Dalit Teacher Murder in Kashmir : पहले नाम पूछा, फिर मारी गोली, क्या कश्मीर को 90 के दशक में ले जाने की है साजिश?
Dalit Teacher Murder in Kashmir : कश्मीर घाटी ( Kashmir Valley ) में कुछ ही दिनों के अंतराल में पहले राहुल भट्ट और अब कुलगाम ( Kulgam ) के गोपालपोरा में 31 मई को दलित हिंदू टीचर रंजनी बाला (Dalit Teacher Ranjni Bala Murder ) की हत्या के बाद फिर से कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits )और हिंदू समुदाय के लोगों के चेहरे पर खौफ देखा जा सकता है। आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाने को कहा है। आंतकियों ने ये भी कहा है कि अगर घाटी छोड़कर नहीं गए तो खैर नहीं।
साफ है कि जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) में एक बार फिर आतंकी सक्रिय हो गए हैं। कश्मीर घाटी ( Kashmir Valley ) में नब्बे की दशक जैसे हालात दिख रहे हैं। सीमापार से हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के खिलााफ साजिश रची जा रही है।
370 के बाद से आतंकी हतोत्साहित हैं
दरअसल, आर्टिकल 370 हटने के बाद से घाटी में आतंकी हतोत्साहित हैं। यही वजह है कि आतंकवादी आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़ा कर उनका नाम पता पूछा जा रहा है। पहचान पत्र चेक किये जा रहे हैं। कश्मीरी पंडित ( Kashmiri Pandits ) या हिंदू मिलने पर आतंकी उनकी हत्या कर देते हैं। आतंकियों ने गैर हिंदुओं को छोड़ गैर-मुस्लिम शिक्षकों की हत्या की। इससे पहले शिक्षिका सतिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या हुई थी। सतिंदर कौर स्कूल की प्रिंसिपल और दीपक कौल शिक्षक और कश्मीरी पंडित थे। 13 मई को राहुल भट्ट की हत्या बडगाम में हुई थी। अब कुलगाम के गोपालपोरा में दलित महिला टीचर रंजनी बाला की आतंकियों ने हत्या की है। साल 2022 में अभी तक 16 कश्मीरी पंडितों की हत्या हो चुकी है।
चुन चुनकर लगातार हिंदुओं की हत्या क्यों?
ऐसा कश्मीर घाटी ( Kashmir Valley ) में एक बार फिर से 1990 की दशक जैसे हालात पैदा करने की साजिश हो सकता है। एक सप्ताह के अंदर एक कश्मीरी पंडित ( Kashmiri Pandits ) सहित तीन लोगों की हत्या के बाद एक बार फिर आतंकियों ने दो लोगों की हत्या कर दी, जिसमें एक हिंदू और एक सिख है। आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थित एक स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर पहले उनकी पहचान की, मोबाइल फोन की जाँच की, उनके आइडेंटिटी कार्ड चेक किए, इसके साथ ही आतंकियों ने उनसे पूछताछ भी की और उनमें से जो मुस्लिम थे उन्हें छोड़ दिया। दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों की पहचान कर हत्या कर दी। माना जा रहा है कि इस तरह के हमलों का मकसद गैर-मुस्लिमों को डराना है, ताकि कश्मीरी पंडित घाटी में बसने के लिए तैयार न हों और जो गैर-मुस्लिम घाटी में हैं, वे डरकर भाग जाएं।
19 जनवरी 1990 की वो काली रात
हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits ) के खिलाफ घाटी में लगातार आतंकी वारदातों ने एक बार फिर से इतिहास की तरफ मुड़ कर देखने के लिए विवश कर रहा है। आखिर क्या कुछ हुआ था 19 जनवरी 1990 की रात, कैसी थी वो काली रात, कैसे रातों रात पूरा कश्मीर घाटी हिंदू विहीन हो गया था। कैसे हिंदुओं में दहशत पैदा कर कश्मीर घाटी को सुलगाया गया था।
लाखों कश्मीरी पंडित हुए थे आशियाना छोड़ने को मजबूर
19 जनवरी 1990 की काली रात को लगभग 3 लाख कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits ) को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था। अलगावादियों ने कश्मीरी पंडितों के घर पर एक नोटिस चस्पा की थी, जिसपर लिखा था कि या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ। या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ। कश्मीर में हथियारबंद आंदोलन शुरु होने के बाद उसी रात 3 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित अपने परिवार के साथ अपना घर, अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर हो गए। घाटी से पलायन करने के बाद कश्मीरी पंडित जम्मू और देश के अलग-अलग इलाकों में रहने को मजबूर हुए। यहां भी उनके साथ अत्याचार सालों तक होता रहा।
बेनजीर ने भी मुस्लिमों को भारत के खिलाफ भड़काया था
घाटी में कई कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits ) की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए सभी कश्मीरियों को इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाने का हुक्म सुनाया गया था। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से अलग होने के लिए भड़काना शुरू कर दिया था। वर्तमान हालात कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है।
दलित टीचर की हत्या के बाद पलायन की धमकी
Dalit Teacher Murder in Kashmir : बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में 31 मई को आतंकवादियों ने एक दलित हिंदू महिला शिक्षिका रंजनी बाला (Dalit Teacher Ranjni Bala Murder ) के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी। रजनी बाला (36) जम्मू के सांबा जिले की रहने वाली थीं। वे कुलगाम ( Kulgam) के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल में टीचर थीं। मई में एक गैर-मुस्लिम सरकारी कर्मचारी की यह दूसरी हत्या है। मई में कश्मीर में सातवीं टॉर्गेट किलिंग है। इन घटनाओं से नाराज कश्मीरी पंडित सहित हिंदुओं ने समुचित सुरक्षा न मिलने घाटी से पलायन की धमकी दी है।
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