Karnataka High Court : मुस्लिम पर्सनल लॉ से ऊपर है पॉक्सो नियम, 15 वर्षीय लड़की की शादी को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी
कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार
Karnataka High Court : कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया है कि एक नाबालिक मुस्लिम लड़की की शादी 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का उल्लंघन नहीं मानी जाएगी। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में माना है कि पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी लड़कियों की शादी की उम्र के संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून को ओवरराइड कर देता है।
पॉक्सो अधिनियम पर्सनल लॉ को करता है ओवरराइड
कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस राजेंद्र बदामीकर पीठ ने कहा है कि पोक्सो एक विशेष अधिनियम है और यह पर्सनल लॉ को ओवरराइड करता है और इस अधिनियम के अनुसार यौन गतिविधियों में शामिल होने की आयु 18 वर्ष है। इसके साथ ही जस्टिस राजेंद्र बादामी कर ही पीठ ने कहा है कि याचिकाकर्ता पीड़िता का पति है और इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए की शादी को लेकर कोई गंभीर विवाद नहीं है। याचिकाकर्ता ने खुद कोर्ट के समक्ष संबंधित दस्तावेज पेश किए हैं।
मुस्लिम व्यक्ति की जमानत पर सुनवाई कर रहा था कर्नाटक हाई कोर्ट
जानकारी के लिए आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक 27 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई की थी, जिसकी पत्नी 17 साल की थी और गर्भवती हो गई थी। आरोपी के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 और 10 और पोक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुकदमा दर्ज किया गया था। मुस्लिम लड़की के पति पर आरोप है कि उसने एक नाबालिक मुस्लिम लड़की से शादी की और उसे गर्भवती कर दिया।
पुलिस उप निरीक्षक ने आरोपी के खिलाफ दर्ज करवाई थी शिकायत
हालांकि इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने नाबालिक मुस्लिम लड़की के पति को जमानत दे दी थी लेकिन यह मामला तब सामने आया था, जब 16 जून 2002 को पीड़िता आरोपी की पत्नी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल चेकअप कराया था। जांच में पता चला था कि वह गर्भवती हो गई है। इसके अलावा यह भी पता चला कि उसकी उम्र केवल 17 वर्ष है, जिसके बाद केआर पुरम थाने के पुलिस उप निरीक्षक ने यचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
दूसरे मामले में आरोपी को जमानत देने से इनकार
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस राजेंद्र बदामीकर ने दूसरे फैसले में 19 वर्षीय एक व्यक्ति को जमानत याचिका पर जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपी पर आरोप है कि वह कथित रूप से 6 अप्रैल 2022 को 16 वर्षीय एक लड़की को अपने साथ मैसूर ले गया था, जहां उसने एक होटल के कमरे में दो बार नाबालिक लड़की का दुष्कर्म किया था।