Mirzapur news : गांव के गरीब मैकेनिक का अनोखा कारनामा, कबाड़ में पड़े सामान से बनाई बाइक जैसी साइकिल
कबाड़ में पड़े सामान से बनाई बाइक जैसी साइकिल
संतोष देव गिरी की रिपोर्ट
Mirzapur news : बढ़ती बेरोजगारी, आसमान छूते ईंधन के दामों ने गांव के एक प्रतिभावान गरीब साइकिल, मोटर मैकेनिक (Motor Mechenic) को कुछ नया करने का हौसला और जज्बा प्रदान किया है। हम यहां जिस व्यक्ति की बात कर रहे हैं वह मिर्ज़ापुर (Mirzapur News) के छानबे विकास खण्ड के रामपुर सौनहा गावं के साइकिल पंचर मैकेनिक लक्षनधारी बिंद हैं, जिन्होंने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है।
कबाड़ की दुकान से पुरानी बाइक के खराब हुए सामान से बाइक रूपी साइकिल बनाकर सभी को चौंका दिया, 60km/घंटे की रफ्तार से चलने वाली इस साइकिल पर दो से तीन लोग बैठ सकते हैं। मैकेनिक लक्षनधारी ने अपनी खोज को रिसर्च साइकिल (Research Cycle) का नाम दिया है, रिसर्च साइकिल देखने के लिए छानबे ब्लॉक पर लोगों की जहां खासी भीड़ इकट्ठा रही, वहीं उनके घर पर भी लोग उनकी इस अनोखी बाइक को कोतुहल भरी नजरों से देखने के लिए जुट रहे हैं।
कहते है प्रतिभा पहचान की मोहताज नहीं होती है। इस कहावत को चरितार्थ किया है छानबे विकास खण्ड के रामपुर सौनहा के मामूली साइकिल मैकेनिक लक्षन धारी बिंद (40) ने, जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से कबाड़ की दुकान में बेकार पड़े बाइक के कल पूर्जो से साइकिल जैसी बाइक बनाकर सबको हैरत में डाल दिया। अपनी बनाई हुई साइकिल को मैकेनिक लक्षनधारी धारी ने रिसर्च साइकिल का नाम दिया है।
लक्षनधारी बताते हैं कि पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों आजीज आकर उन्होंने इस साइकिल को बनाया है। साइकिल को बाइक बनाने में 03 महीने 18 दिन का समय तथा 20 हजार की लागत आयी है। यह अनोखी साइकिल 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सड़कों पर फर्राटा भरने में सक्षम है, जिस पर दो से तीन लोग बैठ सकते हैं।
मैकेनिक लक्षनधारी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि यदि उन्हें कुछ सरकारी सहयोग मिले तो वे इससे बेहतर हवा से चलने वाली साइकिल भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि साइकिल कंपनियों को इसे देखकर बेहतर तकनीकी की साइकिल कम बजट में बनाए जिसे रिसर्च साइकिल नाम दिया जाए।।
मैकेनिक लक्षनधारी बिंद "जनज्वार" को बताते हैं कि साइकिल रूपी बाइक का वजन 65 किलोग्राम है, इसमें गियर लगाना है जिससे इसकी गति बढ़ जाएगी। गरीब परिवार में पले बढ़े लक्षनधारी बिंद 6 संतानों के पिता हैं। 3 लड़के 3 लड़कियां पत्नी सहित स्वयं के भरे पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले लक्षनधारी बिंद मामूली से टायर पंचर की दुकान से परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं। खेती के नाम पर महज कुछ टुकड़ा खेत है जिसके सहारे परिवार की नैया पार हो रही है।