Mahant Narendra Giri Death : महंत नरेंद्र गिरी ने अपने शिष्य से मंगाई थी नायलॉन की रस्सी
(महंत नरेंद्र गिरी ने 20 सितंबर को कर ली थी कथित आत्महत्या)
Mahant Narendra Giri Death जनज्वार। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) की मौत का मामला अभी पूरी तरह से रहस्य बना हुआ है। खबरों के मुताबिक नरेंद्र गिरी ने अपने एक शिष्य सर्वेश से गीले कपड़े सुखाने के लिए नायलॉन की रस्सी लाने को कहा था। शिष्य उनके कपड़े सुखाने के लिए नायलॉन की रस्सी ले आया तो उन्होंने फांसी लगा ली।
सर्वेश कहते हैं कि अगर उर उसे जरा भी अहसास होता कि वो उससे फांसी लगा लेंगे तो वह कभी डोरी नहीं लाता। बता दें कि नरेंद्र गिरी सोमवार 20 जनवरी को प्रयागराज (Prayagraj) के अपने बाघम्बरी मठ (Baghambari Mutt) में फांसी पर लटके मिले थे। जानकारी के मुताबिक नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) दोपहर का खाना खाने के बाद आराम करते थे और और शाम को ही बाहर आते थे। हर दिन वह शाम पांच बजे मंदिर (Temple) में जाते थे। लेकिन उस रोज नहीं आए तो उनके शिष्य सर्वेश द्विवेदी और दूसरे शिष्यों ने दरवाजा तोड़ा।
इसके बाद जब वे अंदर पहुंचे तो देखा कि नरेंद्र गिरी ने कपड़े सुखाने के लिए जो नायलॉन की रस्सी मंगवाई थी उसी से उन्होंने सीलिंग फैन के कुंडे से बांधकर फांसी लगा ली। उनके शिष्यों के मुताबिक उन्हें लगा कि वह जिंदा हो सकते हैं और इसलिए उन्होंने नायलॉन (Nylon) की रस्सी को काटा और उन्हें नीचे उतारा लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी।
रस्सी जिस दुकान (Shop) से मंगाई गई और जहां से मठ (Baghambari Mutt) का सारा सामान आता है, वहां दुकानदार मुन्ना हार्डवेयर के मालिक ने बताया कि रस्सी तो रोज ही लोग खरीद ले जाते हैं। उन्हें ध्यान नहीं कि मठ के किसी शिष्य ने रस्सी खरीदी या नहीं।
इसके बाद बुधवार 22 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरी के शव का पोस्टमॉर्टम (PostMortem) पांच डॉक्टरों के एक पैनल ने किया था। लेकिन रिपोर्ट में क्या जानकारी निकलकर सामने आई ये साफ नहीं है। हालांकि खबर है कि मौत की वजह रिपोर्ट में दम घटना ही बताया गया है।
नरेंद्र गिरी के एक शिष्य ने बताया कि उनकी खुदकुशी के बाद लोग अंदर गए तो देखा कि सल्फास की कुछ गोलियां वहां मेज पर रखीं थीं और कुछ प्लास्टिक के डिब्बे में रखी थीं। सल्फास चूंकि अनाज को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसलिए मार्केट में आसानी से मिल जाता है।
खबरों के मुताबिक नरेंद्र गिरी का सारा निजी काम उनकी जरूरत की चीजों के बाजार से खरीदने का काम उनका शिष्य सर्वेश द्विवेदी (Satish Dwivedi) करता था। जानकारी के मुताबिक बाघम्बरी मठ में बहुत लोगों का रोज खाना बनता है इसलिए अनाज को बड़े पैमाने पर स्टोरी किया जाता है। अंदेशा जताया जा रहा है कि हो सकता है नरेंद्र गिरी ने अनाज के लिए उसकी जरूरत बताकर सल्फास मंगाया हो।