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मध्य प्रदेश

चोरी के आरोपी आदिवासी युवक की पुलिस कस्टडी में मौत, खाकी ने दिखाई ताकत तो ग्रामीणों ने किया पथराव

Janjwar Desk
7 Sep 2021 11:27 AM GMT
चोरी के आरोपी आदिवासी युवक की पुलिस कस्टडी में मौत, खाकी ने दिखाई ताकत तो ग्रामीणों ने किया पथराव
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(पथराव के बाद बिष्टान थाने का हाल)

पुलिस हिरासत में बिसेन नाम के एक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी। युवक की मौत से आक्रोशित आदिवासी समाज के लोगों ने थाना पर धावा बोल दिया...

जनज्वार। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जनपद खरगोन (Khargon) स्थित बिस्टान में एक आदिवासी युवक की मौत के बाद मंगलवार सुबह जमकर बवाल मच गया। ग्रामीणों ने बिस्टान थाने पर पहुंचकर जमकर पथराव किया। पथराव में कई वाहन भी छतिग्रस्त हुए हैं।

दरअसल, तीन दिन पहले बिस्टान (Bistan) पुलिस ने चोरी और लूट के संदेह में 12 लोगों को हिरासत में लिया था। पुलिस हिरासत में बिसेन नाम के एक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी। युवक की मौत से आक्रोशित आदिवासी समाज के लोगों ने थाना पर धावा बोल दिया।

सैकड़ों की संख्या में आए आदिवासियों ने थाने पर पथराव कर दिया और जमकर तोड़फोड़ मचाई. घटना में 3 पुलिस कर्मियों को चोट आई। उग्र आदिवासियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने आंसू गैस (Tear Gas) के गोलों का उपयोग किया। इस घटना में पुलिस जवान भी घायल हुए हैं।

मंगलवार सुबह हुए बवाल के बाद पलटी कार

पुलिस बल ने आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ को खदेड़ा। जानकारी के अनुसार कुछ दिन पूर्व झगड़ी घाट पर लूट के मामले में पुलिस ने ग्राम खेरकुंडी के 12 लोगों को पकड़ा था। इनमें से एक आरोपी की मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने पुलिस थाने में प्रदर्शन किया। इस बीच, घटना की जानकारी मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए।

कांग्रेस ने घटना के बाद सरकार पर आदिवासी वर्ग के साथ दमन और उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पार्टी ने मामले में उच्च स्तरीय जांच के साथ ही दोषियों पर कार्रवाई और पीड़ित परिवारों की मदद की मांग की है। मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जांच कमेटी का गठन किया है। पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो के अध्यक्षता में गठित की गई जांच कमेटी में 4 सदस्य शामिल हैं।

बताते चलें कि, मध्यप्रदेश के ही नीमच जिले में कुछ असामाजिक तत्वों ने आदिवासी युवक कन्हैया को गाड़ी से बांधकर घसीटा था। उसके साथ मारपीट भी की गई थी। इस घटना में युवक कन्हैया की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के आदिवासी विरोध में नीमच में बड़ी संख्या में जुटे थे।

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