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राष्ट्रीय

Lakhimpur Kheri : लखीमपुर खीरी के तिकुनिया की घटना एक हादसा या सुनियोजित गुंडागर्दी ?

Janjwar Desk
6 Oct 2021 2:18 PM GMT
Lakhimpur Kheri : लखीमपुर खीरी के तिकुनिया की घटना एक हादसा या सुनियोजित गुंडागर्दी ?
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(लखीमपुर हिंसा से पहले केंद्रीय मंत्री द्वारा तैयार किया गया माहौल)

Lakhimpur Kheri : गाड़ियों द्वारा किसानों को कुचलने से 2 किसान तत्काल शहीद हो गए तथा 2 किसान अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में शहीद हो गए थे.....


ग्राउंड जीरो से एस.बी. आजाद का विश्लेषण

Lakhimpur Kheri जनज्वार। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जिले से 82 किलोमीटर दूर दूर स्थित तिकुनिया थाना क्षेत्र की 3 अक्टूबर की घटना मानवता व लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाली घटना है। हाल ही में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बने अजय मिश्र टेनी के पैतृक निवास बनबीरपुर से लगभग 04 किलोमीटर की दूरी पर तिकुनिया में किसानों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की समाप्ति के दौरान केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा व उसके गुंडा तत्वों द्वारा शांतिपूर्वक वापस जा रहे किसानों को पीछे से गाड़ियों द्वारा बर्बरतापूर्वक कुचल दिया गया। इस अचानक जालिमाना हमले से 4 किसान व एक पत्रकार शहीद हो गए तथा आशीष मिश्रा अपने गुंडा साथियों के साथ गोली चलाते हुए और पुलिस की मदद से फरार हो गया।

घटना की पृष्ठभूमि

बीते 25 सितंबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Kumar Mishra) ने लखीमपुर जिला के संपूर्णानगर में एक सभा में किसानों (Farmers) पर विवादित एवं अभद्र बयान देते हुए कहा कि "जो 15-20 किसान हमारा विरोध कर रहे हैं वे सुधर जायें अन्यथा हमारा सामना करें, 2 मिनट नहीं लगेगा हम उन्हें सुधार देंगे। हमारे विधायक, सांसद बनने से पहले वे जानते होंगे कि हम क्या थे? जिस दिन हमने चुनौतियों को स्वीकार कर लिया तो इन्हें पलिया तो क्या जिला लखीमपुर छोड़कर भागना पड़ेगा।"

यह बयान अपने आप में सवाल खड़ा करता है कि मंत्री बताना क्या चाहते थे? वह पहले क्या थे? इसमें एक धमकी छुपी है। होना तो यह चाहिए था कि एक जिम्मेदार मंत्री के इस गुंडई वाली भाषा के कारण बर्खास्त कर दिया जाता। पर उसे तो इसी के कारण मंत्री पद मिला है। परंतु इस बयान से सभी किसान संगठनों में मंत्री के खिलाफ आक्रोश व गुस्सा बढ़ता गया जिसके बाद किसान संगठनों ने तय किया कि 03 अक्टूबर 2021,दिन रविवार को केंद्रीय मंत्री के घर दंगल विजेताओं को पुरस्कृत करने के लिए आ रहे मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व साथ में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को काले झंडे दिखा कर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

तय समयानुसार किसानों ने 3 अक्टूबर को प्रातः 08 बजे से ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के हेलीकॉप्टर लैंड करने वाले स्थान महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज तिकुनिया के खेल मैदान में एकत्रित होना शुरू किया। धीरे धीरे किसानों की तादात बढ़ती गयी और साथ ही साथ पुलिस बलों की संख्या भी बढ़ने लगी।

दोपहर करीब दो बजे के समय पुलिस प्रशासन ने किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क (Tejinder Singh Virk) से वार्ता करके किसानों को वहां से हटने व विरोध प्रदर्शन खत्म करने को कहा किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क (उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश तराई क्षेत्र किसान के प्रदेश अध्यक्ष हैं) ने प्रशासन को बताया कि "उप मुख्यमंत्री सहित जितने भी लोगों को केन्द्रीय मंत्री के घर जाना है वह इस रूट के अलावा दो अन्य और रूट हैं उस रूट से जा सकते हैं। हम किसानों को कोई आपत्ति नहीं होगी तथा जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद केंद्रीय मंत्री के घर पहुंच जाएं तो पहुंचने की सूचना मिलते ही हम किसान अपना प्रदर्शन खत्म कर अपने अपने घर लौट जाएंगे।"

प्रशासन ने बात मान ली और वार्ता के अनुसार उपमुख्यमंत्री के रूट बदल दिए गए और किसान अपने-अपने घरों को लौटने लगे। इसी बीच अचानक केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बड़े बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपने कुछ लंपट व गुंडा तत्वों के साथ तीन चारपहिया वाहन से अपने खुफिया लोगों के इशारे पर किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क को टारगेट करते हुए लगभग 80-90 किमी/घंटा की गति में एक महिंद्रा थार और दूसरी फार्च्यूनर गाड़ी से किसानों को रौंदते हुए आया। उनकी गाड़ी आगे जाकर और अनियंत्रित होकर एक गाड़ी जो हथियारों से लैस थी खड्डे में जा गिरी और तत्काल उसमे आग लग गयी। दूसरी गाड़ी जिसमे मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा सवार था उसमें से वह उतरकर अपने गुंडा मित्रों के साथ बन्दूक लहराते व फायरिंग करते हुए गन्ने की खेत में भागने लगा। एक किसान बेटा उसे पकड़ने की कोशिश की तो वे लोग उसे गोली मारकर पुलिस सुरक्षा के साथ फरार हो गए। गुस्साई किसानों की भीड़ ने उसके गाड़ी को धकेलकर उसमें आग लगा दी तथा तीसरी गाड़ी स्कार्पियो मौका देखते हुए वहां से भाग निकली।

गाड़ियों द्वारा किसानों को कुचलने से 2 किसान तत्काल शहीद हो गए तथा 2 किसान अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में शहीद हो गए। किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क सहित अन्य कई किसानों को गंभीर रूप से चोटें आई हैं। किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क जिला लखीमपुर से रेफर कर दिए गए तथा उनका उत्तराखंड में इलाज चल रहा है जो अब खतरे से बहार हैं। चार किसानों के साथ बाद में एक स्वतंत्र पत्रकार के मरने की भी पुष्टि हुई है।

इस दिल दहला देने वाली घटना के उपरांत पूरे किसानों में आक्रोश एवं पीड़ामय स्थिति उत्पन्न हुई। दूर दूर से किसान घटना स्थल पर पुनः एकत्रित होना शुरू हुए। तत्काल वहां के सड़क को जाम कर दिया गया एवं प्रशासन से न्याय की मांग की जाने लगी। चारों शहीद किसानों का शव फ्रीजर में डालकर घटनास्थल के सड़क पर रखकर सड़क जाम कर दिया गया। प्रशासन एवं सरकार से कहा गया कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती, हमें न्याय नहीं मिल जाता तब तक हम किसान यहां डटे रहेंगे और तब तक किसानों के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।

किसानों की क्या थीं मांगें

1. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को उसके मंत्री पद से बर्खास्त किया जाये तथा उनके खिलाफ हिंसा भड़काने व साम्प्रदायिक विद्वेष फ़ैलाने का मुकदमा दायर किया जाय।

2. मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा व उसके गुंडा मित्रों पर (302) हत्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये।

3. शहीद किसानों के परिवार को 01 करोड़ रूपए आर्थिक सहयोग व परिवार के किसी एक सदस्य को योग्यतानुसार सरकारी नौकरी दिया जाये।

4. पूरी वारदात की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की गठित टीम एसआईटी द्वारा की जाये।

उपरोक्त सभी मांगो को लेकर किसान प्रदर्शन करने लगे तथा पुलिस प्रशासन की शहीद किसानों के शवों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश नाकाम रही। 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक पुरे लखीमपुर में इन्टरनेट बंद रहा।

04 अक्टूबर के प्रातः रात में ही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) घटना स्थल पर पहुंचकर शहीद किसान परिवार से मिले। प्रसाशन और किसान नेताओं के बीच लगभग 3 से 4 घंटे की वार्ता में किसानों के कुछ मांगों को मान लिया गया। उसके पश्चात् किसान नेता राकेश टिकैत 04 अक्टूबर की दोपहर 01 बजे के समय शहीद परिवार व किसानों को संबोधित करते हुए स्वीकार किए गये मांगों का ऐलान किया। शहीद हुए किसानों के पार्थिव शरीर का PM करवाने हेतु जिला लखीमपुर भेज दिया गया व सभी किसान अपने अपने घरों को लौट आये।

शहीद किसानों व पत्रकार के नाम, उम्र व पता

1. दलजीत सिंह पुत्र हरी सिंह, उम्र 35 वर्ष, निवासी बंजारा टांडा (नानपारा) जिला बहराइच।

2. गुरविंदर सिंह पुत्र सुखविंदर सिंह, उम्र 20 वर्ष, निवासी मोहरानिया (नानपारा) जिला बहराइच।

3. लवप्रीत सिंह पुत्र सतनाम सिंह, उम्र 19 वर्ष, निवासी चौखड़ा फार्म मजगई (पलियाकलां ) लखीमपुर खीरी।

4. नछत्तर सिंह पुत्र सुब्बा सिंह, उम्र 55 वर्ष, निवासी नंदापुरवा धौरहरा लखीमपुर खीरी।

5. रमन कश्यप पुत्र रामदुलारे, उम्र 27 वर्ष, निवासी निघासन लखीमपुर खीरी। ( स्वतंत्र पत्रकार)

उपरोक्त घटना मेरे सामने घटित हुई। वह भयानक मंजर दिमाग से उतरने का नाम ही नही ले रहा और यह रिपोर्ट लिखते समय न जाने कितने बार मैं भावुक हो चुका हूं। मतलब केंद्रीय मंत्री के द्वारा ऐसा माहौल तैयार किया गया कि लखीमपुर छोड़ना पड़ जायेगा... जैसे भड़काऊ बयान और उसी का नतीजा रहा कि हमारे कई शहीद किसान पूरी दुनिया छोड़ चले गए। पूरे लखीमपुर जिले को कश्मीर टाइप बना दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्टरनेट सेवा को मौलिक अधिकार बताने के बावजूद भी पुरे 55 घंटे तक इंटरनेट व एसएमएस सेवा बंद कर दिया गया। जिससे कि मंत्री के खिलाफ कोई भी साक्ष्य ना फैल सके। वहीं मंत्री और उसके बेटे की गिरफ्तारी तो दूर अभी तक कोई पूछताछ भी नहीं किया गया है।

शहीद किसान गुरविंदर सिंह (Gurvinder Singh) की पोस्टमार्डम रिपोर्ट से गोली लगने का नामो निशान ही मिटा दिया गया। इससे जाहिर होता है कि मंत्री टेनी के साथ-साथ मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के हाथों इस देश की न्याय व स्वास्थ्य व्यस्था भी बिक चुकी है। जिस प्रकार से सत्ता के नशे में धुत्त सरकार पुरे देश में मामूली सी घटनाओं पर भी जगह जगह धारा 144 लगाने का खिलवाड़ करती रहती है, उसी प्रकार अब इन्टरनेट बंद करने को भी दमन के एक हथकंडे के रूप में अपना ली है। कहीं भी कुछ भी हो इंटरनेट बंद कर दो। आज 6 अक्टूबर को फिर से जियो द्वारा इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इंटरनेट बंद करना भी दमन का ही एक रूप है कि सच्चाई छुपाई जा सके।

आखिर किसको डर है इंटरनेट चलने से? मंत्री के बेटे द्वारा सैकड़ों लोगों के सामने किसानों को कुचला गया। सैकड़ों लोग इसके गवाह हैं इसे क्यों नही माना जाता? इसपर बहस होना चाहिए। इतने भयानक तरीके से लोकतंत्र और इंसानियत की हत्या करना इससे दर्दनाक और क्या हो सकता है?

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