Karnataka Hijab Controvercy : 'हमलावरों को जवाबदेह ठहराकर तुरंत गिरफ्तार किया जाए,' हिजाब विवाद को HC ले जाने वाली छात्रा की मांग
'भीड़ ने मेरे भाई और पिता को बुरी तरह पीटा', हिजाब विवाद को हाईकोर्ट ले जाने वाली छात्रा का आरोप
Karnataka Hijab Controvercy : कर्नाटक के उडुपी के एक स्कूल से हिजाब पहनने पर शुरू हुआ विवाद (Hijab Controvercy) अब भी खत्म नहीं हुआ है। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में मामले पर सुनवाई चल रही है। इस बीच हिजाब विवाद में याचिकाकर्ता हाज्रा शिफा (Hazra Shifa) ने आरोप लगाया है कि उनके पिता और भाई पर भीड़ ने हमला किया है। घटना सोमवार की है। उन्होंने बताया है कि इस हमले में उनका भाई बुरी तरह घायल हुआ है और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
शिफा ने इस हमले के बाद उडुपी पुलिस (Udupi Police) को टैग करते ट्वीट किया, मेरे भाई पर भीड़ ने क्रूर हमला किया है। सिर्फ इसलिए कि मैं हिजाब को लेकर अपने स्टैंड पर कायम हूं जो कि मेरा अधिकार है। हमारी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया है। क्यों? क्या मैं अपने अधिकार की मांग नहीं कर सकती? उनका अगला निशाना कौन होगा? मैं संघ परिवार के गुंडों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती हूं।
My brother was brutally attacked by a mob. Just because I continue to stand for My #Hijab which is MY RIGHT. Our property were ruined as well. Why?? Can't I demand my right? Who will be their next victim? I demand action to be taken against the Sangh Parivar goons. @UdupiPolice
— Hazra Shifa (@hazra_shifa) February 21, 2022
एक ताजा ट्वीट हाज्रा ने लिखा- मैं सराहना करती हूं कि मेरे भाई सैफ के हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, लेकिन मैं मांग करती हूं कि उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए और किसी भी कीमत पर तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
I appreciate that case has been filed against the assaulters of my brother Saif but I demand that they are held accountable and be arrested at any cost immediately @PoliceUdupi @DgpKarnataka
— Hazra Shifa (@hazra_shifa) February 22, 2022
बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब विवाद को लेकर सात दिनों की सुनवाई हो चुकी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील की ओर से दलील दी गई कि इस्लाम धर्म में सिर पर कपड़ा लेकर चलने की बात कही गई है, इसलिए बैन नहीं लगाया जा सकता है। वहीं
एडवोकेट जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार का आदेश संस्थानों को ड्रेस तय करने की आजादी देता है। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की प्रस्तावना धर्मनिरपेक्ष वातावरण को बढ़ावा देना है। उनका कहना है कि राज्य का रुख यह है कि किसी धार्मिक पहचान वाले कपड़े को स्कूल में नहीं पहनना चाहिए।