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न्यूटन ने नहीं भारत में हुई थी ग्रैविटी की खोज, नई शिक्षा नीति के प्रमुख ने कहा वैदिक गणित में हैं इसकी जड़ें

Janjwar Desk
11 July 2022 10:53 AM IST
न्यूटन ने नहीं भारत में हुई थी ग्रैविटी की खोज - नई शिक्षा नीति के प्रमुख ने कहा वैदिक गणित में हैं इसकी जड़ें
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न्यूटन ने नहीं भारत में हुई थी ग्रैविटी की खोज - नई शिक्षा नीति के प्रमुख ने कहा वैदिक गणित में हैं इसकी जड़ें

अमेरिका की साइंस मैगजीन में असोसिएट एडिटर रहे डिक टेरेसी ने अपनी किताब 'एंसियंट रूट ऑफ मॉडर्न साइंसेस' के पेज नंबर सात में लिखा है कि 'न्यूटन से 3400 साल पहले हिंदुओं के ऋग्वेद में यह बताया गया कि पूरा ब्रह्मांड गुरुत्वाकर्षण शक्ति से आपस में जुड़ा है।

नई दिल्ली। अभी तक भारत सहित दुनिया के लोग यही जानते हैं कि ग्रैविटी की थ्योरी ( Law of gravity ) की खोज न्यूटन ( Newton ) ने की थी लेकिन नई शिक्षा नीति ( NEP 2020 ) के तहत तैयार पाठ्यक्रमों में इस बात का दावा किया गया है कि न्यूटन ने नहीं भारतीय वैज्ञानिक ( Indian scientist ) ब्रह्मगुप्त ( Brahmagupta ) ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा था। राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के इस बयान से वैज्ञानिक सहमत नहीं हैं।

शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के मुताबिक न्यूटन ( Newton ) से 1000 साल पहले ही भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण ( Law of gravity )की खोज कर ली थी। इसे स्कूल की किताबों में पढ़ाया जाना चाहिए। जहां वैज्ञानिकों का कहना है कि न्यूटन को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि पहली बार उन्होंने ही थिअरी दी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों के मुताबिक ब्रह्मगुप्त से भी पहले ऋग्वेद में गुरुत्वाकर्षण के बारे में बता दिया गया था और यह स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में पूर्व प्रोफेसर और वैज्ञानिक आरसी कपूर के मुताबिक ब्रह्मगुप्त ने दो किताबें लिखीं। खंडकाव्यक और ब्रह्मस्फुट सिद्धांत। इनमें ग्रहों की गति, ग्रहों, ग्रहों की आकाश में संयुक्ति, उदय और अस्त होने को लेकर मुख्य रूप से अध्ययन शामिली हैं। गुरुत्वाकर्षण की बात भास्कराचार्य ने की थी। उनका 1014 से 1085 ईसवी का दौर था।उन्होंने 'सिद्धांत शिरोमणि' में एक श्लोक लिखा है जिसके तीसरे अध्याय के छठे श्लोक में लिखा है कि 'पृथ्वी में खींचने की शक्ति है। पृथ्वी भारी चीजों को आकर्षण के बल पर अपनी तरफ खींचती है, आकर्षण के कारण ही ये सब गिरते प्रतीत होते हैं।

प्रोफेसर आरसी कपूर का कहना है कि यह बात सिर्फ श्लोक तक खत्म हो जाती है। इससे आगे कोई गणित और कोई अध्ययन नहीं हुआ। न्यूटन ने प्रयोग किए। पूरे विस्तार के साथ गुरुत्वाकर्षण पर अपना सिद्धांत पेश किया। इसका मेजरमेंट निकाला। G कॉन्स्टेंट के बारे में बताया। कपूर के मुताबिक न्यूटन की किताब Principia (प्रिंसिपिया) अब भी समझना आसान नहीं है। न्यूटन ने ही गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत गणित के रूप में दिया। इसके आधार पर हमें सौरमंडल को समझने में मदद मिली। इसलिए हम सब न्यूटन को पढ़ते हैं।

वैज्ञानिक कपूर ने कहा कि हमारे पुराने खगोलशास्त्रियों ने बहुत अच्छा काम किया, लेकिन गुरुत्वाकर्षण पर उनका सिद्धांत इस तरह नहीं मान सकते कि न्यूटन के साथ तुलना कर सकें। हमारे खगोलशास्त्रियों का योगदान अच्छा है पर वह एक सीमा से आगे नहीं बढ़ा। इसलिए जब भी गुरुत्वाकर्षण की बात होगी न्यूटन को याद करना होगा।

क्या कहते हैं साइंस मैगजीन के एडिटर डिक टेरेसी

वहीं आरएसएस ( RSS ) से जुड़े और विवेकानंद इंटरनैशनल फाउंडेशन के विशिष्ट फेलो माखन लाल कहते हैं कि ब्रह्मगुप्त से भी पहले ऋग्वेद में गुरुत्वाकर्षण के प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका की साइंस मैगजीन में असोसिएट एडिटर रहे डिक टेरेसी ने अपनी किताब 'एंसियंट रूट ऑफ मॉडर्न साइंसेस' के पेज नंबर सात में लिखा है कि 'न्यूटन से 3400 साल पहले हिंदुओं के ऋग्वेद में यह बताया गया कि पूरा ब्रह्मांड गुरुत्वाकर्षण शक्ति से आपस में जुड़ा है। उन्होंने कहा कि यह सब स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।

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