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Naaptol और Sensodyne के 'भ्रामक' विज्ञापनों को दिखाना बंद करें, सरकार का प्राइवेट चैनलों को आदेश

Janjwar Desk
13 April 2022 3:15 PM GMT
Naaptol और Sensodyne के भ्रामक विज्ञापनों को दिखाना बंद करें, सरकार का प्राइवेट चैनलों को आदेश
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Naaptol और Sensodyne के 'भ्रामक' विज्ञापनों को दिखाना बंद करें, सरकार का प्राइवेट चैनलों को आदेश

Naaptol : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को एक नोटिस जारी किया जिसमें उसने कहा कि सीसीपीए के आदेशों का पालन न करना केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 और नियम 1994 के तहत विज्ञापन संहिता का उल्लंघन है....

Naaptol : केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry Of Information And Broadcasting) ने भारत के सभी प्राइवेट टीवी चैनलों को निर्देश दिया है कि वे नापतोल शॉपिंग ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के टूथपेस्ट ब्रांड सेंसोडाइन के 'भ्रामक' विज्ञापनों का प्रचार बंद करे।

मंत्रालय ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के फरवरी में पारित उस आदेश का पालन करने की मांग की है जिसमें कहा गया था कि टेलीशॉपिंग और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनी नापतोल और टूथपेस्ट ब्रांड सेंसोडाइन को अपने उत्पादों के बारे में झूठे दावे करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को बंद करना होगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को एक नोटिस जारी किया जिसमें उसने कहा कि सीसीपीए के आदेशों का पालन न करना केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 और नियम 1994 के तहत विज्ञापन संहिता का उल्लंघन है। सीसीपीए कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा करने वाली वैधानिक संस्था है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे ने कहा कि दोनों कंपनियों को सुनवाई का मौका दिया गया था लेकिन हमें अभी तक उनकी तरफ से किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं जो उनके दावों को सही साबित कर सकें। नापतोल ने आदेश का पालन किया है और जुर्माना भी भरा है। मगर सेंसोडाइन ने आदेश के खिलाफ अपील की है।

वहीं ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के एक प्रवक्ता ने कहा कि मामला विचाराधानी है। हम एक जिम्मेदार और नियमों को मानने वाली कंपनी हैं। हम अपने उपभोक्ताओं की भलाई के लि प्रतिबद्ध हैं और हमारे उत्पाद उच्चतम गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हैं।

सीसीपीए ने फरवरी माह में टीवी, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर समेत कई प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले सेंसोडाइन विज्ञापनों का स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी और इसके 'भ्रामक' विज्ञापनों को रोकने का आदेश पारित किया था। संस्थान ने मार्च के माह में ब्रांड पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया था और एक सप्ताह के भीतर 'दुनियाभर के डेंटिस्ट इसे अपनाने की सलाह देते हैं' और दुनिया का नंबर वन सेंसटिविटी टूथपेस्ट जैसे दावे करने वाले सेंसोडाइन विज्ञापनों को बंद करने का आदेश दिया था।

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