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Janjwar Impact: जनज्वार की खबर का असर, विरोध के आगे झुकी नीतीश सरकार, एएन सिन्हा कैंपस में अब नहीं बनेगा ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट

Janjwar Desk
2 July 2022 9:08 AM GMT
Janjwar Impact: जनज्वार की खबर का असर, विरोध के आगे झुकी नीतीश सरकार, एएन सिन्हा कैंपस में अब नहीं बनेगा ट्राइबल रिसर्च इंस्टटीयूट
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Janjwar Impact: जनज्वार की खबर का असर, विरोध के आगे झुकी नीतीश सरकार, एएन सिन्हा कैंपस में अब नहीं बनेगा ट्राइबल रिसर्च इंस्टटीयूट

A N Sinha Institute News: बिहार की राजधानी पटना में स्थित देश के प्रतिष्ठित सामाजिक शोध संस्थान में सुमार एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के कैंपस में अब ट्राइबल रिसर्च सेंटर नहीं खुलेगा। विपक्ष समेत विभिन्न दलों के नेताओं के लगातार विरोध के बाद नीतीश सरकार ने यह फैसला लिया है...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

A N Sinha Institute News: बिहार की राजधानी पटना में स्थित देश के प्रतिष्ठित समाजिक शोध संस्थान में सुमार एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के कैंपस में अब ट्राइबल रिसर्च सेंटर नहीं खुलेगा। विपक्ष समेत विभिन्न दलों के नेताओं के लगातार विरोध के बाद नीतीश सरकार ने यह फैसला लिया है।

पटना में ट्राइबल संस्थान की स्थापना के नाम पर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट को क्या उजाड़ना चाहती है नीतीश सरकार?' शीर्षक से पूर्व में जनज्वार डॉटकाम ने खबर प्रकाशित की थी। जय प्रकाश नारायण छात्रावास , मधु लिमये गेस्ट हाउस समेत अन्य भवनों को ध्वस्त कर यहां ट्राइबल रिसर्च सेंटर का निर्माण कराने की खबर प्रकाशन के बाद से बहस और तेज हो गई। होना था। इस निर्णय का समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे प्रमुख राजनेता, जनप्रतिनिधि समेत समाजिक संस्थानों ने विरोध शुरू कर दिया।

जनज्वार के प्रकाशित करने के दूसरे दिन ही सूबे के नीतीश सरकार के निर्देश पर प्रशासनिक पहलकदमी तेज होते दिखी। आंदोलनरत संगठनों व उनके नेताओं के साथ ही सत्ता पक्ष के भी नेताओं की सार्थक प्रतिक्रिया सामने आई। जिसका नतीजा रहा कि सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसको लेकर 1 जुलाई को एमएलसी रामवचन राय व पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद के साथ आगे बढ़कर संबंधित अधिकारियों ने वार्ता की। साथ ही इन्हें आश्वस्त कराया कि अब एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में इसका निर्माण नहीं कराया जाएगा। जनज्वार डॉटाकाम के द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने पर विभिन्न जनप्रतिनिधियों व नेताओं के अलावा सामाजिक संगठनों ने भी सराहना की।

यहां निर्माण पर अब हो सकता है विचार

ट्राइबल शोध संस्थान खोलने की स्थिति में प्रशासनिक भवन, ट्राइबल म्यूजियम व शहीद स्मारक, डिजिटल संग्रहालय व पुस्तकालय,ट्रेनिंग संेटर एवं छात्रावास, आर्टीजन काउंटर, आदि का निर्माण कराने की जरूरत पड़ेगी। बिहार में आदिवासी समुदाय की आबादी 1.28 प्रतिशत है जो कैमूर जिले में ही अधिकांश हैं। ऐसे में संस्थान का निर्माण कैमूर जिले में कराये जाने की भी मांग उठ रही है। इससे संस्थान स्थापना के निहित उददेश्यों की भी पूर्ति होगी। इसके अलावा सरकार अस्थायी तौर पर आर्यभटट ज्ञान विश्वविद्यालय में स्थापित विभिन्न केंद्रों के तर्ज पर ट्राइबल इंस्टीट्यूट भी स्थापित कर सकती है। इसके पास ही पूर्व में रहे मीठापुर बस स्टैंड का स्थान खाली हो जाने के बाद अब यहां भी ट्राइबल रिसर्च सेंटर खोलने पर विचार किया जा सकता है।

लंबे समय से अधर में है ट्राइबल इंस्टीट्यूट का निर्माण

बिहार में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के स्थापना का प्रकरण लंबे समय से अधर में है। पहले से रांची में स्थापित ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट झारखंड अलग राज्य गठन के बाद से बिहार से बाहर हो गया। ऐसे में 14 दिसंबर 2017 को बिहार में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित करने का निर्णय लिया गया। लेकिन इसके निर्माण को लेकर कोई पहल होते नहीं दिखी। इसके निर्माण के लिए केंद्र सरकार से अनुदान के रूप में संपूर्ण धनराशि मिलनी है। इस योजना पर समय के साथ अमल न होने की स्थिति में बिहार आदिवासी अधिकार फोरम ने पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर पर स्थापना की मांग उठाई। इस पर कोर्ट ने 28 जून को सुनवाई की तिथि तय करते हुए सरकार से जवाब मांगा। बताया जाता है कि इसी दबाव में संबंधित अधिकारियों ने स्थापना को लेकर शहर के अन्य हिस्सों में मौजूद भूमि या भवनों में इसे चालू करने के बजाए एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट का ही नाम सुझा दिया है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने आनन फानन में अपनी सहमति प्रदान कर दी। अनुसूचित जाति -जनजाति विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने भवन निर्माण विभाग को निर्माण पर व्यय होनेवाली धनराशि का आकलन करने के लिए पत्र भी जारी कर दिया। अब हालांकि इस निर्णय के विरोध के बाद सरकार अलग स्थान पर निर्माण पर विचार शुरू कर दी है।

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट को बचाने का विपक्ष ने चलाया था मुहिम

समाजिक शोध संस्थान एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के कैंपस में मौजूद जय प्रकाश नारायण छात्रावास , मधु लिमये गेस्ट हाउस समेत अन्य भवनों को ध्वस्त कर यहां ट्राइबल रिसर्च सेंटर खोलने का निर्णय वापस लेने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निर्माण का हम कभी विरोधी नहीं हैं, पर उसकी स्थापना के नाम पर पूर्व से मौजूद एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट को उजाड़ने की कोशिश का विरोधी हूं। श्री प्रसाद ने कहा कि हमारी लड़ाई में जीत सभी के सहयोग से संभव हो पाया। जिसमें एमएलसी रामवचन राय का प्रमुख सहयोग रहा है।

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने ट्राइबल इंस्टीट्यूट की स्थापना को लेकर स्थान चयन पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया था। इससे एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट व प्रस्तावित ट्राइबल इंस्टीट्यूट के प्रति न्याय नहीं होगा। दोनों संस्थानों के विस्तार के लिए भविष्य में और भूमि की आवश्यकता होगी। जिसे पूरा नहीं किया जा सकेगा। सरकार के फैसले का विरोध करनेवालों में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी व रामचंद्र पूर्वे पूर्व वित मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, विधायक संदीप सौरभ, सुदामा प्रसाद, अमरजीत कुशवाहा, राहुल तिवारी भी शामिल रहे।

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