Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Maharashtra : शिवसेना के 19 में से 10 सांसद भी आए भाजपा के साथ, अब सवाल उद्धव असली या शिंदे असली

Janjwar Desk
20 July 2022 8:44 AM IST
Maharashtra : शिवसेना के 19 में से 10 सांसद भी आए भाजपा के साथ, अब सवाल उद्धव असली या शिंदे असली
x

Maharashtra : शिवसेना के 19 में से 10 सांसद भी आए भाजपा के साथ, अब सवाल उद्धव असली या शिंदे असली

Maharashtra : किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्य स्तर की पार्टी में कोई फूट होती है, तो चुनाव आयोग फैसला करता है कि असली पार्टी किसकी है।

Maharashtra : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) सीएम का पद खो चुके हैं। अब उनके सामने शिवसेना ( Shiv Sena ) का पार्टी सिंबल तीर कमान बचाए रखने की चुनौती है। चुनौती इसलिए कि सीएम बनने के बाद से एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) की नजर शिवसेना पर पूरी तरह से से कब्जे की है। इस दिशा में वो तेजी से कदम आगे बढ़ा रहे हैं। पहले पार्टी के विधायकों को अपने पक्ष में किया। सीएम बनने के बाद सांसदों को अपने पक्ष में कर चुके हैं।

अब आगे उनकी नजर संगठन के पदाधिकारियों और जिला इकाइयों सहित मेयरों पर है। अहम सवाल यह है कि उद्धव ठाकरे लगातार कमजोर हो रहे हैं और वो शिवसेना के नेताओं को शिंदे गुट में जाने से रोक नहीं पा रहे हैं।

किसका पलड़ा भारी

शिवसेना ( Shiv Sena ) के कुल 19 लोकसभा सांसदों में से 12 उनके पाले में आ चुके हैं। शिंदे गुट का दावा 6 अन्य सांसदों के भी अपने साथ होने की है। 55 में से 40 विधायक पहले ही उनके खेमे में आ चुके हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संगठन से जुड़े ज्यादातर शिवसैनिक शिंदे के साथ आ चुके हैं।

7 जुलाई को ठाणे जिले के 67 कॉर्पोरेटर में से 66 शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। BMC के बाद ठाणे सबसे बड़ी म्युनिसिपल कार्पोरेशन है। इसके बाद डोंबिवली महानगरपालिका के 55 कॉर्पोरेटर उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे के साथ मिल गए हैं। नवी मुंबई के 32 कॉर्पोरेटर भी शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।

सीएम बनने के बाद शिंदे ( Eknath Shinde ) गुट ने 18 जुलाई को पार्टी की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया नेता चुन गया है। खास बात यह है कि शिवसेना ने पार्टी प्रमुख के पद को नहीं हटाया है। यानी उद्धव ठाकरे का पद जस का तस रखा गया है।

19 जुलाई को शिंदे गुट ने लोकसभा स्पीकर के सामने पार्टी के सांसदों की परेड करवाई है। इसके साथ ही शिंदे गुट का दावा है कि 19 सांसदों में से 18 हमारे साथ हैं। स्पीकर ओम बिड़ला ने भी बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे समर्थक सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है। 18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनावों में शिवसेना ( Shiv Sena ) के सभी 22 सांसदों ने भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया।

पार्टी में फूट होने पर क्या होता है

किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्य स्तर की पार्टी में कोई फूट होती है, तो चुनाव आयोग फैसला करता है कि असली पार्टी किसकी है। यानी शिवसेना किसकी, इसे चुनाव आयोग ही तय करेगा। चुनाव आयोग को यह अधिकार द इलेक्शन सिंबल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर, 1968 के पैराग्राफ 15 से मिलता है। आयोग पार्टी के वर्टिकल बंटवारे की जांच करेगा। यानी इसमें विधायिका और संगठन दोनों देखे जाते हैं। चुनाव आयोग बंटवारे से पहले पार्टी की टॉप कमेटियों और डिसीजन मेकिंग बॉडी की लिस्ट निकालता है। इससे ये जानने की कोशिश करता है कि इसमें से कितने मेंबर्स या पदाधिकारी किस गुट में हैं। इसके अलावा किस गुट में कितने सांसद और विधायक हैं।

अधिकांश मामलों में आयोग ने पार्टी के पदाधिकारियों और चुने हुए प्रतिनिधियों के समर्थन के आधार पर सिंबल देने का फैसला दिया है, लेकिन अगर किसी वजह से यह ऑर्गेनाइजेशन के अंदर समर्थन को सही तरीके से जस्टिफाई नहीं कर पाता, तो आयोग पूरी तरह से पार्टी के सांसदों और विधायकों के बहुमत के आधार पर फैसला करता है। इस बार ऐसा हुआ तो शिंदे गुट की शिवसेना पर कब्जा तय है। यानि उद्धव ठाकरे के पाससे पार्टी का सिम्बल तीर कमान छिन सकता है।

वर्तमान स्थिति क्या है

वर्तमान में भले ही उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम का पद खो चुके हैं लेकिन शिवसेना के संविधान के मुताबिक चुने गए अध्यक्ष वो आज भी हैं। संसदीय गुट में अभी कोई बगावत नहीं है।

गेंद चुनाव आयोग के पाले में

सीएम एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) की पार्टी पर कब्जे की रणनीति को देखते हुए उद्धव की शिवसेना ने 11 जुलाई को चुनाव आयोग में कैविएट दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी के चुनाव चिह्न पर शिंदे गुट द्वारा की गई किसी भी मांग पर विचार करने से पहले उन्हें सुना जाए। दूसरी तरफ अब माना जा रहा है कि सांसदों के साथ आने के बाद एकनाथ शिंदे जल्द ही चुनाव आयोग के पास जाकर शिवसेना पर दावा पेश कर सकते हैं। ऐसे में असली शिवसेना किसकी, का फैसला संवैधानिक रूप से चुनाव आयोग को करना है।

Next Story

विविध