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Karnataka Hijab Controvercy : हाईकोर्ट ने कहा, फैसला आने तक धार्मिक चीजों को पहनकर न आएं कॉलेज, 14 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

Janjwar Desk
10 Feb 2022 12:27 PM GMT
कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार
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कर्नाटक हाईकोर्ट : तलाक की याचिका वापस लेने के बाद भी पति से गुजारा भत्ता पाना पत्नी का अधिकार

Karnataka Hijab Controvercy : कोर्ट ने कहा है कि वह कॉलेजों को फिर से खोलने के निर्देश देने वाला एक आदेश पारित करेंगे और फैसला आने तक छात्रों को धार्मिक चीजों को पहनकर कॉलेज नहीं आना है....

Karnataka Hijab Controvercy : कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) की बड़ी बेंच ने स्कूलों में हिजाब को लेकर शुरू हुए विवाद (Hijab Controvercy) को लेकर गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और देवदत्त कामत को सुनने के बाद सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह कॉलेजों को फिर से खोलने के निर्देश देने वाला एक आदेश पारित करेंगे और फैसला आने तक छात्रों को धार्मिक चीजों को पहनकर कॉलेज नहीं आना है। कोर्ट ने कहा कि शांति होनी चाहिए।

कर्नाटक के उडुप्पी के सरकारी कॉलेज की छात्राओं ने हिजाब (Karnataka Hijab Controvercy) पहनने के अधिकार को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी (Justice Ritu Raj Awasthi) ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान बेंच में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित भी शामिल रहे।

छात्राओं की ओर से पेश हुए वकील संजय हेगड़े (Advocate Sanjay Hegde) ने दलील दी कि यूनिफॉर्म के नियम का उल्लंघन करने पर दंड का कोई प्रावधान नहीं है। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में जो भी दंड की व्यवस्था की गई है वह ज्यादातर प्रबंधन से जुड़े मामलों के लिए हैं। वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या हेडस्कार्फ पहनना मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के अंतर्गत आता है।

दोपहर ढाई बजे के बाद तीन जजों की बेंच ने मामले पर सुनवाई शुरु की। उडुप्पी के सरकारी कॉलेज की छात्राओं की ओर पेश हुए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1983 के कर्नाटक एजुकेशन एक्ट में ड्रेस या यूनिफॉर्म के बारे में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। हेगड़े ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते कहा कि तब भी कोई यूनिफॉर्म नहीं होती थी।

उन्होंने दलील दी कि पहले के दिनों में यूनिफॉर्म सिर्फ स्कूल में होती थी। जो कि बहुत बाद में आई। कॉलेज में यूनिफॉर्म का प्रचलन काफी बाद में शुरू हुआ। वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत कुंडापुर के स्टुडेंट्स की तरफ से पैरवी कर रहे हैं।

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