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पौने दो करोड़ की आबादी के उम्मीदों का मेडिकल कालेज देवरिया, कितना मददगार साबित हो पाएगा सरकारी इंतजाम

Janjwar Desk
6 Aug 2021 2:18 PM GMT
पौने दो करोड़ की आबादी के उम्मीदों का मेडिकल कालेज देवरिया, कितना मददगार साबित हो पाएगा सरकारी इंतजाम
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(ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया में जल्द पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है।)

मेडिकल कॉलेज का निर्माण 28 एकड़ परिक्षेत्र में कराया गया है जिसमें से अधिकांश भूमि जिला चिकित्सालय की है।जिनके जमीनों व भवनों का भी प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए शासन ने 207 करोड़ रूपये का बजट तय किया था...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दावों को अगर सच मानें तो राज्य में 9 मेडिकल कालेज बनकर तैयार हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तरफ से इन कॉलेजों के निर्माण पूर्ण कर लेने का मोहर लगते ही इसका उदघाटन कर दिया जाएगा।

ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया भी इसमें से एक है।बिहार की सरहद से सटे होने के चलते देवरिया व उसके आसपास के जिले के अलावा पड़ोसी राज्य के लोगों को भी बेहतर स्वास्थ्य इंतजाम की यहां से उम्मीद है।तकरीबन पौने दो करोड़ आबादी वाले इलाके के लिए यह स्वास्थ्य केंद्र प्रमुख माना जा रहा है।ऐसे में अभी से ही ये सवाल भी उठने लगे हैं,कि मरीजों के उम्मीदों पर यह कितना कारगर साबित हो पाएगा।

ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया के अलावा कुशीनगर व बलिया जिला तथा बिहार के सीवान व गोपालगंज जिले के लिए प्रमुख केंद्र होगा। इन जिलों के आबादी पर गौर करें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देवरिया की आबादी 31 लाख 9 46 है।जबकि कुशीनगर की 35 लाख 64 हजार 544 तथा बलिया की 32 लाख 39 हजार 774 है। इसके अलावा बिहार के पडोसी जिले सीवान की 33 लाख 30 हजार 465 व गोपालगंज की 25 लख 62 हजार 12 है।ऐसे में कुल 1 कारोड 57 लाख आबादी इन पांच जिलों की है।हालांकि पिछले 11 वर्ष में इसकी आबादी बढने के साथ ही अब तकरीबन पौने दो करोड़ अनुमानित जनसंख्या हो गई है।


बिहार से बड़ी संख्या में इलाज कराने गोरखपुर जाते हैं मरीज

सरकारी स्वास्थ्य इंतजाम को लेकर बिहार हो या उतर प्रदेश कमोबेश हालात एक जैसे हैं। बिहार के सीवान व गोपालगंज जिले की एक बडी आबादी इलाज करानें राजधानी पटना के बजाय गोरखपुर ही आना पसंद करती है। तकरीबन 120 से 150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर ये लोग गोरखपुर मेडिकल कालेज व एम्स में जाते हैं।इनमें भी एक बडी संख्या ऐसी है,जो सरकारी इंतजाम से संतुष्ट न होने के कारण गोरखपुर में ही महंगी फीस देकर प्राइवेट चिकित्सकों से इलाज कराते हैं। इन लोगों को देवरिया में ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय से सस्ता व सुलभ चिकित्सा को लेकर एक उम्मीद जगी है।

मेडिकल कालेज में 386 पद सृजित, जल्द शुरू होगी पढ़ाई

ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया में जल्द पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिए शासन ने 386 पद सृजित किए हैं। नियुक्ति की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। इसके बाद ओपीडी व छात्रों के दाखिले की कार्रवाई शुरू होगी। टाइप वन, टाइप टू, टाइप थ्री आवासों के अलावा प्रशासनिक भवन, गर्ल्स व ब्वायज हास्टल, डाइरेक्टर बंगला आदि लगभग बन कर तैयार है। तकरीबन नब्बे प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। शासन ने शैक्षिक सत्र 2021-22 से प्रथम वर्ष एमबीबीएस के लिए चिकित्सा शिक्षकों के 45 पद, सीनियर रेजीडेंट के 18 पद, जूनियर रेजीडेंट के 42 पद, नर्सिंग संवर्ग के 173 पद, तकनीकी संवर्ग के 32 समेत 386 पदों का सृजन किया है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी आउट सोर्सिंग से रखे जा रहे हैं।

207 करोड की लागत से निर्मित कालेज का 28 एकड़ में कराया गया है निर्माण

मेडिकल कॉलेज का निर्माण 28 एकड़ परिक्षेत्र में कराया गया है जिसमें से अधिकांश भूमि जिला चिकित्सालय की है।जिनके जमीनों व भवनों का भी प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए शासन ने 207 करोड़ रूपये का बजट तय किया था। अब यहां से जिला चिकित्सालय का अन्य स्थान पर निर्माण के लिए शासन से स्वीकृति भी मिल गई है। मेडिकल कालेज के अस्पताल में कुल 330 बेड के वार्ड होंगे। ओपीडी के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से हरी झण्डी मिलने का इंतजार

उत्तर प्रदेश सरकार के लिए आगामी विधान सभा चुनाव के लिहाज से यह चुनावी वर्ष है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज सरकार के लिए भी उपलब्धियों की श्रृंखला के लिहाज से प्रमुख है।जिसे चुनाव में प्रमुखता से गिनाने की तैयारी में सरकार है। इसे देखते हुए आचार संहिता लगने के पूर्व उदघाटन की औपचारिकता पूर्ण कर लेने की बेचैनी साफ दिख रही है। पिछले 30 जुलाई को राज्य में निर्मित 9 मेडिकल कॉलेजों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों करने का तय कार्यक्रम था। इसके पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन मेडिकल कालेजों का दौरा भी कर लिया था। हालांकि कहा जा रहा है कि राष्टीय चिकित्सा आयोग के तरफ से कालेज चालू करने की स्वीकृति न मिलने के चलते उदघाटन की तिथि टालनी पड़ी

ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त के अंत तक या सितंबर के शुरूआत में ही इनका शुभारंभ कराया जा सकता है। नए मेडिकल कॉलेज में देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ,सिद्धार्थनगर शामिल है। इसके साथ ही 13 और मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है।


मेडिकल कॉलेजों के नामकरण को लेकर खुब हुई सियासत

राज्य में इन मेडिकल कॉलेजों के नाम को लेकर भी खुब सिसायत चलती रही। नामकरण के सहारें सामाजिक समीकरण साधने की सरकार द्वारा कोशिश दिखी।प्रतापगढ का उदाहरण देकर बताया जा रहा है कि वहां के मेडिकल कॉलेज का नाम सोनेलाल पटेल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय रखा गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल के नाम पर ही मेडिकल कॉलेज का भी नामकरण कर दिया गया है। अब क्योंकि यूपी में कुर्मी-पटेल वोट बैंक काफी मायने रखता है, ऐसे में विरोधी इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं।

इसी तरह सिद्धार्थनगर के मेडिकल कॉलेज को लेकर भी विवाद खडा हो रहा है। उस मेडिकल कॉलेज का का नाम स्वर्गीय माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज रखा गया है. अब इसके पीछे की कहानी ये है कि माधव त्रिपाठी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके थे और बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते थे। ऐसे में चुनाव के दौरान उनके नाम पर ब्राह्मण मतदाताओं को विधान सभा चुनाव में अपने पक्ष में साधने की कोशिश मानी जा रही है।

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