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Karnataka High Court : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार

Janjwar Desk
2 Nov 2022 5:12 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार
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कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार

Karnataka High Court News : कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता हासिल करना परित्यक्ता पत्नी का अधिकार है।

Karnataka High Court News : कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High Court ) ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि फैमिली कोर्ट ( family court ) से तलाक ( divorce ) का मामला वापस लेने के बाद भी परित्यक्ता पत्नी गुजारा भत्ता का हकदार होती है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ अपने आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी परित्यक्ता पत्नी गुजारा भत्ता ( alimony) की हकदार है। पति से भरण-पोषण ( alimony ) ​के लिए पैसे की मांग करना उसका अधिकार है।

जब तक तलाक नहीं हुआ तब तक गुजारा भत्ता देना पति का कर्तव्य

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा तलाक की अर्जी वापस लेने का तब तक कोई मतलब नहीं जब कि वो कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है। तलाक की याचिका वापस लेने से तलाक नहीं हो जाता। यानि पत्नी पति के साथ वैवाहिक बंधन में बंधी मानी जाती है। इसलिए पत्नी पति से अंतरिम भरण-पोषण पाने का हकदार होती है। केवल इस आधार की पति पत्नी को अपने साथ रखने आज भी राजी है वो गुजारा भत्ता देने से बच नहीं सकता।

हाईकोर्ट ने खारिज की पति की याचिका

फैमिली कोर्ट के इस फैसले को याची पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची के वकील ने अदालत के सामने तर्क दिया कि पत्नी ने तलाक की मांग वाली याचिका वापस ले ली है। दूसरी तरफ याची यानि पति आज भी अपनी पत्नी को अपने साथ रखने के लिए तैयार है। ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा 7 हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता देने का फैसला सही नहीं है।ज्यादा उम्र में शादी करने का ध्येय ही यही था कि दोनो खुशी-खुशी साथ रहेंगे।

दूसरी ओर प्रतिवादी यानि ने पत्नी ने कहा कि वह शादी के बाद एक महीने तक याचिकाकर्ता के साथ रही लेकिन उसके और ज्यादा समय तक उसके पास रहना संभव नहीं। वह उसे लगातार परेशान करता रहता है। इसके बाद एकल पी ने कहा कि जब तक प्रतिवादी पत्नी है, तब तक याचिकाकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी का भरण पोषण करे। एक पीठ ने निचली अदालत द्वारा पारित आदेश के बरकरार रखते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट ने जो कारण गिनाए हैं वो न्यायसंगत हैं।

Karnataka High court News : बता दें कि याची ने कहा कि मार्च 2020 में प्रतिवादी से शादी की थी। शादी के समय उनकी उम्र क्रमशः 64 और 58 वर्ष की थी। मई 2020 में प्रतिवादी ने वैवाहिक घर छोड़ अपने घर वापस चली गई। साथ ही फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर गुजारा भत्ते की मांग की थी।

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