झारखंड : हेमंत सोरेन शहीद सिदो कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या की सीबीआइ जांच के लिए तैयार
जनज्वार, रांची। झारखड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद सिदो कान्हू के छठे वंशज की हत्या की सीबीआइ जांच की मांग पर कहा है कि वे इसके लिए तैयार हैं। हेमंत सोरेन ने भाजपा की मांग पर कहा कि सरकार इसके लिए तैयार है और अगर इससे भी बड़ी कोई जांच एजेंसी है तो उससे भी जांच कराने को तैयार है। आजादी की लड़ाई के बड़े योद्धा सिदो कान्हू के छठे वंशज रामेश्वर मुर्मू का पिछले दिनों एक झड़प के बाद साहिबगंज जिले के बरहेट में उनके गांव में शव मिला था। करीब 30 साल के रामेश्वर मुर्मू के मुंह पर खून के दाग थे और उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार ऐसा लगता था कि जैसे उन्हें कोई अंदरूनी चोट लगी हो।
वो दिल्ली में CBI को इस मामले पर जांच करने के लिए अवगत कराएं। अगर उससे बढ़िया भी कोई जांच एजेंसी है तो उसे भी कह सकते हैं- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भाजपा के आरोप कि सोरेन सरकार में आदिवासियों पर हमले बढ़ गए हैं इसकी CBI जांच होनी चाहिए पर pic.twitter.com/w860e7evMH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 24, 2020
सिदो कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की 12 जून को उनके गांव भोगनाडीह में एक युवक सद्दाम अंसारी से कहा-सुनी व धक्का-मुक्की हुई थी और उसके अगले दिन 13 जून की सुबह को उनका शव संदिग्ध स्थिति में खेत में मिला था। इसके बाद से लगातार संताल परगना के दो जिलों दुमका व साहिबगंज में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। आदिवासी युवाओं के दल ने दुमका जिला प्रशसन व साहिबगंज जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर सरकार से इसकी सीबीआइ जांच की मांग की थी। आदिवासी छात्र संघ इसको लेकर लगातार सक्रिय है।
सिदो-कान्हू के एक वंशज व रामेश्वर मुर्मू के रिश्तेदार मंडल मुर्मू के अनुसार, एक आदिवासी युवती पर फब्तियां कसने का रामेश्वर उरांव ने विरोध किया था, जिसके बाद उनमें व सद्दाम में कहा-सुनी व धक्का-मुक्की हुई थी। आदिवासी छात्र संघ ने राज्य सरकार को यह चेतावनी दी थी कि अगर इस मामले की जांच नहीं कराई जाती है तो चरणबद्ध तरीके से व्यापक आंदोलन खड़ा किया जाएगा। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह भी कहा है कि इस मामले में जांच रिपोर्ट आने वाली है।
इस खबर के साथ सिदो रामेश्वर मुर्मू के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई एफआइआर की काॅपी संलग्न है। इसमें परिजनों युवती पर गंदी फब्ती कसने, उसका विरोध किए जाने पर जान मरने की धमकी देने का जिक्र है।
झारखंड सरकार इस मामले संवेदनशील है और सतर्कता से एक-एक कदम उठाती दिख रही है। सरकार किसी हाल में यह नहीं चाहेगी कि इस केस में धार्मिक एंगल जुड़ जाए। आदिवासी छात्र संघ ने भी इस मामले को किसी युवती के सम्मान व गरिमा को लेकर सिर्फ दो व्यक्तियों के टकराव के मामले व उसके बाद मौत के रूप में जिक्र किया है।