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कर्नाटक पुलिस ने हाथ-पैर बांधकर दलित युवक को पीटा, पानी मांगा तो पिलाया पेशाब

Janjwar Desk
23 May 2021 3:08 AM GMT
कर्नाटक पुलिस ने हाथ-पैर बांधकर दलित युवक को पीटा, पानी मांगा तो पिलाया पेशाब
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दलितों पर समाज के साथ-साथ पुलिसिया बर्बरता की घटनायें आये दिन मीडिया की सुर्खियां बनती हैं, कर्नाटक पुलिस ने पानी की जगह पेशाब पिलाकर फिर एक जघन्य अपराध किया है। (फोटो : प्रतीकात्मक)

उन्होंने थाने से छोड़ने के बदले मुझे पेशाब को फिर से चाटने के लिए कहा मैंने वैसा ही किया और बाहर आया। पुलिस ने मुझे पीटते हुए मेरे दलित समुदाय को गाली भी दी।

जनज्वार ब्यूरो। कर्नाटक के चिकमंगलूर में एक दलित युवक ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। युवक के अनुसार पुलिस ने पूछताछ के दौरान उसके साथ बर्बरता की थी। युवक ने बताया है कि गोनीबीड़ू पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर ने थाने के अंदर उसे पहले जमकर पीटा। उसके बाद छोड़ने से पहले पेशाब चाटने को मजबूर किया। यह घटना बीते 10 मई की है।

पुनीत नाम के दलित व्यक्ति ने इस मामले में डीजीपी प्रवीण सूद, गृह मंत्री व मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है।

गोनीबीड़ू पुलिस ने 10 मई को ग्रामीणों की मौखिक शिकायतों के आधार पर ही पुनीत को हिरासत में ले लिया था। उस पर आरोप लगाया गया था कि वह एक महिला से बात कर रहा था। महिला से बात करने पर गांव वाले नाराज़ हो गये। इसी बात पर पुलिस पुनीत को थाने में ले आयी।

सब इन्स्पेक्टर पर आरोप लगाते हुये पुनीत ने बताया- मुझे थाने ले जाया गया और पीटा गया। मेरे हाथ पैर बांध दिए गए। मैं प्यासा था, पानी मांग रहा था। प्यास से मरने जैसी हालत हो गई थी लेकिन उन्होंने चेतन नाम के एक दूसरे आरोपी को मुझ पर पेशाब करने के लिए बुला लिया।

आगे पुनीत कहते है- उन्होंने थाने से छोड़ने के बदले मुझे पेशाब को फिर से चाटने के लिए कहा मैंने वैसा ही किया और बाहर आया। पुलिस ने मुझे पीटते हुए मेरे दलित समुदाय को गाली भी दी। उन्होंने सिर्फ झूठे आरोपों पर ही मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया मैंने पुलिस को बुलाया था ताकि वह मुझे गांव वालों से बचा सके लेकिन पुलिस ने मेरे साथ ही बर्बरता की।

मामले में पीड़ित युवक पुनीत ने एसपी से शिकायत की थी। उसके बाद पीड़ित ने डीजीपी को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की। इस मामले में कर्नाटक पुलिस ने विभागीय जाँच का आदेश दिया है। सब इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। चिकमंगलूर एसपी के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मामले की जांच जारी है तथा सब इंस्पेक्टर का किसी अन्य जगह पर स्थानांतरण कर दिया गया है।

पुलिस के द्वारा दलित व्यक्ति के साथ बर्बरता और पेशाब पिलाना सम्पूर्ण कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देता है। संविधान ने पुलिस के ऊपर जातिवाद से लड़ने की जिम्मेदारी भी सौंपी है। पुलिस तो खुद ही जाति के नशे में चूर होकर दलितों का उत्पीड़न कर रही है। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली संस्था का यह जातिवादी चेहरा शर्मनाक है।

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