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Jhansi News : पुलिस हिरासत में बेसुध हुए व्यापारी की 52 दिनों बाद मौत, खुदकुशी और मर्डर के बीच उलझी गुत्थी

Janjwar Desk
16 Nov 2021 4:31 PM GMT
Jhansi News : पुलिस हिरासत में बेसुध हुए व्यापारी की 52 दिनों बाद मौत, खुदकुशी और मर्डर के बीच उलझी गुत्थी
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(झांसी में पुलिस हिरासत में बेसुध हुए व्यापारी अजय सोनी की 52 दिनों बाद मौत हो गई है) मृतक की फाइल फोटो और पोस्टमार्टम हाउस के पास खड़े परिजन

Jhansi News: मृत व्यापारी के परिवार के लोगों ने पुलिसकर्मियों व कुछ अन्य लोगों को घटना का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Jhansi News : झांसी जनपद (Jhansi) के नवाबाद थाने के इलाइट चौकी (Navabad Thana) में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर 26 सितंबर को फांसी लगाने वाले बरुआसागर (Barua sagar) के व्यापारी की 15 नवम्बर को मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि व्यापारी ने खुदकुशी नहीं की बल्कि पुलिस की पिटाई से उसकी मौत हुई है।

मृत व्यापारी के परिवार के लोगों ने पुलिसकर्मियों व कुछ अन्य लोगों को घटना का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार, 16 नवंबर 2021 को मृतक व्यापारी अजय सोनी (Ajay Soni) का पोस्टमार्टम कराया गया। इस दौरान पोस्टमार्टम हाउस पर भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी रही।

25 सितंबर को पुलिस ने किया था तलब

पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद बरुआसागर के रहने वाले मृतक अजय सोनी के भाई हेमंत सोनी ने जनज्वार को बताया कि 25 सितंबर को नवाबाद थाने से फोन आया था। अजय सोनी भइया बरुआसागर से नवाबाद आये थे। मैं भी गया था रात दस-ग्यारह बजे के बीच में।

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें रूम में बहुत टार्चर किया था। बहुत मारा था। उन्होंने कहा, "इसके बाद लगभग बारह बजे रात को मैं घर पहुंच गया। हमने पुलिस से अनुरोध किया था कि उसे छोड़ दो लेकिन उन्होंने छोड़ने से मना कर दिया था। सुबह पता चला कि भइया वेंटिलेटर पर हैं। बावन दिन बाद पुलिस बता रही है कि उनकी मौत हो गई है।"

पोस्टमार्टम के बाद देंगे लिखित शिकायत

चौकी में अजय सोनी द्वारा खुदकुशी की कोशिश की पुलिसिया थ्योरी को लेकर हेमंत कहते हैं कि यह पुलिस की मनगढ़ंत कहानी है। पुलिस के मारने से मेरे भाई की मौत हुई है। हमने प्रधानमंत्री व अन्य को पोर्टल के माध्यम से शिकायत की है। हम न्याय चाहते हैं। जिनके जरिये यह हुआ है, अरविंद गुप्ता, उनकी पत्नी, लड़की और पुलिसकर्मी, एसओजी टीम पर पूरी तरह से कार्रवाई हो।

उन्होंने कहा कि मौत के बाद पुलिस के अफसर यहां आए थे और कह रहे थे कि पंचनामा करवा लीजिए, जिससे इनका पोस्टमार्टम हो जाये। पोस्टमार्टम के बाद हम केस दर्ज करने के लिए लिखित शिकायत देंगे।

नौकरी और मुआवजे की मांग

मृतक अजय के रिश्तेदार राम नरेश सोनी कहते हैं कि इस मौत के लिए हम पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार मानते हैं। डॉक्टरों ने हमको कोई जानकारी नहीं दी। डॉक्टर को भी जिम्मेदार मानते हैं। जिसके जरिये पुलिस के लोग आए, उनको दोषी मानते हैं। एसओजी को भी दोषी मानते हैं।

वहीं, फांसी लगाने की बात पर सवाल उठाते हुए राम नरेश कहते हैं कि पुलिस कस्टडी में क्या कोई फांसी लगा सकता है। उसके गर्दन पर निशान लगाया गया है। उसे बेतहाशा मारा गया है। हम न्याय चाहते हैं। पुलिस प्रशासन एफआईआर दर्ज करे। मृतक की मां के लिए मुआवजे और परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी की मांग की है। अफसरों ने आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी।

खुदकुशी और मर्डर के बीच उलझी गुत्थी

दरअसल, अरविंद गुप्ता नाम के एक व्यापारी का कथित तौर पर अपहरण होने के बाद शक के आधार पर पुलिस ने अजय सोनी को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसी पूछताछ के दौरान अजय सोनी बेसुध हुआ और पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया।

दूसरी ओर, इस मामले की पड़ताल के दौरान सामने आया कि अरविंद गुप्ता के परिजनों की शिकायत गलत थी और वह कर्जदारों से बचने के लिए खुद झाँसी से बाहर चला गया था। इधर पुलिस हिरासत में बेसुध हुए अजय सोनी की 52 दिनों के बाद मौत हो गई।

बड़ा सवाल यह है कि अजय सोनी की मौत फांसी लगाकर खुदकुशी करने से हुई है या पुलिस की प्रताड़ना व पिटाई से उसकी जान गई है।

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