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मोदी सरकार का जवाबदेही से बचने का नया पैंतरा, कोविड के कारण नहीं चलेगा संसद सत्र

Janjwar Desk
15 Dec 2020 12:16 PM IST
What are unparliamentary words : संसद ने असंसदीय कहकर जिन पर लगायी लगाम, प्रतिरोध की संस्कृति से जुड़े हैं अधिकांश शब्दों के मायने
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What are unparliamentary words : संसद ने 'असंसदीय' कहकर जिन पर लगायी लगाम, प्रतिरोध की संस्कृति से जुड़े हैं अधिकांश शब्दों के मायने

जब देश में किसान आंदोलन चरम पर है तो नरेंद्र मोदी सरकार ने अबतक संसद का शीत सत्र नहीं बुलाया है और अब दिसंबर का आधा महीना गुजर जाने के बाद इसकी संभावना भी नहीं है...

जनज्वार ब्यूरो/नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार संसद का शीत सत्र नहीं आयोजित करेगी। सामान्यतः शीत सत्र नवंबर के आखिरी दिनों में शुरू होता है और वर्षांत की छुट्टियों से पहले उसका समापन हो जाता है, लेकिन अब दिसंबर का आधा महीना गुजर जाने के बाद इसकी संभावना नहीं बची है। पहले ही यह संकेत दिया गया था को कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर सत्र को टाला जा सकता है। पर, सत्र नहीं बुलाने के फैसले को कृषि विधेयक पर मोदी सरकार के तीखे विरोध से जोड़ कर देखा जा सकता है।

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर चौधरी के एक पत्र के जवाब में शीत सत्र नहीं बुलाने की पुष्टि की है। उनके द्वारा अधीर चौधरी को लिखे पत्र के अनुसार, सरकार जनवरी में बजट सत्र को शुरू कर सकती है।

संसदीय कार्य मंत्री ने पत्र में कहा है कि विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं ने शीत सत्र बुलाने को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा है कि जनवरी 2021 बजट सत्र के लिए उपयुक्त है। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार मानसून सत्र भी सितंबर में आयोजित किया गया।

उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम कोरोना संकट को लेकर अहम है, वर्तमान में दिल्ली में मामले बढ रहे हैं। दिसंबर आधा बीत गया है और जल्द ही कोरोना की वैक्सीन की उम्मीद है। ऐसे में उन्होंने कई दलों के नेताओं से संपर्क किया है और उनसे शीत सत्र पर बात की है।

किसान आंदोलन पर तीखे सवालों का डर

पिछले 20 दिनों से देश के किसान मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के बीच अगर सत्र का संचालन होता है तो सरकार को सदन में इस मुद्दे पर विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देना पड़ेगा। इतना ही नहीं सामान्यतः सत्र चलने के दौरान किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन और तीव्र हो जाता है। देश में कई विरोध प्रदर्शन तो नियोजित ढंग से संसद सत्र के दौरान ही आयोजित किए जाते हैं, ताकि सरकार से संबंधित मुद्दे पर सदन में भी जवाब पूछा जा सके।

स्पीकर ओम बिड़ला ने पहले क्या कहा था?

हालांकि 22 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने तब राष्ट्रीय राजधानी में कोविड के बढते मामलों के बीच कहा था कि लोकसभा सचिवालय संसद का सत्र आयोजित करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा था कि कोविड महामारी के बीच मानसून सत्र सभी सावधानियों के साथ आयोजित किया गया था और संसद की स्थायी समितियां भी नियमित रूप से बैठकें करती रही हैं। तब उन्होंने कहा था कि सरकार इस पर सभी दलों से वार्ता में तारीख तय करेगी।

पर, अब किसमस की छुट्टियां शुरू होने में मात्र एक सप्ताह बचे होने के कारण और इस संबंध में कोई सुगबुगाहट नहीं होने की वजह से यह तय है कि शीत सत्र नहीं होगा। अब सरकार सीधे जनवरी के अंत में बजट सत्र बुलाएगी। मोदी सरकार ने बजट पेश करने की तारीख फरवरी के आखिरी दिन की जगह पहली तारीख रखी है, ऐसे में जनवरी के आखिरी सप्ताह में बजट सत्र की शुरुआत होती है।

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