Begin typing your search above and press return to search.
झारखंड

झारखंड : 50% से भी कम आदिवासी मानने लगे हैं अपना मूल धर्म सरना, धर्म कोड को लेकर आंदोलन तेज

Janjwar Desk
21 Sept 2020 2:11 PM IST
झारखंड : 50% से भी कम आदिवासी मानने लगे हैं अपना मूल धर्म सरना, धर्म कोड को लेकर आंदोलन तेज
x
झारखंड में लंबे समय से आदिवासी समुदाय खुद के लिए अलग धर्म कोड को वैधानिक मान्यता देने की मांग कर रहा है, लेकिन अबतक केंद्र या राज्य के स्तर पर इस दिशा में ठोस पहल नहीं हुई है...

जनज्वार, रांची। झारखंड में आदिवासी समुदाय लंब समय से अलग धर्म कोड की मांग कर रहा है। वे अपनी अलग धार्मिक पहचान को वैधानिक मान्यता चाहते हैं और इसके लिए धर्म कोड को लागू करने की मांग करते रहे हैं। आदिवासियों समुदाय सरना धर्म का पालन करते हैं, जिसकी वे वैधानिक पहचान चाहते हैं। इसको लेकर झारखंड के विभिन्न हिस्सों में रविवार को आदिवासी समुदाय ने मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया।

वर्तमान में धर्म कोड लागू नहीं होने के कारण उनकी धार्मिक पहचान अन्य धर्माें में शामिल कर दी जाती है। रविवार को राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजिनियस धर्म समन्वय समिति भारत, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद झारखंड, आदिवासी छात्र मोर्चा व आदिवासी छात्र संघ के आह्वान पर राज्य भर के आदिवासी समुदाय ने अपनी मांग के समर्थन में मानव श्रृंखला का निर्माण किया।

महत्वपूर्ण बात यह कि आदिवासियों की धार्मिम पहचान की मांग को विभिन्न संगठनों का समर्थन मिला है। इस अभियान को गुरुद्वारा सिख फेडरेशन, कैथोलिक महासभा, अंजुमन इस्लामिया, केंद्रीय सरना समिति, राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, आदिवासी लोहरा समाज, हो समाज, गोंड समाज, आदिवासी मूलवासी जनअधिकार मंच, भीम आर्मी आदि ने समर्थन दिया। आदिवासी समाज ने इससे संबंधित प्रस्ताव को सदन में पारित करवा कर कानूनी मान्यता देने की मांग की है।

कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के नेता मांग के समर्थन में

झारखंड सरकार की पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव भी इस तरह की मांग करने वालों में शामिल हैं। गीताश्री उरांव अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की अध्यक्ष हैं और उन्होंने कहा है कि इसके लिए संघर्ष किया जाएगा। सोमवार को भी रंाची में विभिन्न जगहों पर उनके संगठन की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि झारखंड विधानसभा के मौजूदा सत्र में ही इससे संबंधित कानून को पास कर झारखंड सरकार केंद्र सरकार को भेजे।

वहीं, भाजपा नेता व पूर्व देव कुमार धान भी इस तरह की मांग कर ने वालों में शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि आदिवासियों की पहचान खतरे में है। धान ने कहा है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, झारखंड में कुल 86,45,042 आदिवासी हैं। इनमें सरना आदिवासी 40,12, 622 है, जबकि ईसाई आदिवासी 13, 38, 175 हैं। वहीं, हिंदू आदिवासी 32, 45, 856 हैं। मुसलिम आदिवासी 18,107, सिख आदिवासी 984, बौद्ध आदिवासी 2946 है। धान के अनुसार, झारखंड में 26.20 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। इसमें 46.4 प्रतिशत सरना आदिवासी, 37 प्रतिशत हिंदू आदिवासी और 15.5 प्रतिशत ईसाई आदिवासी हैं। यानी 50 प्रतिशत से कम आदिवासी हैं जो अपना मूल धर्म सरना मानते हैं। उन्होंने इस पर चिंता जतायी और सरना धर्म कोड की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले सालों में आदिवासियों के सरना धर्म का अस्तित्व ही मिट जाएगा।

Next Story

विविध