किसान आंदोलन में टूटने वाले टॉवरों को सितंबर में ही कनाडा की कम्पनी को बेच चुके मुकेश अम्बानी
जनज्वार ब्यूरो। नए कृषि बिल के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन को एक महीने से अधिक का वक्त गुजर चुका है। हर गुजरते दिन के साथ आंदोलन और भी उग्र रूप लेता जा रहा था। किसान पहले से यातायात रोक रहे हैं लेकिन अब उनका गुस्सा रिलायंस जिओ के मोबाइल टावरों पर भी टूट पड़ा है। पंजाब में रिलायंस जियो के कई मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है।
अधिकतर किसानों ने रिलायंस जियो से अपना नंबर विरोधी मोबाइल कंपनियों में पोर्ट करा लिया है। किसानों का मानना है कि जिस कृषि बिल का वह विरोध कर रहे हैं, उसे मुकेश अंबानी को भी फायदा पहुंचाने के मकसद से लाया गया है। लेकिन किसान जो टावर तोड़ रहे हैं वह मुकेश अंबानी या रिलायंस जियो के नहीं बचे हैं।
रिलायंस ने इसी साल के सितंबर में इस बात की घोषणा कर दी थी कि जियो के दूरसंचार टावर असेट्स को कनाडा की 'ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स एलपी' को बेचा जा चुका है। ब्रुकफील्ड टावर कंपंनी ने 100 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीदी है यानी पूरा टावर बिजनेस अब ब्रुकफील्ड का है। पूरी डील 25,215 करोड़ रुपये में सम्पन्न हुई थी।
सितंबर में रिलायंस ने यह भी कहा था कि डील से मिले पैसों का इस्तेमाल जियो इंफ्राटेल का कर्ज चुकाने में किया जाएगा। यानी किसान जो टावर मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो का समझ कर तोड़ रहे हैं, असल में वह कनाडा की ब्रुकफील्ड नाम की कंपनी के स्वामित्व वाले हैं।
इसके अलावा बात यह भी है कि टावर रिलायंस जियो के ना हों, लेकिन रिलायंस जियो का बुनियादी ढांचा जरूर हैं। यानी ये तो साफ है कि टावरों को नुकसान पहुंचाए जाने से रिलायंस जियो को नुकसान तो हो ही रहा है। बिना टावर के मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करेगा और बिना मोबाइल नेटवर्क के फोन का कोई फायदा नहीं। ऐसे में दूरसंचार व्यवस्था बाधित होने की वजह से रिलायंस जियो के रेवेन्यू पर थोड़ा ही सही, लेकिन असर तो पड़ ही रहा है।
टावरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह कहानी कही जा रही है कि नये कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इस आधार पर पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा है।
अंबानी और अडाणी के विरोध में पंजाब की कई जगहों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा। अब तक करीब 1500 टावरों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अपील के बाद भी कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है।