जनज्वार इम्पैक्ट: मिर्ज़ापुर पुलिस ने 3 माह तक हुए गैंगरेप मामले में दर्ज की FIR
मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
मिर्जापुर। जिले में एक विवाहिता से अगवा कर तीन महीने तक हुए गैंगरेप (Gangrape) मामले में जनज्वार की खबर का असर दिखा है। अब तक इस मामले में टालमटोल कर रही पुलिस (UP POlice) ने एफआईआर (FIR) दर्ज की है। और घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस के अधिकारी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर, उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।
महिला सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती देते हुए दिनदहाड़े 35 वर्षीय विवाहिता को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने वाले सभी आरोपी तीन महीने बाद महिला को अधमरा समझकर जंगल में फेंक फरार हो लिए, जिनकी पुलिस अभी तक परछाई भी नहीं पा सकी है। मामला सुर्खियों में आने औऱ जनज्वार द्वारा प्रमुखता से उठाने पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में मुकदमा तो दर्ज कर लिया है, लेकिन गिरफ्तारी के नाम पर अभी भी है कार्रवाई शून्य ही है। हालांकि इस मामले में बताया जाता है कि पुलिस ने आरोपित एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए उठा लिया है, जिसके सहारे अन्य आरोपियों तक पुलिस पहुंचने में लगी हुई है।
डरा हुआ है पीड़ित परिवार
वहीं दूसरी ओर पीड़ित पाल परिवार दूराचारियों के भय से डरा सहमा हुआ है। गौरतलब है कि जिले के लालगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत संत नगर पुलिस चौकी क्षेत्र के एक गांव निवासी 35 वर्षीय पाल बिरादरी की विवाहिता तीन माह पूर्व अपने घर से दुकान से कुछ सामान लेने के लिए निकली थी कि तभी पड़ोस का ही एक व्यक्ति जबरिया उसे अपने अन्य साथियों के साथ अगवा कर फरार हो गया था। आरोप है कि इस बीच उसे तीन महीने तक जंगल में रखकर उसे तरह-तरह की यातना देने के साथ ही उसके साथ 4 लोगों ने मिलकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया और ये सिलसिला चलता रहा।
सन्दर्भित प्रकरण में थाना लालगंज जनपद मीरजापुर पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पीड़िता के पति के प्रार्थना पत्र पर पंजीकृत कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।
— Mirzapur Police (@mirzapurpolice) June 28, 2021
बाद में उसे 23 जून 2021 को अधमरा समझकर जंगल में फेंक कर आरोपी फरार हो गए थे। जिसे देखकर चरवाहों ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी। चरवाहों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल महिला को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटेहरा में भर्ती कराया था, जिसे बाद में लाकर जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया था। इस मामले में पीड़ित परिवार के लोगों का खुला आरोप है कि संत नगर पुलिस चौकी प्रभारी सूचना दिए जाने के बाद भी लापरवाह बने रहे हैं। यहां तक की 3 महीने तक दुष्कर्म की शिकार होकर असहनीय पीड़ा झेलती रही विवाहिता के मिल जाने पर उसके पति को महिला के मिल जाने की दुहाई देते हुए, अब क्या चाहिए का राग दारोगा अलापते रहे। जिससे स्पष्ट होता है कि वह इस मामले में तनिक भी गंभीर नहीं थे, बल्कि इस मामले को हल्के में लेते हुए दूराचारियों के ही पैरोकार बने नजर आए हैं।
वरीय पुलिस अधिकारी ने दिलाया कार्रवाई का भरोसा
इस मामले में मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक (SP) अजय कुमार सिंह ने अस्पताल में महिला से उसका बयान लेने के साथ ही जहां मौके का मौका मुआयना किया है। वहीं उन्होंने बताया है कि इस मामले में एक आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है तथा एक आरोपी से पूछताछ भी की जा रही है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा है कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी। सभी आरोपी पुलिस के शिकंजे में जल्द ही होंगे। हालांकि, उनके इस दावे में कितना दम है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
वहीं दूसरी ओर अपर पुलिस अधीक्षक, ऑपरेशन महेश कुमार अत्री ने लालगंज क्षेत्राधिकारी तथा कोतवाली प्रभारी के साथ बैठक कर इस मामले में दोषियों की गिरफ्तारी के लिए कड़ा-से-कड़ा कदम उठाए जाने के साथ-साथ संत नगर पुलिस चौकी क्षेत्र स्थित पीड़िता के गांव जाकर पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की हैं। साथ ही परिजनों को आश्वासन दिया है कि सभी आरोपी जल्द ही पुलिस के गिरफ्त में होंगे। उन्होंने बताया है कि एक आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। गौरतलब है कि मिर्जापुर जनपद का मड़िहान लालगंज हलिया थाना क्षेत्र का इलाका जंगलों-पहाड़ों से घिरा होने के साथ-साथ आदिवासी, वनवासी तथा अन्य पिछड़ी जातियों वाला बाहुल्य क्षेत्र है। गरीबी, पिछड़ापन यहां करीब से आकर देखा जा सकता है। गरीबी, पिछड़ेपन के साथ-साथ महिला उत्पीड़न की आए दिन मिलने वाली शिकायतें भी इन इलाकों को बदनाम किए रहती हैं। ज्यादातर मामलों में देखने में आया है कि त्वरित कार्रवाई की बजाय टरकाऊ नीति के कारण मामला संगीन रूप धारण कर लेता है, जैसा कि इस मामले में अभी तक देखने में आया है।
जनज्वार को कुछ ग्रामीणों ने नाम ना जा छापे जाने की शर्त पर सहमी हुई आवाज में बताया है कि अधिकांश मामलों में खासकर महिला उत्पीड़न, बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ इत्यादि मामलों में पुलिस त्वरित कार्रवाई की बात तो छोड़ दीजिए, छानबीन करना भी मुनासिब नहीं समझती है। उल्टे फरियादियों को ही उनकी फरियाद को लेकर रद्दी की टोकरी में डाल मामले को टरका दिया जाता है। जिसका नतीजा यह होता है कि अपराधियों के हौसले और बुलंद होते हैं। वही पीड़ित न्याय के लिए स्थानों पर जाने के बजाए थक हार कर चुप्पी साध लेता है या फिर न्यायालय या उच्च अधिकारियों की शरण में जाने के लिए विवश होता है। बाद में वही मामला सुर्खियों में आने पर पुलिस हाथ-पैर मारना प्रारंभ कर देती है, लेकिन तब तक मामला काफी बिगड़ चुका होता है।जबकि यदि ऐसे मामलों में समय रहते ही पुलिस कारगर कदम उठा ले तो मामलों के निस्तारण के साथ-साथ समस्या का समाधान भी संभव हो जाए।