Jayalalithaa death : AIIMS पैनल ने इलाज में गड़बड़ी की आशंका से किया इनकार, कहा - अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक खा रही थीं अंगूर, केक और मिठाई
Jayalalithaa death : AIIMS पैनल ने इलाज में गड़बड़ी की आशंका से किया इनकार, कहा - अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक खा रही थीं अंगूर, केक और मिठाई
Jayalalithaa death : करीब सात साल पहले तमिलनाडु ( Tamilnadu ) की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता ( jaylalitha death ) की मौत को लेकर कई सवाल उठे थे। उनकी मौत को लेकर उठे सवालों में से एक सवाल यह भी था कि क्या उनके इलाज के दौरान कोई लापरवाही बरती गई, क्या सही तरीके से इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी मौत हुई थी। इस सवालों का जवाब ढूंढने के लिए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के निर्देश पर बनाई गई एम्स की पैनल ने अपनी रिपोर्ट ( AIIMS Panel Report ) में जयललिता के इलाज में किसी तरह की गड़बड़ी की बात को खारिज कर दिया है। एम्स पैनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व सीएम जयललिता अस्पताल में भर्ती होने तक अंगूर, केक और मिठाइयां खा रही थीं।
इन बीमारियों से पीड़ित थी टीएन की पूर्व सीएम
अपोलो अस्पताल में भर्ती होने से पहले तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता ( Jaylalitha ) कई बीमारियों से घिरी थीं इनमें डायबिटीज, चक्कर आना, एटॉपिक डर्मेटाइटिस, त्वचा पर खुजली और सूजन, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, आंतों में दिक्कत, हाइपोथायराइड और क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, पुरानी खांसी जैसी बीमारियां शामिल हैं।
भर्ती होने से पहले होश में नहीं थी पूर्व सीएम
एम्स पैनल के प्रमुख अरुमुगासामी कमीशन को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अंगूर, केक और मिठाइयां खा रही थीं। इसमें डॉक्टर शिवकुमार की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। उन्होंने 19 सितंबर 2016 को जयललिता का हेल्थ चेकअप किया था। 22 सितंबर, 2016 को सीएम हाउस पर एक एंबुलेंस बुलाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती करने से पहले जांच में डॉक्टरों ने पाया कि जयललिता अपने पूरे होश में नहीं हैं। इसके साथ ही उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर भी स्थिर नहीं थे। अस्पताल में भर्ती होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अंगूरए केक और मिठाइयां खा रही थीं।
बता दें कि सितंबर 2016 में जयललिता बीमार हुई थीं। लगभग ढाई महीने तक चेन्नै के अपोलो अस्पताल में जयललिता का इलाज चला था। इसके बावजूद 5 दिसंबर 2016 को उनकी मौत ( jaylalitha death ) हो गई थी। 30 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एम्स दिल्ली के छह डॉक्टरों का एक पैनल बनाया गया था। जस्टिस अरुमुगास्वामी कमीशन की मदद के लिए यह पैनल बना था, जिसे जयललिता की मौत की वजह का पता लगाने के लिए जांच सौंपी गई थी।