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Kisan Andolan : एसकेएम से योगेंद्र यादव के निलंबन पर बोले राकेश टिकैत, कुछ चीजें बताने के लिए नहीं होती

Janjwar Desk
23 Oct 2021 5:02 PM IST
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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत 

Kisan Andolan : राकेश टिकैत ने कहा कि यह सरकार थोड़ी टाइट है। अभी वो हमारी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। एक आध साल में मान जाएंगे।

Kisan Andolan : लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिलने के कारण स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ( Yogendra Yadav ) को संयुक्त किसान मोर्चा ( SKM ) ने एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। उनके निलंबन पर किसान नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने कहा है कि वे एक महीने की छुट्टी पर हैं। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कुछ चीजें बताने के लिए नहीं होती हैं। द क्विंट से बातचीत के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ये बात कही।

जो हुआ सहमति से हुआ

जब पत्रकार ने कहा कि छुट्टी पर होने की बात आप कह रहे हैं, लेकिन उन्हें तो सस्पेंड किया गया है। इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि सब चीजें बताने के लिए होती हैं क्या। बहुत चीज कहने की होती है और बहुत चीज कहने की नहीं भी होती है। जो भी हुआ है वो सब की सहमति से हुआ है।

सरकार थोड़ी टाइट है

केंद्र सरकार तो आपकी बात नहीं मान रही है, पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार तो 11 महीने से नहीं मान रही है। सरकार थोड़ी टाइट है। इसलिए बात नहीं मान रही है। इसके बाद जब उनसे कहा गया कि आप लोग सरकार को मना नहीं पा रहे हैं तो राकेश टिकैत ने कहा कि हम तो 11 महीने से लगे हुए हैं। एक आध साल में मान जाएंगे, अभी तो ज्यादा समय भी नहीं हुआ है।

बता दें कि दो दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिलने के कारण स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए निलंबित कर दिया। गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर सभी किसान नेताओं की लंबी बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। निलंबन की अवधि के दौरान योगेंद्र यादव संयुक्त किसान मोर्चा के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

हम एसकेएम के फैसले का सम्मान करते हैं

इस मुद्दे पर योगेंद्र यादव ने कहा कि वे इस फैसले का सम्मान करते हैं। अपने बयान को ट्विटर पर साझा करते हुए उन्होंने लिखा है कि मैं संयुक्त किसान मोर्चा की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और इस प्रक्रिया के तहत दी गई सजा को सहर्ष स्वीकार करता हूं। किसान आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है। इसकी एकता और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाए रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।

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