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Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय अलग-अलग, CJI के पास भेजा गया केस

Janjwar Desk
13 Oct 2022 7:04 AM GMT
Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय अलग-अलग, CJI के पास भेजा गया केस
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Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय अलग-अलग, CJI के पास भेजा गया केस

Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट ने आज कर्नाटक हिजाब बैन पर बड़ा फैसला सुनाया है. मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने अलग-अलग फैसला दिया है. जिसके बाद अब तीन जजों की बड़ी बेंच के पास जाएगा.

Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट ने आज कर्नाटक हिजाब बैन पर बड़ा फैसला सुनाया है. मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने अलग-अलग फैसला दिया है. जिसके बाद अब तीन जजों की बड़ी बेंच के पास जाएगा. जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया है जबकि हेमंत गुप्ता ने बैन के खिलाफ याचिका को खारिज किया है. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि उन्होंंने इस मामले में 11 सवाल तैयार किए थे, जिसके मैंने जवाब दिए हैं.

बता दें कि मामला कर्नाटक से शुरू हुआ था जो आज अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 10.30 बजे यह फैसला सुनाया है. सर्वोच्च अदालत ने 22 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इन दोनों ने हिजाब मामले पर अलग-अलग फैसला लिखा है. फैसला सुरक्षित करने से पहले कोर्ट ने 10 दिनों तक सुनवाई की थी. इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने हिजाब समर्थक याचिकाकर्ताओं के अलावा कर्नाटक सरकार और कॉलेज शिक्षकों की भी दलीलें सुनीं थीं.

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पर बैन को खत्म करने वाली याचिका खारिज कर दी थी. इस दौरान हाई कोर्ट ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग के कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लामी आस्था या धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है. इसी फैसले के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को लगाया था बैन

इसके बाद राज्य सरकार ने पांच फरवरी 2022 को दिए आदेश में स्कूलों तथा कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा पहुंचाने वाले वस्त्रों को पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं. इस मामले में बीते दिनों न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कर्नाटक सरकार की क्या है दलील

कर्नाटक सरकार ने हिजाब संबंधी अपने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में 'धर्म निरपेक्ष'' बताया. राज्य सरकार ने अपने आदेश का जोरदार बचाव करते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को विवाद के लिए दोषी ठहराते हुए दावा किया कि यह एक 'बड़ी साजिश' का हिस्सा था. राज्य सरकार ने जोर दिया कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने के समर्थन में आंदोलन कुछ लोगों व्यक्तियों द्वारा 'स्वतःस्फूर्त' नहीं था और अगर उसने उस तरह से काम नहीं किया होता तो वह 'संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना' की दोषी होती. कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया था जिसका मकसद 'लोगों की धार्मिक भावनाओं' के आधार पर आंदोलन शुरू करना था.

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