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Jharkhand में बड़ा सियासी उलटफेर, EC ने रद्द की हेमंत सोरेन की विधायकी, राज्यपाल को लिखी चिट्ठी, सीएम पद पर बने रहना मुश्किल

Janjwar Desk
25 Aug 2022 11:22 AM IST
Jharkhand News : विधायकी गई तो क्या करेंगे हेमंत सोरेन, उनके पास हैं ये 3 विकल्प
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Jharkhand News : विधायकी गई तो क्या करेंगे हेमंत सोरेन, उनके पास हैं ये 3 विकल्प

Jharkhand News : चुनाव आयोग ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द की।

Jharkhand News : झारंखंड के इतिहास में अब तक का सबसे बड़े सियासी उलटफेर की खबरें सामने आई है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ( Election Commission ) ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) की सदस्यता रद्द कर दी है। इस बाबत चुनाव आयोग ने प्रदेश के राज्यपाल (Rajyapal ) को चिट्ठी लिखी है। ईसी ( EC ) ने चिट्ठी के जरिए राज्यपाल को इसकी जानकारी दी है। ईसी की चिट्ठी से साफ है कि अब हेमंत सोरेन को सीएम पद छोड़ना होगा।

अवैध खान मामले में पाये गए दोषी

झारखंड में सियासी उलटफेर को लेकर ताजा अपडेट यह है कि अवैध खनन ( illegal minning ) मामले का आरोप सही पाये जाने के बाद चुनाव आयोग ( Election Commission ) ने सीएम हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राज्यपाल को भेजी है। माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन को सीएम पद के अलावा एक अन्य लाभ के पद पर होने का दोषी माना गया है। पिछले कई महीने से चुनाव आयोग इस मसले पर काम कर रहा था। इस बाबत चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से जवाब भी मांगा था। हाल ही में हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग को अपना जवाब भेज दिया था। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि लाभ के पद के मामले में उनकी कुर्सी छिन सकती है। चूंकि, विधानसभा सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग ने सिफारिश की है इसलिए उनका सीएम के पद पर बने रहना मुश्किल है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत ये कार्रवाई की है।

क्या खतरे में है सोरेन की कुर्सी?

Jharkhand News : अवैध खनन मामले में निर्वाचन आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल भेज दी है। ईसी की रिपोर्ट में हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) को ऑफिस और प्रॉफिट ( Post of Profit ) का दोषी पाया गया है। संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अगर कोई प्रश्न उठता है कि क्या किसी राज्य के विधानमंडल के सदन का कोई सदस्य किसी अयोग्यता के अधीन हो गया है तो प्रश्न राज्यपाल को भेजा जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा। इस तरह के किसी भी प्रश्न पर कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेते हैं। उसकी राय के अनुसार काम करते हैं। सोरेन के वकील ने दलीलें रखे जाने के दौरान कहा था कि मामला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत नहीं आता है जो ष्सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है। इस दावे के उलट चुनाव आयोग ने सीएम सोरेन ( CM Hemant Soren ) को को लोक प्रतिनिधित्व कानून का दोषी माना है।

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