Kanpur News : दिवाली वाले दिन कानपुर में जीका वायरस के 30 मरीज मिलने से मचा हड़कंप, लखनऊ भेजे गये 2774 सैंपल
(कानपुर में जीका वायरस का बढ़ रहा खतरा)
Kanpur News : उत्तर प्रदेश के कानपुर में जीका वायरस (Zika Virus) ने कहर बरपा रखा है। कल गुरूवार 4 अक्टूबर को एक साथ 30 संक्रमित मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। हैलट में दस बेड का एक वार्ड बना देने सहित अब उर्सला में भी संक्रमण से निपटने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही 25 बेड के फीवर वार्ड में भी मच्छरों से बचाव के पुख्ता इंतजाम कर दिये गये हैं।
उर्सला के सीएमएस डॉ. अनिल निगम ने बताया कि 10 बेड का जीका वार्ड बना दिया गया है। यहां इलाज के भी सभी इंतजाम हैं। उन्होने बताया कि रोगियों का लक्षणों के आधार पर इलाज होता है। बुखार के लिए पैरासीटामॉल ही दी जाती है। इसके अलावा वार्डों में मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट की व्यवस्था कर दी गई है।
इन क्षेत्रों में है अधिक प्रभाव
कानपुर नगर में चकेरी जीका वायरस से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र है। यहां गुरूवार 4 अक्टूबर को स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने 136 सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजे हैं। इन सैंपलों में पुरूषों महिलाओं व बच्चों के भी सैंपल शामिल हैं। सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह का कहना है कि अब तक प्रभावित क्षेत्रों से 2774 सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। क्षेत्र में नगर निगम के सहयोग से फॉगिंग कराई जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने भवानी नगर, ओमपुरवा, श्यामनगर, बदलीपुरवा, गिरिजा नगर, कोयलानगर, तिवारीपुर, बगिया, तुलसी नगर, आदर्शनगर, पोखरपुर, काजीखेड़ा, काकोरी और शिवकटरा में सोर्श रिडक्शन कराया गया है। इस तीन किलोमीटर के दायरे वाली जगहों पर स्वास्थ्य विभाग की 70 टीमें लगी हुई हैं।
कैसे फैलता है जीका वायरस?
जीका वायरस हवा और रोगी को छूने अथवा उसके पास बैठने से नहीं फैलता है। यह संक्रमण रोगी को काटने के बाद यदि दूसरे व्यक्ति को काटता है तो वायरस फैलने की प्रबल संभावना होती है। इस सहित जीका जानलेवा भी नहीं बताया जाता। 60 प्रतिशत लोगों को तो पता भी नहीं चलता संक्रमण हुआ है। जो पहले से ही किसी गंभीर रोग की गिरफ्त में हैं, तो अन्य रोगों की तरह जीका भी शारीरिक जटिलता बढ़ा देता है।
क्या हैं रोकथाम के उपाय?
जीका वायरस की रोकथाम के लिए सबसे पहले जो जरूरी है वह ये कि खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं। दिन या रात में भी हो सके तो फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर सोयें। गर्भवती महिलाएं मच्छरदानी में रहें। बर्तन में एक दिन से अधिक पानी भरा हुआ ना रखा रहे। इसके अलावा यदि लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं।