भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए आदिवासी अधिकार मंच ने किया प्रदर्शन
रांची। भीमा कोरेगांव हिंसा के नाम पर देशभर से गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी करने और उनपर कथित झूठे मुकदमे लगाने के खिलाफ रांची के अल्बर्ट चौक पर आदिवासी अधिकार मंच के बैनर तले विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम किया गया।
आदिवासी अधिकार मंच के महासचिव प्रफुल्ल लिण्डा ने कहा कि भीमा कोरेगांव गांव के दलितों पर हमला किया गया जो काफी पुराना है और इस केस में स्टैन स्वामी जो झारखण्ड से 83 साल के हैं। मानवाधिकार के सवालों के साथ लगातार आदिवासी दलित के पक्ष में खड़े रहते हैं, उनको यह भाजपा सरकार गिरफ्तार कर मुबई ले गयी है, भाजपा सरकार की यह दमनकारी नीति हम झारखंड में नहीं चलने देगे।
मंच के कोषाध्यक्ष सुख नाथ लोहरा ने कहा कि केन्द्र सरकार झुठे मुकदमे कर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को जेल में डाल रही है जिसमें एनआइए जैसी संस्था की ताकत का भी दुरूपयोग कर रही है। साथ ही मानवाधिकार पर काम करने वालों के ऊपर भारी भरकम केस यूएपीए लगाकर धाराओं का गलत इस्तेमाल कर रही है।
मंच के खूंटी जिला की संयोजक आलोका कुजूर ने कहा कि केन्द्र सरकार झारखंड को परेशान करने के लिए केन्द्र की एनआइए जैसी संस्थाओं का और यूएपीए धारों का गलत इस्तेमाल कर समाज में काम करने वालों को डराने का काम कर रही है। यह सरकार फासीवादी सरकार है। स्टैन स्वामी बुजुर्ग व्यक्ति हैं वो कभी भीमा कोरेगांव गए ही नहीं हैं, ना इन पर किसी प्रकार का कोई केस है।
कुजूर ने कहा कि अचानक से केस बनाकर केन्द्र सरकार झारखंड के स्टैन स्वामी को गिरफ्तार करती है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार मानवाधिकार, समाजिक काम करने वाले से डरती है।
समाजिक कार्यकर्ता रिशित नेगी ने कहा कि देशभर में 16 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी करके उनपर झूठे केस दर्ज किए गए हैं। झारखंड सरकार से निवेदन है कि महाराष्ट्र सरकार से उनकी रिहाई की प्रक्रिया राजनीतिक रूप से तेज करे।
इस कार्यक्रम में एडवा की वीणा लिण्डा, अनिमा तिर्की, फादर टोनी, बुधन, आकाश के अलावे कांके, ओर मांझी, नामकुम, रातू समेत रांची के लगभग 40-50 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।