बाबाधाम श्रावणी मेले के आयोजन का मामला हाइकोर्ट में, 30 को फिर होगी सुनवाई
जनज्वार, रांची। श्रावण का महीना शुरू होने में मात्र दस दिन बचा है और देश के प्रसिद्ध शिव मंदिरों की तरह देवघर को लेकर भी यह संशय बना हुआ है कि यहां इस बार श्रावणी मेले का आयोजन होगा या नहीं और कांवर यात्रा होगी या नहीं। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में अबतक कोई संकेत नहीं है और इस बीच यह मामला झारखंड हाइकोर्ट में विचाराधीन है।
गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मेले की आयोजन की मांग को लेकर हाइकोर्ट में दो दिन पहले एक याचिका दायर की थी। आज अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए देवघर की उपायुक्त को निर्देश दिया कि वे इस मामले में राज्य सरकार से जानकारी प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराएं।
मालूम हो कि बाबाधाम श्रावणी मेले का आयोजन झारखंड व बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास से होता है, क्योंकि कांवर यात्रा का मार्ग बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित गंगा तट से झारख्ंाड के देवघर स्थित बाबाधाम मंदिर तक 107 किलोमीटर लंबा है। इस मेले के आयोजन में बिहार के तीन और झारखंड के दो जिलों की सीधी सहभागिता होती है।
अदालत ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाने को कहा है। अब इस मामले की सुनवाई 30 जून को होगी। मालूम हो कि देश के कई दूसरे राज्यों में केंद्र के फैसले के आधार पर धार्मिक स्थलों को कुछ दिशा निर्देश के साथ श्रद्धालुओं को खोल दिया गया है, लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने इस फैसले को अपने राज्य में लागू नहीं किया है।
हाल ही में पुरी में जगन्नाथ यात्रा की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मिली थी, हालांकि उस मामले में कोर्ट ने भीड़ न जुटने का दिशा निर्देश दिया। सांसद निशिकांत दुबे की याचिका में केंद्र सरकार, झारखंड सरकार, देवघर मंदिर न्यास बोर्ड, पंडा धर्मरक्षिणी बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था का विषय बताया गया है और कहा गया है कि कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए मेले के आयोजन की अनुमति दी जाए।