडेशन, इस्काॅन, टचस्टोन फाउंडेशन अक्षय पात्र फाउंडेशन के संबंधित पक्ष हैं, क्योंकि चेयरमैन और वाइस चेयरमैन ऐसे ट्रस्ट में कार्यकारी सदस्य के रूप में नियंत्रण रखते हैं। दूसरी ओर मंदिर ट्रस्टों के मिशनरी भी अक्षय पात्र यूनिट अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं और मंदिर ट्रस्टों और कई अन्य मिशनरी फाउंडेशन में महत्वपूर्ण पद रखते हैं और वे मंदिर ट्रस्टी बोर्ड से उपर की हैसियत रखते हैं, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है।
मधु पंडित दास जो अक्षय पात्र फाउंडेशन के चेयरमैंन हैं वे इस्काॅन बेंगलुरु के अध्यक्ष भी हैं।
मंदिर ट्रस्ट के उद्देश्यों के लिए उपयोग किए गए अक्षय पात्र के फंड
पत्र के अनुसार, सिर्फ अनाज ही नहीं, अक्षय पात्र फाउंडेशन के लिए आने वाले धन का भी उपयोग अन्य प्रयोजन के लिए किया जा रहा है। मंदिर ट्रस्टों के लिए यूनिट अध्यक्षें द्वारा फाउंडेशन की रसोई के उपयोग के लिए कोई रिकार्ड और विश्वसनीय लेखा परीक्षण सालों से उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है रसोई के अंदर व बाहर वस्तुओं की आवाजाही, भंडारण, माल की खपत, लोगों की आवाजाही, संपत्ति का उपयोग में फाउंडेशन के धन का सही प्रकार से उपयोग नहीं किया गया है।
अन्य उद्देश्यों के लिए रसोई का उपयोग करने से इतर आॅडिट समिति ने यह भी पाया कि अक्षय पात्र फाउंडेशन के फंड का उपयोग पंूंजीगत व्यय के लिए किया जाता है न कि किचन व बिल्डिंग को उन्नत बनाने या निर्माण में।
रिपोर्ट में राजस्थान में एक जांच के आधार पर कहा गया है कि संबंधित पार्टी के उपयोग के लिए अक्षय पात्र द्वारा बिना आॅडिट कमेटी के अनुमोदन के पूंजीगत व्यय किया गया था। हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि राजस्थान में धन का उपयोग किस लिए किया गया था। द न्यूज मिनट से सूत्रों ने पुष्टि की है कि मंदिर के भवन के निर्माण के लिए व सांस्कृतिक परिसर के अधिग्रहण के लिए धन के उपयोग की जांच की जा रही है।
अक्षय पात्र फाउंडेशन जांच के दायरे में आ सकता है
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्षय पात्र फाउंडेशन में जिस तरह की चीजें चल रही हैं उससे वह जांच के लिए उत्तरदायी है। रिपोर्ट कहती है कि अक्षय पात्र फाउंडेशन प्राप्त दान पर छूट हासिल करने के लिए दावा करने की वजह से टैक्स अध्ािकारियों की जांच के लिए उत्तरदायी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा अक्षय पात्र संसाधनों का उपयोग अक्षय पात्र के हित में नहीं है।
न सिर्फ कर्मचारियों, बल्कि नेतृत्व पर सवाल
रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि संगठन के नेतृत्व पर सवाल है न कि केवल कर्मचारियों पर जिसका अर्थ यह होता कि अक्षय पात्र फाउंडेशन में समस्याएं प्रणालीगत हैं। सभी मामलों की गहन जांच के बाद यह स्थापित किया गया है कि यूनिट अध्यक्षों और अन्य मिशनरियों की ओर से गलती की गई है। यह उल्लेख करना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि फाउंडेशन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष द्वारा आयोजित मंदिर ट्रस्टों की ट्रस्टीशिप की परस्पर विरोधी स्थिति है। इस तरह की जांच कार्यवाही से खुद का बचाव करने की वजह से विश्वसनीय अुनवर्तन व सुरक्षात्मक कदम सहित निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में एक गंभीर अड़चन है।
संसाधनों की बरामदगी
रिपोर्ट कहती है कि अनियमितताओं की जांच करने वालों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया था। जांच में केवल सहयोग की कमी का उल्लेख किया गया है। अर्नस्ट एंड यंग द्वारा विशेष ऑडिट अक्टूबर 2020 की शुरुआत में पूरा किया जाना था, लेकिन सहयोग और डाटा का प्रवाह उस प्रकार से नहीं हुआ और संबंधित पुस्तिकाओं तक पहुंच प्रदान नहीं किया गया इसलिए तय समय में यह कार्य पूरा नहीं हो सका।
अक्षय पात्र फाउंडेशन के लिए धन न केवल व्यक्तिगत कारपोरेट दान दाताओं से आता है, बल्कि गैर सरकारी संगठन भी कई सरकारों के साथ करार करते हैं जो उसे वित्त व रसद के रूप में प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। ऑडिट कमेटी की सिफारिशों में इस्काॅन और अक्षय पात्र फाउंडेशन के लिए काम करने वालों के बीच हितों के टकराव को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है जांच के लिए सुझाव दिया गया है कि क्या अक्षय पात्र को दान सहयोग को किसी भी अन्य जगह सालों से व संपूर्ण क्षेत्र में सालों से डायवर्ट किया गया है।
पत्र ट्रस्टों व संगठनों से एएफपी के संसाधनों को फिर से प्राप्त करने पर भी जोर देता है।
इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ और अक्षय पात्र फाउंडेशन के पूर्व आॅडिट कमेटी के अध्यक्ष वी बालाकृष्णन ने द न्यूज मिनट को बताया, आॅडिट कमेटी के सदस्यों में एक द्वारा अक्षय पात्र फाउंडेशन के ट्रस्टियों को भेजे गए मेल ऑडिट कमेटी के सभी सदस्यों व अन्य स्वतंत्र ट्रस्टियों के सामूहिक विचार को दर्शाते हैं। यह यदि हो सके तो नए बोर्ड, ऑडिटर्स और सरकार के द्वारा सही कार्रवाई के लिए है।
पत्र में सामने आए मुद्दे और उसके बाद के नतीजे देश भर में 18 लाख से अधिक छात्रों को मध्याह्न भोजन योजना से संबंधित है। जबकि मौजूदा ट्रस्ट निरंतर गड़बड़ियों की छाया बना हुआ है, जिन लोगों ने पद छोड़ दिया है उन्होंने मामले को जल्द से जल्द ठीक करने का आग्रह किया है।
(द न्यूज मिनट में प्रकाशित मूल खबर से अनूदित)