ट्वीटर के पंगे से पीछे हटे रविशंकर प्रसाद का मोदी ने वही हाल किया जो ठाकुर के गांव से खाली लौटे कालिया का गब्बर ने किया था
रविशंकर प्रसाद का स्तीफा लेने के मामले में जानकार ट्वीटर से उनका विवाद मान रहे हैं.
राकेश कायस्थ की टिप्पणी
जनज्वार। ट्विवटर के साथ लड़ाई में बेइज्ज़त होकर पीछे हटने के बाद साहेब ने सिंगल श्री यानी रविशंकर प्रसाद का वही हाल किया जो गब्बर ने ठाकुर के दरवाज़े से खाली हाथ लौटने के बाद कालिया का किया था। लेकिन प्रसाद जी को प्रसाद सिर्फ इसी वजह से मिला है?
दरअसल बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मोदीजी के एक नहीं कई मास्टर स्ट्रोक खेले हैं, जिनपर बहुत से लोगों को ध्यान नहीं गया है। इस फेरबदल के साथ मोदीजी ने यह साबित किया है कि वो दुनिया ही नहीं बल्कि ब्रहांड के सबसे बड़े नेता हैं।
आपको याद होगा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्टी लिखी थी, जिसमें सुझाव दिये गये थे कि इस राष्ट्रीय संकट के दौरान क्या-क्या किया जाना चाहिए। अब मनमोहन सिंह की इतनी हैसियत कि वो मोदी महान को सुझाव देने की हिमाकत करे।
मोदीजी ने इस चिट्ठी का जवाब खुद ना देकर अपने मटर छीलू स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से दिलवाया था। अब मोदीजी ने हर्षवर्धन को बाहर करके मनमोहन सिंह को ये बता दिया है कि देख लीजिये जो आपके साथ सवाल-जवाब करता है, वो मेरा नौकर होने लायक भी नहीं है। यह है मेरे और आपके बीच का फर्क।
सरकार समर्थक कई विश्लेषकों का कहना है कि रविशंकर प्रसाद को निकाला नहीं गया है बल्कि यूपी चुनाव के लिए फ्री किया गया है, ताकि वो प्रियंका गाँधी, पूरे गाँधी परिवार और समूचे विपक्ष को तबियत से गरिया सकें। अगर अपनी नौकरी जाने का गुस्सा लेकर रविशंकर प्रसाद प्रेस काँफ्रेंस में उतरेंगे तो उनके नथुने पहले से ज्यादा फूलेंगे।
यानी उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया जाना भी एक मास्टर स्ट्रोक है। कैबिनेट विस्तार के साथ मोदीजी ने इस बात का संकेत भी दिया कि इकॉनमी फाइव ट्रिलियन बनने की दिशा में बुलेट ट्रेन की रफ्तार से भाग रही है। इसका इनाम उन्होंने निर्मला सीतारमण का पोर्टफोलियो बहाल रखकर और अनुराग ठाकुर को प्रमोट करके दिया।
मोदीजी का एक और मास्टर स्ट्रोक योगीजी को आईना दिखाने का है। यूपी के लगगभ हर जिले से उन्होंने केंद्र में इतने मंत्री बना दिये जितने योगी अपनी राज्य सरकार में भी नहीं बना पाये। मोदी मंत्रिमंडल की पहले से एक खूबी ये रही है कि हर कोई ऑलराउंडर है।
कोई भी किसी भी मंत्रालय के बारे में बोल सकता है। इसीलिए जब मामला कृषि का होता है, डिफेंस मिनिस्टर प्रेस काँफ्रेंस करते हैं और आर्थिक संकट पर सवाल पूछे जाते हैं तो जवाब पशुपालन मंत्री देते हैं। उम्मीद है विस्तारित मंत्रिपरिषद ये परंपरा जारी रखेगी।
(राकेश कायस्थ की यह टिप्पणी सोशल मीडिया से)