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कैलाश विजयवर्गीय का कबूलनामा, धर्मेंद्र प्रधान ने नहीं PM नरेंद्र मोदी ने खुद गिराई थी कमलनाथ की सरकार
इंदौर में बुधवार को आयोजित भाजपा के किसान सम्मेलन में कैलाश विजयवर्गीय।
जनज्वार। मध्यप्रदेश से आने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार धर्मेंद्र प्रधान ने नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद गिराई थी। उन्होंने इंदौर में आयोजित एक किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने में सबसे बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी।
कैलाश विजयवर्गीय ने भीड़ में मौजूद लोगों से कहा, मैंने आजतक यह बात किसी को नहीं बतायी हैं, यहां पहली बार इस मंच से बता रहा हूं कि कमलनाथ जी की सरकार गिराने में अगर महत्वपूर्ण भूमिका किसी की थी तो नरेंद्र मोदी जी की थी, धर्मेंद्र प्रधान जी की नहीं थी। पर किसी को यह बात बताना मत। आज तक मैंने किसी को नहीं बतायी।
पश्चिम बंगाल के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक तरह से यह स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री की भूमिका राज्यों की गैर भाजपा सरकारों को गिराने में है। सोशल मीडिया पर कैलाश विजयवर्गीय का यह वीडियो वायरल हो गया है और लोग इसे जमकर शेयर कर रहे हैं।
"आज तक मैंने ये बात किसी को नहीं बताई पहली बार इस मंच पर बता रहा हूँ 'कमलनाथ जी की सरकार अगर गिराने में यदि किसी की महत्वपूर्ण भूमिका थी तो @narendramodi जी की थी, ना की धर्मेंद्र प्रधान की।' पर ये बात किसी को बताना मत।" - कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता pic.twitter.com/eq4r3yvmcy
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) December 16, 2020
वहीं, बाद में जब कैलाश विजयवर्गीय से इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कहा कि वहां मौजूद लोगों को पता है कि यह विशुद्ध रूप से मजाक है। उन्होंने कहा कि यह बात मैंने हल्के-फुल्के मजाकिया अंदाज में कही थी, लेकिन इस मजाक को लोगों ने गंभीरता से ले लिया।
मालूम हो कि स्पष्ट बहुमत वाली मात्र सवा साल में 20 मार्च 2020 को गिर गई और भाजपा के शिवराज सिंह चैहान मुख्यमंत्री बन गए। तब कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक डेढ दर्जन से अधिक विधायकों के साथ पार्टी में बगावत कर दी। सिंधिया समर्थक विधायक लंबे समय तक भाजपा शासित कर्नाटक के बेंगलुरु में रहे। शिवराज सरकार बन जाने के बाद सिंधिया को भाजपा ने राज्यसभा की सीट भी दी और उपचुनाव में उनके समर्थक विधायकों को टिकट भी दिया।