झारखंड में भी अब सीबीआइ की बिना अनुमति नो एंट्री, राज्य सरकार से जांच के लिए मंजूरी जरूरी
जनज्वार,रांची। झारखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार की जांच एजेंसी सीबीआइ (Central Bureau of Investigation) की राज्य में बिना अनुमति जांच पर रोक लगा दी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआइ को अब राज्य में किसी भी मामले की जांच से पहले राज्य सरकार (CBI Ban in Jharkhand) से इसके लिए अनुमति हासिल करनी होगी। मालूम हो कि इससे पहले केंद्र से तनाव बढने के बाद कुछ राज्य सरकारों ने इस तरह के फैसले लिए थे, जिसमें प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार शामिल हैं। अब झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो-कांग्रेस सरकार ने यह निर्णय लिया है।
सीबीआइ के बिना राज्य सरकार की अनुमति के जांच नहीं शुरू करने के प्रस्ताव को गुरुवार (पांच नवंबर 2020) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी मंजूरी दे दी। इसके बाद शाम में गृह विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यालय ने भी ट्वीट कर यह जानकारी साझा की।
झारखण्ड सरकार द्वारा दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है। #CBI को अब झारखण्ड में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी 1/2
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) November 5, 2020
गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबसिलमैंट एक्ट 1946 की धारा छह के तहत सीबीआइ को दिये गए अधिकार को राज्य सरकार ने वापस ले लिया गया।
जो झारखण्ड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी। अब सीबीआई को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। 2/2
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) November 5, 2020
राज्य में एकीकृत बिहार के समय हुए चारा घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ को यह अनुमति दी गई थी, जिसे अब वापस ले लिया गया है।
झारखंड से पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान व छत्तीसगढ सरकारों ने अपने राज्य में सीबीआइ को बिना अनुमति जांच पर रोक लगा दी थी। चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री रहते उनकी सरकार ने भी भी आंध्रप्रदेश में ऐसा निर्णय एनडीए से अलग होने के बाद लिया था। हालांकि बाद में वहां सत्ता परिवर्तन हुआ और इस आशय का फैसला भी वापस ले लिया गया।