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मायावती और राहुल गांधी ने मोदी सरकार से उठाई कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

Janjwar Desk
9 Jan 2021 8:49 AM GMT
मायावती और राहुल गांधी ने मोदी सरकार से उठाई कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग
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राहुल गांधी ने कहा, मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए देश के अन्नदाता के साथ विश्वासघात किया है, आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी बात कह चुके हैं....

लखनऊ। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत का आठवां दौर भी बेनतीजा रहा। इन सबके बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई है।

मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, "काफी समय से दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलन कर रहे किसानों व केन्द्र सरकार के बीच वार्ता कल एक बार फिर से नाकाम रही, जो अति-चिन्ता की बात है। केन्द्र से पुन: अनुरोध है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग को स्वीकार करके इस समस्या का शीघ्र समाधान करे।"

इससे पहले उन्होंने लिखा था कि केन्द्र की सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आन्दोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी मांगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को लोगों से अपील की कि वो किसानों के लिए आवाज बुलंद करें। राहुल गांधी ने हिंदी में ट्वीट किया, शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होता है। हमारे किसान बहन-भाई जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे देश भर से समर्थन मिल रहा है। आप भी उनके समर्थन में अपनी आवाज जोड़कर इस संघर्ष को बुलंद कीजिए ताकि कृषि-विरोधी कानून खत्म हों।


एक और ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा, मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए देश के अन्नदाता के साथ विश्वासघात किया है। आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी बात कह चुके हैं। अन्नदाताओं की आवाज उठाना और उनकी मांगों का समर्थन करना हम सब का कर्तव्य है।

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी हिंदी में ट्वीट किया और कहा, केंद्र सरकार के कृषि विरोधी काले कानूनों के तानाशाही निर्णय व कु²ष्टि से अपने अधिकारों, खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे किसान भाइयों की आवाज को बुलंद करना हमारा नैतिक दायित्व है। ताकि अड़ियल, अहंकारी व असंवेदनशील भाजपा सरकार तक उनकी मांगें पहुंचे।

दिल्ली सीमाओं पर पिछले 44 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है और सरकार के साथ बातचीत अब तक अनिर्णायक रही है। किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। किसानों ने शुक्रवार को दो टूक कहा कि कानून वापसी होगी, तभी घर वापसी होगी।

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