कश्मीरी पंडित युवाओं में भारी बेरोजगारी, रोजगार की मांग को लेकर श्रीनगर में 20 से आमरण अनशन शुरू
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जनज्वार। कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार द्वारा नए कानून बनाए गए हैं और कहा जा रहा है कि इन कानूनों से कश्मीरी विस्थापितों को फायदा होगा, लोग यहां आकर बस सकेंगे। दूसरी तरफ कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित और कश्मीरी हिंदुओं के संगठन का आरोप है कि उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।
इसे लेकर कश्मीरी पंडितों के संगठन ने भूख हड़ताल का एलान कर दिया है। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने बीते 27 अगस्त को लेफ्टिनेंट गवर्नर को एक मांगपत्र सौंपा था, जिसपर अबतक कोई कार्रवाई न किए जाने से ये नाराज हैं।
समिति का कहना है कि जब प्रतिनिधि मंडल एलजी से मिला था तो उनके द्वारा मांगों पर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया था। साथ ही सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश देने की बात कही गई थी। समिति के अध्यक्ष संजय कुमार टिक्कू ने कहा कि मांग पत्र पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति द्वारा 27 अगस्त को लेफ्टिनेंट गवर्नर को मांग पत्र सौंपा गया था। इस मांगपत्र में कहा गया था कि कश्मीर घाटी में रह रहे 808 कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को नौकरी दी जाय। मांग की गई थी कि कम से कम 500 शिक्षित युवाओं या प्रति परिवार एक सदस्य को नौकरी दी जाय, ताकि वे जीवनयापन कर सकें।
साथ ही उनलोगों को जरूरी आर्थिक सहायता दी जाय। कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं के धार्मिक स्थल, मंदिरों की संपत्ति पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को हटाने की मांग भी की गई थी।
समिति का कहना है कि एलजी के ऑफिस से अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, यह जानकर वे आश्चर्यचकित हैं। उनकी मांगपत्र को न तो कहीं अग्रसारित किया गया है, न ही उसपर कोई दिशानिर्देश दिया गया है। अब समिति ने 20 सितंबर से आमरण अनशन की घोषणा कर दी है।