Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

असम में भी शुरू हुआ नाम बदलो अभियान, नेशनल पार्क से राजीव गांधी का नाम हटाया!

Janjwar Desk
2 Sep 2021 2:30 AM GMT
असम में भी शुरू हुआ नाम बदलो अभियान, नेशनल पार्क से राजीव गांधी का नाम हटाया!
x

असम सरकार ने नेशनल पार्क से राजीव गांधी का नाम हटा दिया है

यूपी के बाद अब असम में भी नाम बदलो और नाम हटाओ और नाम बदली अभियान शुरू हो गया है, असम सरकार ने ओरंग नेशनल पार्क से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने का फैसला किया है..

जनज्वार। यूपी के बाद अब असम में भी नाम बदलो और नाम हटाओ अभियान शुरू हो गया है। असम सरकार ने बुधवार को ओरंग नेशनल पार्क से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने का फैसला किया है। संसदीय मामलों के मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और आदिवासी और चाय-जनजाति समुदाय के प्रमुख सदस्यों के बीच बातचीत के दौरान उन्होंने ओरंग नेशनल पार्क से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने की मांग की थी।

उधर कांग्रेस ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नेशनल पार्क का नाम बदले जाने को लेकर कांग्रेस ने कहा कि यह बीजेपी द्वारा देश और राज्य के लिए राजीव गांधी के योगदान को मिटाने का एक और प्रयास है। असम में कांग्रेस की मीडिया प्रभारी बोबीता शर्मा ने कहा कि वे नाम बदल सकते हैं, लेकिन आधुनिक और प्रगतिशील भारत के निर्माता के रूप में राजीव गांधी के योगदान को मिटा नहीं सकते।

वहीं मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, "चूंकि ओरंग नाम आदिवासी और चाय-जनजाति समुदाय की भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए कैबिनेट ने राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क का नाम बदलकर ओरंग नेशनल पार्क करने का फैसला किया है।"

ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट पर स्थित ओरंग राष्ट्रीय उद्यान 78.80 वर्ग किमी में फैला राज्य का सबसे पुराना वन अभ्यारण्य है। 1985 में इसे वन्यजीव अभयारण्य का नाम दिया गया और 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। अगस्त 2005 में, तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने स्थानीय समूहों के विरोध के बावजूद ओरंग राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलने का फैसला किया था।

राष्ट्रीय उद्यान का नाम उरांव लोगों के नाम पर रखा गया है, जो झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। उनमें से हजारों उन राज्यों की कई जनजातियों का हिस्सा थे जिन्हें अंग्रेजों द्वारा असम के चाय बागानों में काम करने के लिए लाया गया था।

उरांव जनजाति के बहुत से लोग उस क्षेत्र के पास में बसे थे जहां अब पार्क स्थित है। जिसका बाद इस पार्क का नाम ओरंग पड़ा था। 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में 73,437 उरांव लोग हैं।

हालांकि असम टी ट्राइब स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ATTSA) के अध्यक्ष धीरज गोवाला ने कहा कि हमारी तरफ से राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलने की कोई मांग नहीं की गई थी, लेकिन हो सकता है कि कुछ लोगों ने इसकी मांग की हो। देशभर में इस तरह का नाम परिवर्तन बीजेपी सरकारों के अभियान का हिस्सा है।

उन्होंने आगे कहा कि बेहतर होगा कि राज्य सरकार हमारी मुख्य मांगों जैसे चाय जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने, चाय बागान श्रमिकों के दैनिक वेतन में वृद्धि आदि पर ध्यान केंद्रित करे।

Next Story